मत्ती 7
7
ओकी गाशी दोष-ईल़्जाँम ने लाऐ
(लूका 6:37,38,41,42)
1“दोष-ईल़्जाँम ने लाऐं, जू तुँओं गाशी भे दोष-ईल़्जाँम ने लाया ज़ाव। 2किन्देखे के जेष्णें तुँऐं दोष-ईल़्जाँम लाँव, तेष्णे ही तुँओं गाशी भे दोष-ईल़्जाँम लाया ज़ाँदा; अरह् जेसी पाथें-सोल़े लई तुँऐं मिणों तेसी ही पाथें-सोल़े लई तुँओं खे भे मिणों ज़ालो।
3“तू कैई आप्णें भाई की आँ:खी को साट-तेण्का दे:खे, अरह् आप्णी आँ:खी का लेकड़ा तेरे दे:खिंदा ने? 4जबे तेरी ही आँ:खी दा लेकड़ा असो, तअ तू आप्णें भाई खे कैई बुले, के ‘आ, हाँव तेरी आँ:खी का तेण्का-साट ऊडा गाड़ू?’ 5ओ पाखंडी, आगे आप्णी आँ:खी शा लेकड़ा उडा गाड़, तबे तू आप्णें भाई की आँ:खी को साँट-तेण्का सुवाँ करियों दे:खियों निकाल़ी पाईदा।
6“पबित्र चीजों कुत्ते खे ने दिऐं, अरह् आप्णे मोंत्ती सूऊँरों के मुँहों कैई ने पाँऐ; कद्दी ऐशो ने हऐयों के से तिनू लातो थाँई घीज्णों खे ने पाँव, अरह् तेई पाछू फीरियों तुँओं ऊपाड़ो।
माँगों तअ भेंटलो
(लूका 11:9-13)
7“माँगो, तअ तुँओं खे दियों ज़ालो; जुह्ले तअ तुँओं भेंट्लो, ठक-ठकाले, तअ तुँओं खे ऊडो खुल्ल़ों ज़ालो। 8किन्देखे के जुण्जा कुँऐं माँगो ऐ, तेस्खे दियों ज़ाँव; अरह् जुण्जा जूओं ऐ, तेसी भेंटी ज़ाँव; अरह् जुण्जा ठक-ठकाँव ऐ, तेस्खे खुलो ज़ाँव।
9“तुँओं मुँझी ऐष्णा कुँण आदमी असो, के जे तेस्का बैटा तेसी कैई शी रोटी माँगों, तअ से तेस्खे पाथर दियों? 10अरह् जे से माँछी माँगों, तअ से तेस्खे शंगाव दियों? 11तअ: जबे तुँऐं बुरे हऐयों, आप्णें नहाँन्ड़िया खे आच्छ़ी चींजो देणी जाँणों, तअ तुवाँरा स्वर्गो का पिता आप्णें माँगणों वाल़े खे आछी चीजों कैई ने देंदे? 12ईन्देंखे जुण्जो किऐ तुँऐं चहाँव के आदमी तुँवारी गईलो करह्, तअ तुँऐं भे तिनकी गईलो तेष्णों ही करह्; किन्देखे के ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं अज्ञाँ-निय्म, अरह् पंणमिश्वर की बरंम्बाणीं कर्णो वाल़े के भी ऐजी ही शिक्क्षा असो।
अमर जीवन के बाटो दे ज़ाव
(लूका 13:24)
13“सागँड़े दुवारो बाटी दाखिल हो, किन्देखे के खुले दुवारो बाटी दाखिल हंणो असाँन असो, सेजी बाट जू छ़तियानाँष हंणों खे पंईचाल़ो; अरह् भहिते ऐष्णें लोग असो, जुण्जे ईयों खुली बाटो बाटी ज़ाँव। 14परह् साँगड़ो असो सेजो दुवार, अरह् कठीण असो सेजी बाट, जुण्जी अमर जीवन दियों; अरह् ठीके ही लोग असो, सेजे जुण्जे कठीण बाटो दे चालो।
जेष्णाँ डाल़ तेष्णा ही फल़
(लूका 6:43,44,46; 13:25-27)
