तब प्रभु येशु उन्हें बैथनियाह नामक गांव तक ले गए और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी. जब वह उन्हें आशीष दे ही रहे थे वह उनसे विदा हो गए और स्वर्ग में उठा लिये गये. तब उन्होंने येशु की आराधना की और बहुत ही आनंद में येरूशलेम लौट गए. वे मंदिर में नियमित रूप से परमेश्वर की स्तुति करते रहते थे.
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