“धन्य हैं वे, जो दीन आत्मा के हैं, क्योंकि स्वर्ग-राज्य उन्हीं का है. धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं. क्योंकि उन्हें शांति दी जाएगी. धन्य हैं वे, जो नम्र हैं क्योंकि पृथ्वी उन्हीं की होगी. धन्य हैं वे, जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि उन्हें तृप्त किया जाएगा.
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