15“झूठी बरंम्बाणीं कर्णो वाल़े, ऋषी शे सकने-चौक्क्ष रूऐ, जुण्जे भेंढ़ो के भेष दे तुँओं कैई आँव, परह् से भित्रो शे भूखे भेड़िऐ हों, जू बख्तो गाशी ऊपाड़ियों खाँव। 16तिनके फल़ शे तुँऐं तिनू पछ़याँणी पाँदें। कियो लोग झालो-झाडी शे अंगूरोह्, अरह् कुँईंथों शे तेर्मोल़ो च़ूड़ी सको? 17तेष्णी ही ऐक आच्छ़ी डाल़ी दा आछा फल़ लागो, अरह् निकारी डाल़ी दा नीकारा फल़ लागो। 18ऐष्णों हऐ ने सक्दो, के आछी डाल़ी दा बुरा फल़ लागो; तेष्णा ही बुरी डाल़ी दा आछ़ा फल़ ने लागदा। 19जियों-जियों डाल़ी दा आछा फल़ ने लागदा, सेजी-सेजी डाल़ी काटियों आगी दी पाऐ देंई दी। 20ऐशे ही दाँई तुँऐं तिनके सभाव फल़ शे तिनू पछयाँणीं पाँदे।
21“मुँखे ‘हे प्रभू! हे प्रभू!’ बुल़्णों वाल़े, ऐक नाँम आदमी स्वर्गो के राज्य दे ने ज़ाँदी; परह् सेजे ही स्वर्गो दे ज़ाऐ सको, जुण्जे स्वर्गो के पिता की हिछ़या पुरी करह्। 22तेसी देसे बख्त्ते बेजाऐ भहीते लोग मुँखे बुल्दे, के ‘हे प्रभू, हे प्रभू कियों आँमें तुवाँरें नाँव शी पंणमिश्वर की बरंम्बाणीं करीने थई, अरह् तुँवारी नाँव शी दुष्ट-आत्त्मा निकाल़ी ने थई, अरह् तुँवारे नाँव शे चींन-चंम्त्तकार करीने थई?’ 23तबे हाँव तिनखे खुलियो बुली देऊँबा, ‘मुँऐं तुँओं कद्दी ने जाणी। ओ, कुकर्म कर्णो वाल़े, मुँह कैई शे निक्ल़ी ज़ाव।’
घर बाण्णों वाल़े दो आदमी बुद्धी माँन अरह् मुरूख
(लूका 6:47-49)
24“ईन्देंखे ऐकी नाँमों के बुरा-बरी तिनू आरी करी ज़ाली, जुण्जे मेरी ईनू शिक्क्षा शुणियों ईन्दें का पाल़्ण करह्, से तेसी बुद्धी माँन आदमी जेष्णा हंदा, जेने आप्णों घर ऐकोऊँरी-कऐड़ी गाशी बाँणों। 25ढोंढ फीरो, पाँणी लागो, अरह् बाढ़ आऐयों कटाव लागा, अरह् बागूर फीरी, अरह् तेसी घर शी टकंराऐ, तबे भे से ढल़ी ने, किन्देखे के तिन्दें की नींव-पौह् ऐकोऊँरी-कऐड़ी गाशी पाऐ थंऐ थी। 26परह् जुण्जा कुँऐं मेरी ऐजी बातों शुणों, अरह् ईन्देंखे का पाल़्ण ने करदा, से तेसी बे-अक्ले-मुरूख आदमी जेष्णाँ हों, जेने आप्णों घर बाल़ु-रेत्ते गाशी बंणाँव। 27ढोंढ फीरो, पाँणी लागो, अरह् बाढ़ आऐयों कटाव लागा, बागूर फीरी, अरह् जेई तेसी घरोह् शी टकराई, तेई सेजो घर खरकियों हुटो, अरह् तिन्दें का ऐजा पता ही ने लागी के सेजो घर केथै थियों।”
28जबे प्रभू यीशू ऐ, ऐजी बातो बुली पाई, तअ ऐशो हईयों के तिनकी शिक्षा शुणियों लोगो की तियों बेशुमाँर भीड़ो के तूरंबाँणच़ूटे,
29किन्देखे के प्रभू यीशू की शिक्क्षा असरदार थी, से यहूदी अज्ञाँ-निय्म के शिखाँणों वाल़े के जेष्णी ने थी; परह् हंक-अधिकार वाल़ी शिक्क्षा थी।
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