प्रभु के दूत ने गाद को आदेश दिया कि वह दाऊद के पास जाए, और उससे कहे कि वह यबूसी ओर्नान के खलियान पर प्रभु के लिए एक वेदी प्रतिष्ठित करे। प्रभु के नाम में गाद ने दाऊद से कहा। दाऊद गाद के कथन के अनुसार गया। उस समय ओर्नान गेहूं दांव रहा था। उसके साथ उसके चार पुत्र थे। वह पीछे मुड़ा। उसने दूत को देखा। उसके चारों पुत्र छिप गए। दाऊद ओर्नान के पास आया। ओर्नान ने दाऊद को देखा। वह खलियान से बाहर निकला। वह भूमि पर मुंह के बल गिरा और उसने दाऊद का अभिवादन किया। दाऊद ने ओर्नान से कहा, ‘मुझे खलियान की यह भूमि दो। मैं इस पर प्रभु के लिए वेदी बनाऊंगा, जिससे महामारी लोगों को छोड़ दे। तुम भूमि के पूरे दाम में यह भूमि मुझे दो।’ ओर्नान ने दाऊद से कहा, ‘महाराज, मेरे स्वामी, भूमि को ले लीजिए। जो आपकी दृष्टि में उचित है, वह उस पर बनाइए। देखिए, मैं बलि के लिए बैल, अग्नि की लकड़ी के लिए दंवरी के औजार, और अन्न-बलि के लिए गेहूँ दूंगा। महाराज, मैं यह सब आपकी सेवा में प्रस्तुत करता हूँ।’ किन्तु राजा दाऊद ने ओर्नान से कहा, ‘नहीं, मैं ये वस्तुएं रुपये देकर ही तुमसे खरीदूंगा। जो तुम्हारा है, वह मैं प्रभु के लिए नहीं लूंगा। मैं ऐसी अग्नि-बलि नहीं चढ़ाऊंगा, जिसका मैंने मूल्य नहीं चुकाया है।’ अत: दाऊद ने भूमि के लिए ओर्नान को सात किलो सोना चुकाया। दाऊद ने वहां प्रभु के लिए वेदी निर्मित की, और अग्नि-बलि तथा सहभागिता-बलि तैयार की। उसने प्रभु को पुकारा, और प्रभु ने अग्नि-बलि की वेदी पर आकाश से अग्नि की वर्षा कर दाऊद को उत्तर दिया। प्रभु ने दूत को आदेश दिया, और दूत ने म्यान में तलवार रख ली।
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