स्तोत्र 119:1-16

स्तोत्र 119:1-16 HSS

कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है. कैसे धन्य हैं वे, जो उनके अधिनियमों का पालन करते हैं तथा जो पूर्ण मन से उनके खोजी हैं. वे याहवेह के मार्गों में चलते हैं, और उनसे कोई अन्याय नहीं होता. आपने ये आदेश इसलिये दिए हैं, कि हम इनका पूरी तरह पालन करें. मेरी कामना है कि आपके आदेशों का पालन करने में मेरा आचरण दृढ़ रहे! मैं आपके आदेशों पर विचार करता रहूंगा, तब मुझे कभी लज्जित होना न पड़ेगा. जब मैं आपकी धर्ममय व्यवस्था का मनन करूंगा, तब मैं निष्कपट हृदय से आपका स्तवन करूंगा. मैं आपकी विधियों का पालन करूंगा; आप मेरा परित्याग कभी न कीजिए. युवा अपना आचरण कैसे स्वच्छ रखे? आपके वचन पालन के द्वारा. मैं आपको संपूर्ण हृदय से खोजता हूं; आप मुझे अपने आदेशों से भटकने न दीजिए. आपके वचन को मैंने अपने हृदय में इसलिये रख छोड़ा है, कि मैं आपके विरुद्ध पाप न कर बैठूं. याहवेह, आपका स्तवन हो; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए. जो व्यवस्था आपके मुख द्वारा निकली हैं, मैं उन्हें अपने मुख से दोहराता रहता हूं. आपके अधिनियमों का पालन करना मेरा आनंद है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई विशाल धनराशि पर आनंदित होता है. आपके नीति-सिद्धांत मेरे चिंतन का विषय हैं, मैं आपकी सम्विधियों की विवेचना करता रहता हूं. आपकी विधियां मुझे मगन कर देती हैं, आपके वचनों को मैं कभी न भूलूंगा.

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