अब आप किसी समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति को देखें और उसे मिस्र देश का प्रधान मन्त्री नियुक्त करें। आप तत्काल देश में निरीक्षक भी नियुक्त करें। वे मिस्र देश के सुकाल के वर्षों में उपज का पांचवां भाग लें। निरीक्षक आगामी सुकाल के सात वर्षों में सब प्रकार की भोजन सामग्री एकत्र करें। वे आपके अधीन नगरों में भोजन के लिए अन्न के भण्डार-गृह खोलें, और अन्न की रक्षा करें। यह भोजन-सामग्री देश के निमित्त अकाल के उन सात वर्षों के लिए सुरक्षित रहेगी, जो मिस्र देश पर आएंगे, जिससे मिस्र देश अकाल से विनष्ट न हो जाए।’ यह परामर्श फरओ और उसके सब कर्मचारियों को भला लगा। फरओ ने अपने कर्मचारियों से कहा, ‘क्या हम इस व्यक्ति के सदृश, जिसमें परमेश्वर का आत्मा है, किसी दूसरे व्यक्ति को पा सकते हैं?’ अत: फरओ ने यूसुफ से कहा, ‘परमेश्वर ने तुम पर ही ये बातें प्रकट कीं। इसलिए तुम्हारे सदृश समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति और कोई नहीं है। तुम मेरे देश के प्रधान मंत्री होंगे। मेरी प्रजा तुम्हारे आदेशों का पालन करेगी। केवल राजसिंहासन पर मैं तुम से बड़ा रहूँगा।’ फरओ ने यूसुफ से पुन: कहा, ‘देखो, मैं तुम्हें समस्त मिस्र देश का प्रधान मन्त्री नियुक्त करता हूँ।’ फरओ ने अपने हाथ से मुद्रा की अंगूठी निकालकर यूसुफ के हाथ में सौंप दी। उसने यूसुफ को महीन मलमल के वस्त्र पहिनाए। उसने उसके गले में सोने की माला डाली। तत्पश्चात् उसे अपने द्वितीय रथ पर चढ़ाया। लोग यूसुफ के सम्मुख पुकारते थे, ‘घुटने टेको’। इस प्रकार फरओ ने यूसुफ को समस्त मिस्र देश का प्रधान मन्त्री नियुक्त किया। फरओ ने यूसुफ से यह भी कहा, ‘मैं फरओ हूँ। तुम्हारी आज्ञा के बिना कोई भी मनुष्य समस्त मिस्र देश में न हाथ उठा सकेगा, और न पैर।’ फरओ ने यूसुफ का नाम ‘साफनत-पानेह’ रखा। उसने ओन नगर के पुरोहित पोटीफेरा की पुत्री आसनत से उसका विवाह करा दिया। यों यूसुफ को मिस्र देश पर अधिकार प्राप्त हो गया। जब यूसुफ ने मिस्र देश के राजा फरओ की सेवा में प्रवेश किया तब वह तीस वर्ष का था। वह फरओ के दरबार से निकलकर समस्त मिस्र देश में दौरा करने लगा।
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