उत्‍पत्ति 21:1-34

उत्‍पत्ति 21:1-34 HINCLBSI

प्रभु परमेश्‍वर ने सारा की सुध ली, जैसा उसने कहा था। उसने सारा से वैसा ही किया, जैसा उसने वचन दिया था। सारा गर्भवती हुई। उसने उसी निर्धारित समय पर, जिसके विषय में परमेश्‍वर ने कहा था, अब्राहम से उसकी वृद्धावस्‍था में पुत्र को जन्‍म दिया। अब्राहम ने अपने उस पुत्र का नाम, जिसे सारा ने जन्‍म दिया, इसहाक रखा। जब इसहाक आठ दिन का हुआ तब अब्राहम ने उसका खतना किया, जैसी परमेश्‍वर ने आज्ञा दी थी। अपने पुत्र इसहाक के जन्‍म के समय अब्राहम सौ वर्ष के थे। सारा बोली, ‘परमेश्‍वर ने मुझे हंसाया है; इसलिए सब सुनने वाले भी मेरे साथ हंसेंगे! अब्राहम से कौन यह कह सकता था कि सारा बच्‍चों को कभी दूध पिलाएगी। फिर भी मैंने अब्राहम की वृद्धावस्‍था में पुत्र को जन्‍म दिया।’ बच्‍चा बड़ा हुआ, और उसका दूध छुड़ाया गया। जिस दिन इसहाक का दूध छुड़ाया गया, उस दिन अब्राहम ने बड़ा भोज दिया। एक दिन सारा ने मिस्री हागार के पुत्र को, जिसे हागार ने अब्राहम से उत्‍पन्न किया था, अपने पुत्र इसहाक के साथ खेलते देखा। उसने अब्राहम से कहा, ‘इस दासी को इसके पुत्र सहित निकाल दीजिए; क्‍योंकि दासी का पुत्र मेरे पुत्र इसहाक के साथ उत्तराधिकारी नहीं बनेगा।’ अपने पुत्र यिश्‍माएल के सम्‍बन्‍ध में ऐसी बात अब्राहम को बहुत बुरी लगी। परमेश्‍वर ने अब्राहम से कहा, ‘तू बालक और अपनी दासी के कारण बुरा मत मान। जो बातें सारा तुझसे कहती है, उनको सुन। क्‍योंकि इसहाक द्वारा तेरे वंशजों में तेरा नाम बना रहेगा। मैं दासी के पुत्र से भी एक राष्‍ट्र उत्‍पन्न करूँगा; क्‍योंकि वह तेरी सन्‍तान है।’ अब्राहम सबेरे उठे। उन्‍होंने रोटी और पानी भरी मशक हागार को दी। उसे हागार के कन्‍धे पर रख दिया, और बालक सहित उसको विदा कर दिया। हागार चली गई, और बएर-शबा के निर्जन प्रदेश में भटकने लगी। जब मशक का पानी समाप्‍त हो गया तब उसने बालक को एक झाड़ी के नीचे छोड़ दिया। वह बालक के सामने पर्याप्‍त दूर−सौ मीटर की दूरी पर−बैठ गई; क्‍योंकि वह सोचती थी, ‘मैं अपने बच्‍चे की मृत्‍यु अपनी आंखों से नहीं देख सकती।’ जब वह उसके सामने दूर बैठी तब बालक चीख मार कर रोने लगा। परमेश्‍वर ने बालक के रोने की आवाज सुनी। परमेश्‍वर के दूत ने स्‍वर्ग से हागार को पुकारा और उससे कहा, ‘हागार, तुझे क्‍या हुआ है? मत डर, जहाँ तेरा बालक पड़ा है वहाँ से परमेश्‍वर ने उसकी आवाज सुनी है। उठ, और बालक को उठा। उसे अपने हाथों में सावधानी से संभाल; क्‍योंकि मैं उससे एक महान राष्‍ट्र का उद्भव करूँगा।’ तब परमेश्‍वर ने उसकी आंखें खोल दीं। उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह उसके निकट गई, और मशक को पानी से भर लिया। तत्‍पश्‍चात् उसने बालक को पानी पिलाया। परमेश्‍वर बालक के साथ था। वह बड़ा होता गया। वह निर्जन प्रदेश में रहता था। वह विख्‍यात धनुर्धारी बना। वह पारन के निर्जन प्रदेश में रहता था। उसकी मां ने उसके लिए एक कन्‍या ढूंढ़ी जो मिस्र देश की रहने वाली थी, और उसके साथ उसका विवाह कर दिया। उस समय अबीमेलक ने अपने सेनापति पीकोल के साथ आकर अब्राहम से कहा, ‘आपके प्रत्‍येक कार्य में परमेश्‍वर आपके साथ रहता है। अतएव अब मुझसे परमेश्‍वर की शपथ खाइए, कि आप न मुझसे, न मेरी सन्‍तान और न मेरे वंश से छल-कपट करेंगे। वरन् जैसा मैंने आपके साथ प्रेममय व्‍यवहार किया है, वैसा ही आप मेरे और मेरे देश के साथ, जहाँ आप प्रवास करते हैं, व्‍यवहार करेंगे।’ अब्राहम बोले, ‘मैं शपथ खाता हूँ।’ पर जब अब्राहम ने अपने एक कुएं के विषय में, जिस पर अबीमेलक के सेवकों ने कब्‍जा कर लिया था, उससे शिकायत की तब वह बोला, ‘मैं नहीं जानता कि किसने यह कार्य किया है। आपने भी मुझे नहीं बताया। मैंने आज तक इसके विषय में सुना भी नहीं था।’ अब्राहम ने भेड़-बकरी और गाय-बैल अबीमेलक को भेंट में दिए और दोनों ने आपस में सन्‍धि की। अब्राहम ने भेड़ों के सात मेमनों को झुण्‍ड से अलग रखा। अबीमेलक ने अब्राहम से पूछा, ‘इन सात मेमनों का, जिन्‍हें आपने अलग रखा है, क्‍या अर्थ है?’ अब्राहम ने उत्तर दिया, ‘आप मेरे हाथ से इन सात मेमनों को ग्रहण करेंगे कि आप मेरे साक्षी बनें कि मैंने ही यह कुआं खुदवाया था।’ वहाँ दोनों ने शपथ ली। इसलिए उस स्‍थान का नाम ‘बएर-शबा’ पड़ा। उन्‍होंने बएर-शबा में सन्‍धि की। तत्‍पश्‍चात् अबीमेलक और उसका सेनापति पीकोल उठे, और वे पलिश्‍तियों के देश को लौट गए। अब्राहम ने बएर-शबा में झाऊ-वृक्ष का एक पौधा लगाया, और वहाँ प्रभु के नाम से शाश्‍वत परमेश्‍वर की आराधना की। अब्राहम ने पलिश्‍तियों के देश में बहुत दिन प्रवास किया।