2 इतिहास 14

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1 # 14:1 मूल में अध्‍याय 13:23; 14:1 तत्‍पश्‍चात् अबियाह अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया। लोगों ने उसको दाऊदपुर में गाड़ा। उसके स्‍थान पर उसका पुत्र आसा राज्‍य करने लगा।
आसा का राज्‍य
आसा के राज्‍यकाल में दस वर्ष तक देश में शान्‍ति रही। 2#14:2 मूल में अध्‍याय 13:23; 14:1उसने वही कार्य किया जो प्रभु परमेश्‍वर की दृष्‍टि में उचित था। 3उसने अन्‍य जाति की वेदियां, पहाड़ी शिखर के पूजागृह ध्‍वस्‍त कर दिए। उसने पूजा-स्‍तम्‍भ तथा अशेराह देवी की प्रतिमा को काट दिया।#नि 34:13 4उसने यहूदा प्रदेश के निवासियों को आदेश दिया कि वे अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्‍वर के दर्शन के खोजी बनें, और उसकी व्‍यवस्‍था तथा आज्ञाओं का पालन करें। 5यहूदा प्रदेश के नगरों में पहाड़ी शिखरों पर पूजागृह तथा धूप-वेदियां थीं। उसने सब नगरों से उनको हटा दिया। यों उसके अधीन समस्‍त राज्‍य में शान्‍ति रही।
6समस्‍त राज्‍य में शान्‍ति थी। अत: राजा ने यहूदा प्रदेश में किलाबन्‍द नगरों का निर्माण किया। प्रभु ने उस को शान्‍ति प्रदान की थी। उसके राज्‍य-काल में युद्ध नहीं हुए। 7उसने यहूदा प्रदेश के निवासियों से कहा, ‘आओ, हम अपने नगरों का पुनर्निर्माण करें, और उनको शहरपनाह से घेरें। उनमें किले और दरवाजे बनाएं, दरवाजों में पल्‍ले और बेड़ें लगवाएं। यह देश अब तक हमारा है; क्‍योंकि हम अपने प्रभु परमेश्‍वर के खोजी हैं। हमने उसको खोजा, और उसने हमें चहुंओर शान्‍ति प्रदान की।’ अत: उन्‍होंने नगरों का पुनर्निर्माण-कार्य आरम्‍भ किया, और वे अपने कार्य में सफल भी हुए।
8राजा आसा के पास यहूदा प्रदेश तथा बिन्‍यामिन कुल-क्षेत्र के सैनिक थे: यहूदा प्रदेश के तीन लाख सैनिक तथा बिन्‍यामिन कुल-क्षेत्र के दो लाख अस्‍सी हजार सैनिक। यहूदा प्रदेश के सैनिक ढाल और बर्छी रखते थे, और बिन्‍यामिन के सैनिक फरी और धनुष धारण करते थे। सब सैनिक सशक्‍त और शूरवीर थे।
इथियोपिया देश के राजा जेरह का आक्रमण
9इथियोपिया देश का राजा जेरह यहूदा प्रदेश पर आक्रमण करने के लिए निकला। उसकी सेना में दस लाख सैनिक, और तीन सौ रथ थे। वह मारेशा नामक स्‍थान तक पहुंच गया। 10आसा उसका सामना करने के लिए निकला। उन्‍होंने सापता घाटी में, मारेशा में युद्ध के लिए पंिक्‍त बांधी।
11तब राजा आसा ने प्रभु परमेश्‍वर की दुहाई दी। उसने कहा, ‘हे प्रभु, निर्बल की सहायता करने वाला तेरे समान और कौन ईश्‍वर है? जब बलवान और निर्बल में लड़ाई होती है, तब तू निर्बल की सहायता करता है।#14:11 शब्‍दश: ‘जैसे तू बलवान की सहायता कर सकता है, वैसे ही निर्बल की भी’। हे प्रभु परमेश्‍वर, हमारी सहायता कर; क्‍योंकि हमने तुझ पर भरोसा किया है। हम तेरे नाम में ही शत्रु की इस विशाल सेना का सामना करने के लिए आए हैं। हे प्रभु, तू ही हमारा परमेश्‍वर है। कोई भी मनुष्‍य तुझ पर प्रबल न हो!’
12अत: प्रभु ने राजा आसा और यहूदा प्रदेश की सेना के सम्‍मुख इथियोपियाई सेना को पराजित कर दिया। इथियोपियाई सेना सिर पर पैर रखकर भागी। 13किन्‍तु राजा आसा तथा उसके साथ के सैनिकों ने गरार नगर तक उनका पीछा किया। इथियोपियाई सैनिक धराशायी होते गए, और उनका एक भी सैनिक प्राण बचाकर न भाग सका। वे प्रभु और इसकी सेना के सम्‍मुख टूट गए! यहूदा प्रदेश के सैनिकों को अपार लूट हाथ लगी। 14उन्‍होंने गरार के आस-पास के सब नगरों को खण्‍डहर बना दिया; क्‍योंकि प्रभु का आतंक उन पर छाया हुआ था। उन नगरों में लूट का बहुत माल था। अत: उन्‍होंने उनको लूट लिया। 15पशु-पालन करने वाले लोग तम्‍बू में रहते थे। यहूदा के सैनिकों ने उनके तम्‍बू उखाड़ दिए, और असंख्‍य भेड़-बकरी और ऊंट लूटकर ले गए। तब वे राजधानी यरूशलेम को लौटे।

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