1 योहन 4:7-12

1 योहन 4:7-12 HINCLBSI

प्रियो! हम एक दूसरे से प्रेम करें, क्‍योंकि प्रेम परमेश्‍वर से उत्‍पन्न होता है। जो प्रेम करता है, वह परमेश्‍वर की सन्‍तान है और परमेश्‍वर को जानता है। जो प्रेम नहीं करता, वह परमेश्‍वर को नहीं जानता; क्‍योंकि परमेश्‍वर प्रेम है। परमेश्‍वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में इसलिए भेजा कि हम उसके द्वारा जीवन प्राप्‍त करें। प्रेम इसमें नहीं है कि हमने परमेश्‍वर से प्रेम किया, बल्‍कि परमेश्‍वर ने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्‍चित के लिए अपने पुत्र को भेजा। प्रियो! यदि परमेश्‍वर ने हमसे इतना प्रेम किया, तो हम को भी एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए। परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा। यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्‍वर हम में निवास करता है और हम में उसका प्रेम परिपूर्णता तक पहुंच जाता है।

Verse Images for 1 योहन 4:7-12

1 योहन 4:7-12 - प्रियो! हम एक दूसरे से प्रेम करें, क्‍योंकि प्रेम परमेश्‍वर से उत्‍पन्न होता है। जो प्रेम करता है, वह परमेश्‍वर की सन्‍तान है और परमेश्‍वर को जानता है। जो प्रेम नहीं करता, वह परमेश्‍वर को नहीं जानता; क्‍योंकि परमेश्‍वर प्रेम है। परमेश्‍वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में इसलिए भेजा कि हम उसके द्वारा जीवन प्राप्‍त करें। प्रेम इसमें नहीं है कि हमने परमेश्‍वर से प्रेम किया, बल्‍कि परमेश्‍वर ने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्‍चित के लिए अपने पुत्र को भेजा।
प्रियो! यदि परमेश्‍वर ने हमसे इतना प्रेम किया, तो हम को भी एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए। परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा। यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्‍वर हम में निवास करता है और हम में उसका प्रेम परिपूर्णता तक पहुंच जाता है।1 योहन 4:7-12 - प्रियो! हम एक दूसरे से प्रेम करें, क्‍योंकि प्रेम परमेश्‍वर से उत्‍पन्न होता है। जो प्रेम करता है, वह परमेश्‍वर की सन्‍तान है और परमेश्‍वर को जानता है। जो प्रेम नहीं करता, वह परमेश्‍वर को नहीं जानता; क्‍योंकि परमेश्‍वर प्रेम है। परमेश्‍वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में इसलिए भेजा कि हम उसके द्वारा जीवन प्राप्‍त करें। प्रेम इसमें नहीं है कि हमने परमेश्‍वर से प्रेम किया, बल्‍कि परमेश्‍वर ने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्‍चित के लिए अपने पुत्र को भेजा।
प्रियो! यदि परमेश्‍वर ने हमसे इतना प्रेम किया, तो हम को भी एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए। परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा। यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्‍वर हम में निवास करता है और हम में उसका प्रेम परिपूर्णता तक पहुंच जाता है।

निःशुल्क पठन योजनाएँ और भक्तिपूर्ण पठन योजनाएँ जो 1 योहन 4:7-12 से संबंधित हैं