उस समय मिद्यानी व्यापारी वहाँ से निकले। भाइयों ने गड्ढे से यूसुफ को खींचकर बाहर निकाला और उसे चांदी के बीस सिक्कों में यिश्माएलियों के हाथ बेच दिया। वे यूसुफ को मिस्र देश ले गए। जब रूबेन गड्ढे की ओर लौटा और देखा कि यूसुफ गड्ढे में नहीं है तब उसने अपने वस्त्र फाड़े। रूबेन अपने भाइयों के पास लौटा। वह उनसे बोला, ‘लड़का गड्ढे में नहीं है। अब मैं कहां जाऊं?’ उन्होंने यूसुफ का अंगरखा लिया और एक बकरा मार कर उसके रक्त में उसे डुबोया। तत्पश्चात् उन्होंने बाहोंवाले उस अंगरखे को अपने पिता के पास भेजा और कहा, ‘हमने इसे पाया है। देखिए, क्या यह आपके पुत्र का है अथवा नहीं?’ पिता ने अंगरखे को पहचान लिया। वह बोले, ‘यह तो मेरे पुत्र का अंगरखा है। जंगली पशु ने उसे खा लिया। निस्सन्देह यूसुफ टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया।’ याकूब ने अपने वस्त्र फाड़े। उन्होंने कमर पर टाट का वस्त्र लपेटा, और बहुत दिन तक अपने पुत्र के लिए शोक मनाया। उसके पुत्र-पुत्रियों ने उन्हें सान्त्वना देने का प्रयत्न किया। किन्तु उन्होंने सान्त्वना स्वीकार नहीं की। वह कहते रहे, ‘नहीं, मैं अपने पुत्र के पास शोक करता हुआ अधोलोक जाऊंगा।’ इस प्रकार यूसुफ के पिता ने उसके लिए विलाप किया।
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