यशायाह 25:1-9

यशायाह 25:1-9 HINCLBSI

हे प्रभु, तू ही मेरा परमेश्‍वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का गुणगान करूंगा। तूने अद्भुत कार्य किए हैं, तूने अपनी योजनाएं पूर्ण की हैं, जो आरम्‍भ से बनी थीं, जो विश्‍वस्‍त और निश्‍चयपूर्ण थीं। तूने नगर को खण्‍डहरों का ढेर बना दिया; किलाबन्‍द नगर को खण्‍डहर कर दिया। विदेशियों के महलों का नगर, अब नगर नहीं रहा। उसका पुनर्निर्माण अब कभी नहीं होगा। इसलिए शक्‍तिशाली कौमें तेरी महिमा करेंगी, खूंखार राष्‍ट्रों के नगर तुझसे डरेंगे। तू गरीबों का सुदृढ़ आश्रय रहा है; तू संकट में पड़े निर्धन का सहारा रहा है। तू तूफान से रक्षा करनेवाला शरण-स्‍थल, ग्रीष्‍म-ताप से बचानेवाली शीतल छाया है। निर्दयी जन का फूत्‍कार उस तूफान के झोंके-सा है, जो दीवार से टकराता है; वह शुष्‍क स्‍थान की ताप के समान है। तू विदेशियों की अहंकारपूर्ण उिक्‍तयों का शमन करता है; जैसे बदली में गर्मी कम हो जाती है वैसे ही निर्दयी का अहंकार-गान शान्‍त हो गया। स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु सियोन पर्वत पर सब जातियों के लिए महाभोज तैयार करेगा, जिस में छप्‍पन व्‍यंजन, शुद्ध किया हुआ अंगूर का रस होगा; जिसमें स्‍निग्‍ध भोजन, और पुराने अंगूर रस के पेय होंगे। प्रभु इसी पर्वत पर उस आवरण को नष्‍ट कर देगा, जो समस्‍त जातियों पर छाया हुआ है; वह उस परदे को हटा देगा, जो सब राष्‍ट्रों पर पड़ा हुआ है। वह सदा के लिए मृत्‍यु को समाप्‍त कर देगा, प्रभु, स्‍वामी सबकी आंखों के आंसू पोंछ डालेगा। वह अपने निज लोगों के कलंक को समस्‍त पृथ्‍वी से दूर कर देगा; प्रभु ने यह कहा है। उस दिन लोग यह कहेंगे, “देखो, यही है हमारा परमेश्‍वर; हमने इसकी ही प्रतीक्षा की थी कि वह हमें बचाएगा। यही प्रभु है, हमने इसकी ही प्रतीक्षा की थी। आओ, हम उसके उद्धार के कारण आनन्‍द मनाएँ, हर्षित हों।”

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