यशायाह बेन-आमोत्स ने दर्शन में यहूदा प्रदेश और यरूशलेम के सम्बन्ध में यह सुना : आनेवाले दिनों में यह होगा : जिस पर्वत पर प्रभु का भवन निर्मित है, वह विश्व के पर्वतों में उच्चतम स्थान पर, गौरवमय स्थान पर प्रतिष्ठित होगा। वह पहाड़ियों के मध्य उच्चतम स्थान ग्रहण करेगा; विश्व के राष्ट्र जलधारा के समान उसकी ओर बहेंगे। देश-देश के लोग वहाँ जाएंगे और यह कहेंगे : ‘आओ, हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें; आओ, हम याकूब के परमेश्वर के भवन की ओर चलें, ताकि प्रभु हमें अपना मार्ग सिखाए, और हम उसके सिखाए हुए मार्ग पर चलें।’ सियोन पर्वत से प्रभु की व्यवस्था प्रकट होगी, यरूशलेम नगर से ही प्रभु का शब्द सुनाई देगा। प्रभु राष्ट्रों के मध्य न्याय करेगा; वह भिन्न-भिन्न कौमों को अपना निर्णय सुनायेगा। तब विश्व में शान्ति स्थापित होगी : राष्ट्र अपनी तलवारों को हल के फाल बनायेंगे, वे अपने भालों को हंसियों में बदल देंगे। एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के विरुद्ध तलवार नहीं उठायेगा, वे युद्ध-विद्या फिर नहीं सीखेंगे।
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