यशायाह 18
18
इथियोपिआ देश के विरुद्ध नबूवत#सप 2:12
1ओ पालोंवाले जलयान के देश#18:1 अथवा, ‘परों की सनसनाहट से भरे हुए देश’। ,
ओ इथियोपिआ की नदियों के उस पार
के देश!
2तू नरकट की नावों पर
नील नदी के जलमार्ग से
राजदूतों को भेजता है :
“द्रुतगामी दूतो, उस राष्ट्र के पास जाओ,
जिसके निवासी ऊंचे-ऊंचे,
और चिकनी चमड़ी वाले हैं;
उस कौम के पास जाओ,
जिससे दूर और पास के सब देश डरते हैं,
जो शक्तिशाली और विजयी राष्ट्र है,
जिसका देश नदियों द्वारा कटा हुआ है।
3ओ संसार के सब रहनेवालो!
ओ पृथ्वी के सब निवासियो!
जब ध्वजा पर्वतों पर फहरायी जाएगी,
तब तुम उस को देखोगे;
जब तुरही फूंकी जाएगी,
तब तुम उस को सुनोगे।”
4प्रभु ने मुझसे यों कहा :
“सूर्य की तेज धूप के समान,
फसल की कटनी के समय
ओस-भरे बादल के समान
मैं अपने निवास-स्थान से
उन पर चुपचाप दृष्टिपात करूंगा।”
5अंगूर की फसल काटने के पहले
जब बौड़ियों का खिलना समाप्त हो जाएगा,
जब अंगूर के गुच्छे पकने लगेंगे,
तब वह हंसियों से टहनियों को काटेगा,
फैली हुई शाखाओं को छांटेगा।
6वे पहाड़ के मांसाहारी पक्षियों के लिए,
मैदान के जंगली पशुओं के लिए
छोड़ दी जाएंगी।
पहाड़ के मांसाहारी पक्षी ग्रीष्मकाल में
और मैदान के सब जंगली पशु शीतकाल में
उनमें निवास-स्थान बनाएंगे।
7उस समय उस कौम के लोग जिनसे दूर और पास के सब देश डरते हैं, जो ऊंचे-ऊंचे और चिकनी चमड़ीवाले हैं, जो शक्तिशाली और विजयी राष्ट्र हैं, जिनका देश नदियों के द्वारा कटा हुआ है, स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु को भेंट चढ़ाएंगे। उनकी भेंट सियोन पर्वत पर, जहाँ स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का नाम प्रतिष्ठित है लाई जाएगी।
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