इस प्रकार एलूल महीने के पचीसवें दिन को अर्थात् बावन दिन में शहरपनाह बनकर तैयार हो गई। हमारे आसपास रहनेवाली कौमें, हमारे सब शत्रु यह सुनकर भयभीत हो गए। वे स्वयं को अपनी नजर में तुच्छ समझने लगे। उन्हें मालूम हो गया कि हमारे परमेश्वर की सहायता से ही यह निर्माण-कार्य पूरा हुआ है।