2 इतिहास 28
28
आहाज का राज्य
1जब आहाज ने राज्य करना आरम्भ किया तब वह बीस वर्ष का था। उसने सोलह वर्ष तक राजधानी यरूशलेम में राज्य किया। उसने अपने पूर्वज दाऊद के आचरण का अनुसरण नहीं किया। उसने वे कार्य नहीं किये जो प्रभु की दृष्टि में उचित हैं।#2 रा 16:2-4 2वह इस्राएल प्रदेश के राजाओं के मार्ग पर चला। उसने बअल देवता की मूर्तियाँ भी बनाईं। 3जिन जातियों को प्रभु ने इस्राएली लोगों को बसाने के लिए कनान देश से निकाल दिया था, उनकी घृणित प्रथा के अनुसार वह हिन्नोम की घाटी में सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाता था, और उसने अपने पुत्रों को अग्नि में बलि के रूप में भी चढ़ाया।#लेव 18:21 4वह पहाड़ी शिखर की वेदियों पर, पहाड़ियों पर तथा प्रत्येक हरे वृक्ष के नीचे पशु-बलि चढ़ाता और सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाता था।
5अत: आहाज के प्रभु परमेश्वर ने उसको सीरिया के राजा के हाथ में सौंप दिया। सीरिया के राजा ने उसको पराजित कर दिया, और उसके राज्य के हजारों निवासियों को बन्दी बनाकर राजधानी दमिश्क में ले गया। प्रभु परमेश्वर ने उसको इस्राएल प्रदेश के राजा के हाथ में भी सौंप दिया, जिसने उसकी सेना का महासंहार किया, और उसको परास्त कर दिया।#यश 7:1; 2 रा 16:5 6इस्राएल प्रदेश के राजा पेकह बेन-रमलयाह ने यहूदा प्रदेश में एक दिन में ही एक लाख बीस हजार सैनिकों का वध कर दिया। ये सब सशक्त योद्धा थे। इन्होंने अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को त्याग दिया था, इसलिए ये मौत के घाट उतार दिये गए। 7एफ्रइम-निवासी जिक्री नामक एक शूरवीर योद्धा था। उसने राजपुत्र मासेयाह, राजमहल के सेना-नायक अज्रीकाम और एलकाना को मार डाला। एलकाना राजा आहाज का दाहिना हाथ था।
8इस्राएली सैनिक अपने जाति-बन्धुओं के स्त्री-पुरुषों और पुत्र-पुत्रियों को बन्दी बनाकर सामरी नगर ले गए। बन्दियों की संख्या दो लाख थी। वे अपने जाति भाई-बन्धुओं की धन-सम्पत्ति भी लूटकर ले गए। 9उनके मध्य वहाँ प्रभु का एक नबी था। उसका नाम ओबेद#28:9 अथवा, ‘ओदेद’ था। जब इस्राएली प्रदेश के सैनिक सामरी नगर में पहुंचे, तब वह उनसे मिलने के लिए गया। नबी ओबेद ने उनसे कहा, ‘यह सच है कि तुम्हारा प्रभु परमेश्वर यहूदा प्रदेश के निवासियों से क्रुद्ध था; और इसलिए उसने तुम्हारे हाथ में उनको सौंप दिया। किन्तु तुमने निर्दयता से उनका महासंहार किया। उनकी करुण चीत्कार परमेश्वर के पास स्वर्ग तक पहुँची है। 10और अब तुम यहूदा प्रदेश और यरूशलेम के स्त्री-पुरुषों को गुलाम बनाकर अपने अधीन रखना चाहते हो। यह अपराध करके क्या तुम अपने प्रभु परमेश्वर की दृष्टि में अपने विरुद्ध पाप नहीं कर रहे हो? 11अब तुम मेरी बात सुनो, और अपने जाति भाई-बन्धुओं को, जिन्हें तुमने बन्दी बना लिया है, वापस यहूदा प्रदेश भेज दो; क्योंकि प्रभु की भयंकर क्रोधाग्नि तुम पर भड़कनेवाली है।’
12वहाँ एफ्रइम कुल-क्षेत्र के कुछ अगुए थे। उनके नाम इस प्रकार हैं: अजर्याह बेन-योहानान, बेरेक्याह बेन-मशिल्लेमोत, यहिजकियाह बेन-शल्लूम, और अमासा बेन-हद्लै। ये अगुए युद्ध से लौटनेवाले इस्राएली सैनिकों के सम्मुख खड़े हो गए। 13उन्होंने उनसे कहा, ‘तुम इन बन्दियों को हमारे प्रदेश में यहाँ मत लाओ। तुम्हारे इस कार्य के कारण हम प्रभु के प्रति दोषी ठहरेंगे। हम प्रभु के प्रति अपराधी और दोषी हैं ही। उनमें एक और अपराध जुड़ जाएगा। हम प्रभु के प्रति महाअपराध कर चुके हैं; और उसकी क्रोधाग्नि हम इस्राएलियों पर भड़की हुई है।’ 