परमेश्वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्वासियों को बचाना चाहा। यहूदी चमत्कार माँगते और यूनानी ज्ञान चाहते हैं, किन्तु हम क्रूसित मसीह का ही प्रचार करते हैं। यह यहूदियों के विश्वास में बाधा है और गैर-यहूदियों के लिए ‘मूर्खता’। किन्तु परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए, चाहे वे यहूदी हों या यूनानी, यही मसीह परमेश्वर का सामर्थ्य और परमेश्वर की प्रज्ञ है; क्योंकि परमेश्वर की ‘मूर्खता’ मनुष्यों के ज्ञान से अधिक विवेकपूर्ण और परमेश्वर की ‘दुर्बलता’ मनुष्यों की शक्ति से अधिक शक्तिशाली है। भाइयो और बहिनो! इस बात पर विचार कीजिए कि बुलाये जाते समय संसार की दृष्टि में आप लोगों में से बहुत कम लोग ज्ञानी, शक्तिशाली अथवा कुलीन थे। ज्ञानियों को लज्जित करने के लिए परमेश्वर ने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्टि में मूर्ख हैं। शक्तिशालियों को लज्जित करने के लिए उसने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्टि में दुर्बल हैं। गण्य-माण्य लोगों का घमण्ड चूर करने के लिए उसने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्टि में तुच्छ, नीच और नगण्य हैं, जिससे कोई भी निरा मनुष्य परमेश्वर के सामने गर्व न करे।
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