बिन्यामिन कुल का एक सैनिक युद्ध भूमि से भागा। वह उसी दिन शिलोह पहुँचा। उसके वस्त्र फटे हुए थे। सिर पर धूल थी। जब वह आया तब एली द्वार के पास अपने आसन पर बैठा हुआ था। उसका हृदय परमेश्वर की मंजूषा के लिए विकल था। जब सैनिक ने नगर में प्रवेश किया, और नगर-वासियों को युद्ध का समाचार सुनाया तब सारा नगर चिल्ला उठा। एली ने चिल्लाने की आवाज सुनी। उसने पूछा, ‘इस होहल्ला, चिल्लाहट का कारण क्या है?’ सैनिक एली के पास तुरन्त आया। उसने एली को युद्ध का समाचार सुनाया। उस समय एली की उम्र अट्ठानबे वर्ष थी। उसकी आँखें धुंधली पड़ गई थीं। वह देख नहीं सकता था। सैनिक ने एली से कहा, ‘मैं ही युद्ध-भूमि से आनेवाला व्यक्ति हूँ। मैं आज ही युद्ध-भूमि से भाग कर आया हूँ।’ एली ने पूछा, ‘पुत्र, युद्ध का क्या समाचार है?’ समाचार लाने वाले व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘इस्राएली पलिश्तियों के सम्मुख से भाग गए हैं। इस्राएली सेना का महा संहार हुआ है। आप के दोनों पुत्र, होफ्नी और पीनहास भी मारे गए हैं। पलिश्तियों ने परमेश्वर की मंजूषा छीन ली है।’ ज्यों ही उसने परमेश्वर की मंजूषा का उल्लेख किया, त्योंही एली अपने आसन से पीछे की ओर द्वार के पास, लुढ़क गया। उसकी गर्दन टूट गई, और तत्काल उसकी मृत्यु हो गई, क्योंकि वह बूढ़ा आदमी था। उसका शरीर भारी-भरकम था। उसने चालीस वर्ष तक इस्राएलियों पर शासन किया था। एली की बहू, पीनहास की पत्नी गर्भवती थी। उसका प्रसव-काल निकट था। जब उसने यह समाचार सुना कि परमेश्वर की मंजूषा छीन ली गई है और उसके ससुर तथा पति की मृत्यु हो गई, तब उसे प्रसव-पीड़ा होने लगी। वह पीड़ा से नीचे झुक गई, और उसको बच्चा हो गया। उसके आस-पास स्त्रियाँ थीं। वे उसकी मृत्यु के समय उससे बोलीं, ‘मत डरो। तुम्हें पुत्र हुआ है।’ परन्तु उसने न उत्तर दिया, और न ध्यान। उसने पुत्र का नाम ईकाबोद रखा। उसने कहा, ‘इस्राएल से प्रभु की महिमा उठ गई!’ (क्योंकि परमेश्वर की मंजूषा को पलिश्तियों ने छीन लिया था, और उसके ससुर तथा पति की मृत्यु हो गई थी।) उसने कहा, ‘इस्राएल से प्रभु की महिमा उठ गई; क्योंकि परमेश्वर की मंजूषा छीन ली गई!’
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