14अत: सशस्त्र सैनिकों ने उच्चाधिकारियों और जनता के सामने अपने बन्दियों को छोड़ दिया। उन्होंने लूट भी वहीं छोड़ दी। 15एफ्रइम कुल-क्षेत्र के अगुए, जिनके नाम ऊपर लिखे हुए हैं, उठे, और उन्होंने बन्दियों को संभाला। उनमें अनेक बन्दी नंगे थे। उनको अगुओं ने लूट के माल से वस्त्र पहिनाए। उन्होंने न केवल कपड़े पहिनाए, वरन् पैरों में जूते भी पहिनाए। उनको खाने को भोजन दिया, और पीने को पानी। उनके सिर पर तेल मल। कमजोर और बीमारों को गधे पर बैठाया, और सब बन्दी जनों को उनके जाति भाई-बन्धुओं के पास खजूर वृक्षों के नगर यरीहो पहुंचा दिया। तत्पश्चात् अगुए सामरी नगर को लौट गए। #लू 10:29-37
16उस समय राजा आहाज ने सहायता के लिए असीरिया देश के राजा के पास दूत भेजे; 17क्योंकि एदोमी सैनिकों ने यहूदा प्रदेश पर पुन: आक्रमण कर उसको पराजित कर दिया था, और वे यहूदा प्रदेश के अनेक निवासियों को बन्दी बनाकर ले गए थे। 18पलिश्तियों ने भी शफेलाह के चरागाह, और यहूदा प्रदेश के दक्षिण क्षेत्र नेगेब के नगरों पर चढ़ाई कर इनको अपने अधिकार में कर लिया था, और वहां वे बस गए थे। नेगेब क्षेत्र के नगरों के नाम इस प्रकार हैं : बेतशमेश, अय्यालोन, गदेरोत, सोको और उसके गांव, तिम्ना और उसके गांव, तथा गिमजो और उसके गांव। 19यहूदा प्रदेश#28:19 अथवा, ‘इस्राएल’ के राजा आहाज के कारण प्रभु ने यहूदा प्रदेश का पतन किया था; क्योंकि आहाज ने यहूदा प्रदेश के साथ मनमाना व्यवहार किया था और प्रभु के साथ विश्वासघात किया था। 20तब असीरिया देश के राजा तिग्लत-पलेसेर ने उस पर आक्रमण किया; और वह उसको सुदृढ़ करने के बदले उसे सताने लगा। 21आहाज ने प्रभु के भवन और राजमहल के कोषागारों की सोना-चांदी को निकाला, और असीरिया के राजा को भेंट के रूप में दे दिया। तो भी उसकी इस भेंट से उसको सहायता प्राप्त न हुई।
22अपने संकट के दिनों में यही राजा आहाज प्रभु के प्रति और अधिक विश्वासघात करने लगा। 23सीरिया के राष्ट्रीय देवताओं ने उसको पराजित किया था, अत: वह दमिश्क की वेदियों पर उनको बलि चढ़ाने लगा। वह यह सोचता था, ‘सीरिया के राजाओं के देवताओं ने युद्ध में उनकी सहायता की थी; अब यदि मैं उनको बलि चढ़ाऊंगा तो वे मेरी भी सहायता करेंगे।’ किन्तु सीरिया के ये देवता आहाज और समस्त इस्राएलियों के विनाश का कारण बन गए। 24राजा आहाज ने परमेश्वर के भवन के सब पात्रों को इकट्ठा किया, और उसके बाद उन पात्रों के टुकड़े-टुकड़े कर दिये। उसने प्रभु के भवन के द्वार बन्द कर दिये, और यरूशलेम नगर के कोने-कोने में स्वयं वेदियां बनवाईं। 25उसने यहूदा प्रदेश के सब नगरों में अन्य देवी-देवताओं को अग्नि-बलि चढ़ाने के लिए वेदियां निर्मित कीं, और यों अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर का क्रोध भड़काया। 26आहाज के शेष कार्यों का विवरण, उसके आचरण का वर्णन आरम्भ से अन्त तक ‘यहूदा और इस्राएल प्रदेशों के राजाओं का इतिहास-ग्रन्थ’ में लिखा हुआ है। 27तब आहाज अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया। उसको यरूशलेम नगर में गाड़ा गया; परन्तु उसका शव इस्राएल के राजाओं के कब्रिस्तान में नहीं दफनाया गया। उसका पुत्र हिजकियाह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।#यश 14:28; 2 रा 16:20
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2 इतिहास 28: HINCLBSI
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