इब्रानियों 11:8-16

इब्रानियों 11:8-16 HINCLBSI

विश्‍वास के कारण अब्राहम ने परमेश्‍वर का बुलावा स्‍वीकार किया कि वह उस देश को जाएं जिसको वह विरासत में प्राप्‍त करने वाले थे। अब्राहम यह न जानते हुए भी कि वह कहाँ जा रहे हैं, उन्‍होंने उस देश के लिए प्रस्‍थान किया। विश्‍वास के कारण परदेशी की तरह प्रतिज्ञात देश में कुछ समय तक निवास किया। वह इसहाक तथा याकूब के समान, जो उनके साथ एक ही प्रतिज्ञा के उत्तराधिकारी थे, तम्‍बुओं में रहने लगे। अब्राहम ने ऐसा किया, क्‍योंकि वह उस पक्‍की नींव वाले नगर की प्रतीक्षा में थे, जिसका वास्‍तुकार तथा निर्माता परमेश्‍वर है। विश्‍वास के कारण ही आयु ढल जाने पर भी अब्राहम ने प्रजनन की शक्‍ति पाई-सारा भी बांझ थी-क्‍योंकि उनका विचार यह था कि जिसने प्रतिज्ञा की है, वह सच्‍चा है। और इसलिए एक मरणासन्न व्यक्‍ति, अर्थात् अब्राहम से वह सन्‍तति उत्‍पन्न हुई, जो आकाश के तारों की तरह असंख्‍य है और सागर-तट के बालू के कणों की तरह अगणित। प्रतिज्ञा का फल पाये बिना ये सब विश्‍वास करते हुए मर गये। परन्‍तु उन्‍होंने उसको दूर से देखा और उसका स्‍वागत किया। वे अपने को पृथ्‍वी पर परदेशी तथा प्रवासी मानते थे। जो इस तरह की बातें कहते हैं, वे यह स्‍पष्‍ट कर देते हैं कि वे स्‍वदेश की खोज में लगे हुए हैं। यदि उस देश की बात सोचते जो वे पीछे छोड़ आए थे तो उन्‍हें वहाँ लौटने का अवसर था। पर नहीं, वे तो एक उत्तम स्‍वदेश अर्थात् स्‍वर्ग की खोज में लगे हुए थे; इसलिए परमेश्‍वर को उन लोगों का परमेश्‍वर कहलाने में लज्‍जा नहीं होती। उसने तो उनके लिए एक नगर का निर्माण किया है।

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