2 इतिहास 8

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सुलेमान के अन्‍य निर्माण-कार्य
1राजा सुलेमान के प्रभु का भवन तथा अपना महल बनाने में बीस वर्ष लगे।#1 रा 9:10-28 2बीस वर्षों के पश्‍चात् उसने उन नगरों का पुन: निर्माण किया जो हूराम ने सुलेमान को दिए थे। राजा सुलेमान ने उनमें इस्राएलियों को बसा दिया।
3राजा सुलेमान ने सोबा प्रदेश के हमात नगर पर आक्रमण किया और उसको अपने अधीन कर लिया। 4उसने निर्जन प्रदेश के तदमोर नगर तथा हमात नगर के सब भण्‍डार-गृहों का पुन: निर्माण किया। 5उसने निचला बेत-होरोन और उपरला बेत-होरोन का पुन: निर्माण किया। उसने इनके प्रवेश-द्वारों, शहरपनाहों और अर्गलाओं को बनाया और यों नगरों को दृढ़ किया। 6उसने बालात नगर को बसाया। उसने अपने सब भण्‍डार-गृहों, रथों और अश्‍वशालाओं के लिए नगर बसाए। उसने अपने घुड़सवारों के लिए भी नगर बसाए। इनके अतिरिक्‍त राजा सुलेमान ने अपनी इच्‍छा से अपने राज्‍य-क्षेत्र में, यरूशलेम नगर तथा लबानोन प्रदेश में अनेक भवन निर्मित किए। 7हित्ती, एमोरी, परिज्‍जी, हिव्‍वी और यबूसी जाति के बचे हुए लोग, जो इस्राएली जाति के नहीं थे, 8जिन्‍हें इस्राएली पूर्णत: नष्‍ट नहीं कर सके थे, और जिनके वंशज देश में बच गए थे; राजा सुलेमान ने इन जातियों के लोगों से भवन-निर्माण के कार्य में गुलाम के सदृश बेगार कराई। वे आज भी इस्राएलियों की बेगार करते हैं। 9राजा सुलेमान ने इस्राएलियों से बेगार नहीं कराई। वे राजा सुलेमान की सेना में सैनिक, सेनानायक, सेनापति, सारथी और घुड़सवार सैनिक थे। 10राजा सुलेमान की सेवा में दो सौ पचास उच्‍चाधिकारी थे जो जनता के मध्‍य राज्‍य-कार्य चलाते थे।
11राजा सुलेमान राजा फरओ की पुत्री को जो उसकी पत्‍नी थी, दाऊद-पुर से उस महल में ले गया जिसको उसने उसके लिए बनाया था। राजा सुलेमान ने यह कहा ‘मेरी पत्‍नी इस्राएल देश के राजा मेरे पिता दाऊद के महल में नहीं रहेगी; क्‍योंकि इस स्‍थान में प्रभु की मंजूषा ने प्रवेश किया है, और यह स्‍थान पवित्र है।’
12राजा सुलेमान ने मन्‍दिर की ड्‍योढ़ी के सामने प्रभु के लिए एक वेदी बनाई थी। उसने उस वेदी पर अग्‍नि-बलि चढ़ाई। 13वह मूसा की व्‍यवस्‍था के नियमानुसार निर्धारित पर्वों पर − विश्राम-दिवस, नवचन्‍द्र पर्व, तथा तीनों वार्षिक त्‍योहारों − बेखमीर रोटी के पर्व, सप्‍ताहों के पर्व और मण्‍डपों के पर्व − पर बलि चढ़ाया करता था। वह पर्व के निश्‍चित दिन बलि चढ़ाता था।#गण 28:3-26; नि 23:14 14उसके पिता दाऊद ने पुरोहितों और उप-पुरोहितों के सेवा-कार्य अलग-अलग बांट दिए थे। उसने अपने पिता के प्रबन्‍ध के अनुसार ऐसा ही किया: उसने पुरोहित-कार्य सम्‍पन्न करने के लिए पुरोहितों के दल बनाए, और उनकी बारी निश्‍चित कर दी। उसने उप-पुरोहितों का गायक-दल नियुक्‍त किया। ये उप-पुरोहित आराधना के समय न केवल वाद्य-यन्‍त्र बजाते थे, बल्‍कि वे दैनिक आराधना में पुरोहितों की सहायता भी करते थे। राजा सुलेमान ने मन्‍दिर के प्रवेश-द्वारों पर पहरा देने के लिए उप-पुरोहितों के अनेक दल बना दिए थे। इस प्रकार उप-पुरोहित द्वारपाल भी थे; क्‍योंकि परमेश्‍वर के जन दाऊद ने ऐसा ही आदेश दिया था। 15पुरोहितों और उप-पुरोहितों ने राजा के सब आदेशों का पूर्णत: पालन किया। यहां तक कि भण्‍डार-गृहों, तथा मन्‍दिर के कोषागार के सम्‍बन्‍ध में भी वे राजा के आदेश का पालन करते थे।
16यों राजा सुलेमान का निर्माण-कार्य − प्रभु के भवन की नींव डालने के दिन से, उसके बनकर तैयार होने तक का समस्‍त कार्य − समाप्‍त हुआ। इस प्रकार प्रभु का भवन निर्मित हो गया।
17प्रभु का भवन बनाने के पश्‍चात् राजा सुलेमान एस्‍योन-गेबेर के बन्‍दरगाह पर† गया। यह बन्‍दरगाह आकाबा की खाड़ी के तट पर स्‍थित एलोत नगर के समीप एदोम देश में था।#8:17 मूल में ‘और समुद्र के तट पर स्‍थित एलोत नगर को’। 18राजा हूराम ने जहाजी बेड़े में अपने सेवकों को, जो नाविक थे और समुद्र-मार्ग से परिचित थे, सुलेमान के सेवकों के पास भेजा। वे ओपीर देश गए और वहां से प्राय: पन्‍द्रह हजार किलो सोना लेकर लौटे। उन्‍होंने यह सोना राजा सुलेमान को दे दिया।

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