भाइयो और बहिनो! मैं आप लोगों को विश्वास दिलाता हूँ कि मैंने जो शुभ समाचार सुनाया, वह मनुष्य-रचित नहीं है। मैंने किसी मनुष्य के हाथ से उसे न तो ग्रहण किया और न सीखा, बल्कि स्वयं येशु मसीह ने उसे मुझ पर प्रकट किया। आप लोगों ने सुना होगा कि जब मैं यहूदी धर्म-विधि का अनुयायी था, तो मेरा आचरण कैसा था। मैं परमेश्वर की कलीसिया पर घोर अत्याचार करता और उसको नष्ट करने का प्रयत्न करता था। मैं अपने पूर्वजों की परम्पराओं का पालन अत्यंत धर्मोत्साह से करता था और यहूदी धर्म-विधि के पालन में अपने समय के बहुत-से हम-उम्र यहूदियों से बहुत आगे था। किन्तु परमेश्वर ने मुझे माता के गर्भ से ही अपने कार्य के लिए अलग कर लिया था और उसने अपने अनुग्रह से मुझे बुलाया; उसने मुझ पर—और मेरे द्वारा— अपने पुत्र को प्रकट करने का निश्चय किया, जिससे मैं गैर-यहूदियों में उसके पुत्र के शुभ समाचार का प्रचार करूँ। इसके बाद मैंने किसी निरे मनुष्य से परामर्श नहीं किया और जो मुझ से पहले प्रेरित थे, उनसे मिलने के लिए मैं यरूशलेम नहीं गया; बल्कि मैं तुरन्त अरब देश गया और बाद में दमिश्क नगर लौटा। मैं तीन वर्ष बाद कैफा से जानकारी प्राप्त करने यरूशलेम गया और उनके साथ पन्द्रह दिन रहा। प्रभु के भाई याकूब को छोड़ कर मेरी भेंट अन्य प्रेरितों में से किसी से नहीं हुई। परमेश्वर मेरा साक्षी है कि मैंने आप को जो लिखा है उसमें कुछ भी झूठ नहीं है। इसके बाद मैं सीरिया और किलिकिया प्रदेश गया। उस समय यहूदा प्रदेश की कलीसियाएँ, जो मसीह में हैं, मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानती थीं। उन्होंने इतना ही सुना था कि जो व्यक्ति हम पर अत्याचार करता था, वह अब उस विश्वास का शुभ समाचार सुना रहा है, जिसको वह नष्ट करने का प्रयत्न करता था और वे मेरे विषय में परमेश्वर की स्तुति करती थीं।
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