तू खेत में बहुत बीज बोएगा, किन्तु थोड़ी फसल ही एकत्र कर पाएगा, क्योंकि टिड्डियाँ उसको चट कर जाएंगी। तू अंगूर के उद्यान लगाएगा, उनमें परिश्रम करेगा, पर न तू अंगूर-रस पी सकेगा, और न अंगूर के फल एकत्र कर सकेगा, क्योंकि कीड़ा उनको खा जाएगा। तू अपनी राज्य-सीमा के भीतर जैतून के पेड़ लगाएगा, पर जैतून के तेल का उपयोग नहीं कर पाएगा क्योंकि वे झड़ जाएंगे। तू पुत्र और पुत्रियाँ उत्पन्न करेगा, किन्तु वे तेरे नहीं रहेंगे, क्योंकि वे युद्ध में बन्दी बनकर चले जाएंगे। तेरे सब वृक्षों और भूमि की उपज पर कीड़े-मकोड़े लग जाएंगे। तेरे मध्य रहनेवाला प्रवासी तुझ से अधिक ऊंचा उठता जाएगा और तू गिरता जाएगा। तू उसको उधार नहीं देगा, वरन् वह तुझको उधार देगा। वह उच्च आसन पर प्रतिष्ठित होगा, और तू निम्न स्थान पर! जब तक तू नष्ट नहीं हो जाएगा, तब तक ये अभिशाप तुझ पर आकर तेरा पीछा करेंगे, तुझे पकड़े रहेंगे, क्योंकि तूने अपने प्रभु परमेश्वर की वाणी नहीं सुनी, उसकी आज्ञाओं और संविधियों का पालन नहीं किया, जिनका उसने तुझे आदेश दिया था। ये अभिशाप चेतावनी-चिह्न तथा आश्चर्यपूर्ण कार्य के रूप में तेरे और तेरे वंश पर सदा रहेंगे। ‘आशिषों की प्रचुरता होने पर भी तूने आनन्दपूर्वक और भले हृदय से अपने प्रभु परमेश्वर की सेवा नहीं की। इसलिए तू भूखा, प्यासा, नंगा रहकर, हर प्रकार के अभाव में अपने शत्रुओं की सेवा करेगा, जिन्हें प्रभु तेरे विरुद्ध भेजेगा। जब तक वह तुझे नष्ट नहीं कर देगा, तब तक तेरी गर्दन पर लोहे का जुआ रखा रहेगा।
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