दानिएल 2:5-26

दानिएल 2:5-26 HINCLBSI

राजा नबूकदनेस्‍सर ने कसदी पंडितों को उत्तर दिया, ‘मेरा वचन अटल है! यदि तुम मेरा स्‍वप्‍न और उसका अर्थ मुझे नहीं बताओगे, तो तुम निश्‍चय जानो कि तुम्‍हारे शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएंगे, और तुम्‍हारे घर खण्‍डहर बना दिए जाएंगे। पर यदि तुम अर्थ-सहित मेरा स्‍वप्‍न मुझे बता दोगे तो मैं तुम्‍हें पुरस्‍कारों-उपहारों से लाद दूंगा, और तुम्‍हारा बड़ा सम्‍मान करूंगा। अच्‍छा, अब मुझे मेरा स्‍वप्‍न और उसका अर्थ बताओ।’ कसदी पंडितों ने राजा से दूसरी बार निवेदन किया, ‘महाराज, अपने सेवकों को अपना स्‍वप्‍न बताएं और हम, आपके सेवक, महाराज को उसका अर्थ समझा देंगे।’ राजा ने उत्तर दिया, ‘मैं निश्‍चयपूर्वक जानता हूं कि तुम ये बातें केवल समय काटने के लिए कह रहे हो; क्‍योंकि तुम जानते हो कि मेरा यह वचन अटल है कि यदि तुम मेरा स्‍वप्‍न मुझे नहीं बताओगे, तो तुम्‍हारे लिए प्राणदण्‍ड निश्‍चित् है। तुम परस्‍पर इस बात में एकमत हो गए हो कि उस समय तक तुम मुझसे झूठ बोलो, मुझे झूठे उत्तर दो जब तक मेरा ध्‍यान न बंट जाए। इसलिए अब तुरन्‍त मुझे मेरा स्‍वप्‍न बताओ जिससे मुझे मालूम हो जाए कि तुम मुझे उसका अर्थ भी बता सकोगे।’ कसदी पंडितों ने राजा को उत्तर दिया, ‘महाराज, संसार में ऐसा कोई मनुष्‍य नहीं है जो आपकी बात को पूरा कर सके। किसी भी महान और शक्‍तिशाली सम्राट ने ज्‍योतिषियों, तांत्रिकों, और कसदी पंडितों से कभी ऐसी बात नहीं पूछी। जो बात महाराज हमसे पूछ रहे हैं, वह कठिन है, और केवल देवता ही महाराज को उनका स्‍वप्‍न बता सकते हैं। पर देवता तो मनुष्‍य के मध्‍य नहीं रहते।’ यह बात सुनकर राजा नबूकदनेस्‍सर नाराज हो गया। उसका क्रोध भड़क उठा। उसने राजाज्ञा दी कि बेबीलोन देश के समस्‍त दरबारी विद्वान − ज्‍योतिषी, तांत्रिक, शकुन विचारनेवाले और कसदी पंडित − मौत के घाट उतार दिए जाएंगे। यह राजाज्ञा समस्‍त देश में प्रसारित की गई कि दरबार के सब विद्वानों का वध कर दिया जाएगा। राजा के अंगरक्षक दानिएल और उसके साथियों का वध करने के लिए उनको ढूंढ़ रहे थे। तब दानिएल ने राजा के अंगरक्षकों के नायक अर्योक से सोच-समझकर, बुद्धिमानी से बातें कीं। अर्योक बेबीलोन देश के समस्‍त दरबारी विद्वानों का वध करने निकला था। दानिएल ने नायक अर्योक से पूछा, ‘महाराज ने इतनी निष्‍ठुर राजाज्ञा क्‍यों प्रसारित की?’ तब अर्योक ने दानिएल को कारण बताया। अत: दानिएल राजमहल में गया, और उसने राजा नबूकदनेस्‍सर से निवेदन किया, “महाराज, आप मेरे लिए कोई समय निश्‍चित कर दें; क्‍योंकि मैं इस निश्‍चित समय पर महाराज का स्‍वप्‍न और उसका अर्थ बता दूंगा।” तत्‍पश्‍चात् दानिएल अपने घर गया, और वहाँ उसने अपने साथियों − हनन्‍याह, मीशाएल और अजर्याह − को यह बात बताई, और उसने उनसे कहा कि वे इस रहस्‍य के सम्‍बन्‍ध में स्‍वर्गिक परमेश्‍वर से प्रार्थना कर उसकी दया प्राप्‍त करें ताकि बेबीलोन के सब दरबारी विद्वानों के साथ हम भी नष्‍ट न किए जाएं। दानिएल के साथियों ने ऐसा ही किया। और रात के समय दर्शन के माध्‍यम से दानिएल पर रहस्‍य प्रकट किया गया। दानिएल से स्‍वर्गिक परमेश्‍वर को धन्‍यवाद दिया। उसने कहा: “परमेश्‍वर का नाम युग-युगांत धन्‍य है, बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं। परमेश्‍वर ही काल का नियंता और ऋतुओं का परिवर्तनकर्त्ता है। वही राजाओं को सिंहासन पर बैठाता, और वही उनको पदच्‍युत करता है। परमेश्‍वर ही बुद्धिमान को बुद्धि और समझदार को समझ देता है। परमेश्‍वर ही रहस्‍यमय भेदों को प्रकट करता है; वह अन्‍धकार में छिपे भेद को जानता है; उसके साथ ज्‍योति का निवास है। ‘हे परमेश्‍वर, मेरे पूर्वजों के परमेश्‍वर, मैं तुझे धन्‍यवाद देता, और तेरी स्‍तुति करता हूं। तूने ही मुझे बुद्धि और बल प्रदान किया है; और अब तूने उस रहस्‍य को हम पर प्रकट किया, जो हमने तुझ से मांगा था; तूने हमें राजा का स्‍वप्‍न बता दिया।’ दानिएल अर्योक के पास गया, जिसको राजा नबूकदनेस्‍सर ने बेबीलोन के दरबारी विद्वानों का वध करने के लिए नियुक्‍त किया था। दानिएल ने उससे निवेदन किया, ‘आप बेबीलोन के दरबारी विद्वानों की हत्‍या मत कीजिए। कृपया, आप मुझे राजमहल में महाराज के पास ले चलिए। मैं महाराज को उनका स्‍वप्‍न और उसका अर्थ बताऊंगा।’ अत: अर्योक दानिएल को अविलम्‍ब राजा के महल में ले गया। उसने राजा से यों कहा, ‘महाराज, मुझे यहूदा प्रदेश के प्रवासियों में यह व्यक्‍ति मिला है, जो आपका स्‍वप्‍न और उसका अर्थ आपको बता सकता है।’ दानिएल से, जिसका विदेशी नाम बेलतशस्‍सर था, राजा नबूकदनेस्‍सर ने पूछा, “क्‍या तुम में इतनी सामर्थ्य है कि तुम मेरे देखे हुए स्‍वप्‍न को और उसका अर्थ मुझे बता सको?’