1 तिमोथी 6:11-20

1 तिमोथी 6:11-20 HINCLBSI

परमेश्‍वर का सेवक होने के नाते तुम इन सब बातों से अलग रह कर धार्मिकता, भक्‍ति, विश्‍वास, प्रेम, धैर्य तथा विनम्रता की साधना करो। विश्‍वास के उत्तम संघर्ष में संघर्ष करते रहो और उस शाश्‍वत जीवन पर अधिकार प्राप्‍त करो, जिसके लिए तुम बुलाये गये हो और जिसके विषय में तुमने बहुत-से गवाहों के सामने अपने विश्‍वास की उत्तम साक्षी दी है। परमेश्‍वर की उपस्‍थिति में, जो सब को जीवन प्रदान करता है, और येशु मसीह की उपस्‍थिति में, जिन्‍होंने राज्‍यपाल पोंतियुस पिलातुस के सम्‍मुख उत्तम साक्षी दी, मैं तुम को यह आदेश देता हूँ कि हमारे प्रभु येशु मसीह के प्रकट होने तक निष्‍कलंक तथा निर्दोष रूप से अपने दायित्‍व का पालन करो। यह प्रकटीकरण यथासमय परमधन्‍य तथा एकमात्र अधीश्‍वर के द्वारा होगा। वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है, जो अमरता का एकमात्र स्रोत है, जो अगम्‍य ज्‍योति में निवास करता है, जिसे न तो किसी मनुष्‍य ने कभी देखा है और न कोई देख सकता है। उसे सम्‍मान प्राप्‍त हो तथा उसका सामर्थ्य युगानुयुग बना रहे! आमेन! इस वर्तमान संसार के धनवानों से अनुरोध करो कि वे घमण्‍ड न करें और नश्‍वर धन-सम्‍पत्ति पर नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर पर भरोसा रखें, जो हमारे उपभोग की सब वस्‍तुएं पर्याप्‍त मात्रा में देता है। वे भलाई करते रहें, सत्‍कर्मों के धनी बनें, दानशील हों और परस्‍पर सहयोग दें। इस प्रकार वे अपने लिए एक ऐसी पूँजी एकत्र करेंगे, जो भविष्‍य का उत्तम आधार होगी और जिसके द्वारा वे वास्‍तविक जीवन प्राप्‍त कर सकेंगे। तिमोथी! जो निधि तुम्‍हें सौपी गयी है, उसे सुरक्षित रखो। अधार्मिक शब्‍द-आडम्‍बर और मिथ्‍या ‘ज्ञान’ के वाद-प्रतिवादों से दूर रहो।

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