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मरकुस 11

11
यरुशलेम मे यीशु जिती खे आनो
(मत्ती 21:1-11; लूका 19:28-40; यहून्ना 12:12-19)
1जब वे यरुशलेम का नजीक, जैतून पहाड का किनारा बैतफगे अरु बैतनीय्याह खे पहुच्या ते वोने अपना सेवक मे से दो खे भेजो, 2अरु वुनखे बोल्यो अपना सामने का गाव मे जा अरु जाते ही तुमखे एक गधी को बच्चा बाध्यो हूयो मील्हे, जेका पर अभी तक कोय बठ्या नी. वोखे खोली खे ली खे आ. 3अरु तुमखे कोय पुछ्ये, असो काय बर करस? ते तुमने बोलनू, प्रभु खे का जरुरत हइ, अरु उ तुरुत वोखे वाहा से झल्दी ह्या भेजी दिहे. 4वे गया अरु वुनने बाहेर का गल्ली मे दरवाजा का पास एक गधी का बच्चा खे बाध्यो हुयो पायो, अरु वे वोखे खोलन लग्या. 5व्हा खडा कुछ दुन्या ने वुनखे बोल्यो, “ये का करी रास गधी का बच्चा खे क्यु खोली रास?”
6अरु यीशु ने जसो बतायो थो वुनने वोसोय बोली दियो. तब वुनने वोखे लिजान दियो. 7उ बच्चा खे यीशु का पास लाए अरु उपर अपना कपडा डाली दिया. 8अरु भोत झन ने अपना कपडा रस्ता पर बिछय दिया, अरु दुसरा दुन्या ने खेत मे डग्यान काटी खे फेकी दी. 9वे जो ओका आगे आगे जातो अरु पिछे पिछे चलते आता था, फुकारीखे बोली रा था होशन्ना! आशिर्वाद हइ वे जो परमेश्वर का नाम से आस! 10हमारो बाप दाउद को आन आलो राज आशिर्वाद हइ! बद्दल मे हुये होशन्ना!
11वु यरुशलेम मे प्रवेश करिखे आराधनालय मे आयो. अरु चारी तरप देखी खे बारा होन का सात बैतनीय्याह खे चली दिया, क्युकी सज्जा हुय गि थी.
अंजीर का झाड खे श्राप देनो
(मत्ती 21:18; 19)
12अरु दुसरा दिन जब वे बैतनीय्याह से नीकल्या ते वोखे भुख लगी. 13अरु पत्ता से भऱ्यो एक अंजीर को झाड खे दुर से देखी खे, वु वोका पास गयो कि अचानक कुछ मीली जाह्ये. पन व्हा पहुची खे पत्ता का शिवाय कुछ भी नी था. 14तब वोने झाड खे बोल्यो, “अब से कोय तरो फल कभी खान का नी.”
अरु वोको सेवक सूनी रो थो.
आराधनालय से बेपारी होन खे नीकालनो
(मत्ती 21:12-27; लूका 19:45-48; यहून्ना 2:13-22)
15फिर वे यरुशलेम मे आया अरु वे आराधनालय मे जय खे लेन देन करण आला खे नीकालन लग्या नीष्कलन अरु सोन्नो होन की मेज अरु कबूतर बेचन आला की चौकी उलटय दी. 16अरु वोने कोय खे भी आराधनालय मे हुय खे बराबर लिजान खे नी बोल्यो थो. 17अरु वू वुन खे उपदेस देन लग्यो “यो लिख्यो हइ, मरो घर सब राष्ट्रका लीये प्रार्थना को घर बोल्यो जाह्ये? पन तुमने वोखे डाकु जसो बनय खे रख्योस.”
18अरु महायाजक अरु शास्त्रिहोन ने जब यो सुन्यो ते यीशु खे मारी डालन को बहानो ढुंडन लग्या, क्युकी वे ओकासे डरता था एका लीये सब वो का सीकानासे चकित था.
19अरु संजा होते ये गाव का बाहेर जाता था.
गुल्लेर का झाड की सिक देनो
(मत्ती 21:23-27; लूका 20:1-8)
20फिर फजर की टेम मे जब वे उदर से जइ रा था, ते उनने वु अंजीर को झाड खे जडी तक सुकते हुयो देख्यो. 21पतरस ने ध्यान लगय खे बोल्यो गुरु देख, यो अंजीर को झाड जेखे तोने सराप दियो थो सुखी गयो.
22यीशु ने वोखे बोल्यो, “परमेश्वर पर विश्वास रख. 23मी तुम से सच्ची बोलुस, जो कोय या पहाड से बोल्हे, उखडी जा अरु समुदर मे जयखे गिरी जा,अरु अपना मन मे दुर नी रखनु पन जो कुछ वुनका से बोल्यो, विश्वास कर की हुय जाह्ये ते वोका लीये हुय जाह्ये.” 24येका लीये मी तुमखे बोलुस, कि जो कुछ तुम प्रार्थना मे मागस विश्वास कर की वोखे पय लियो, अरु वु तुमखे मीली जाह्ये. 25अरु जब तुम खडा हुयखे प्रार्थना कर्‍हे ते तुमारा मन मे कोय का भी लिये कुछ बुरो हुये ते वोखे माफ करी देनु, जेमे तुमारो बाप जो स्वर्ग मे हइ तुमारो भी बुरो माफ कर्‍हे. 26पर अगर तुम माफ नी करण का ते तुमारो बाप भी जो स्वर्ग मे हइ तुमारो गुन्हा खे माफ नी करण को.
यीशु का अधिकार पर मनबिचार
(मत्ती 21:23-27; लूका 20:1-8)
27वे फिर यरुशलेम मे आया. अरु जब वु मन्‍दिर मे घुमी रो थो, ते महायाजक बडो पंडीत ने शास्त्री खे अरु बापदादा वोका पास आया, 28वे वोखे पुछन लगीगा, “तु यो काम कोन ता अधिकार से करीरोस अरु यो काम का लीये तोखे कोने दियो?”
29अरु यीशु ने ओखे बोल्यो, “मी तुमखे एक सवाल पुछस. तुम मेखे जवाब दे, फिर मी तुमखे बतायु की यो काम कोन ता अधिकार से करी रोस. 30यहून्ना खे बपतिस्मा देन को अधिकार परमेश्वर का स्वर्ग तरप से थो की इन्सान का तरप से थो? मेखे जवाब दे.”
31वे यो बोली खे आपस मे वाद विवाद करण लग्या, अगर हम बोल्हे, स्वर्ग का तरप से, ते वू बोल्हे, तुमने वोको विश्वास क्युव नी कऱ्यो? 32फिर का हम यो बोला, इन्सान का तरप से वे दुन्या होन से डरता था क्युकी वे सब यो मानता था की यहून्ना सच्ची मे भविष्यव्दक्ता थो. 33यीशु खे जवाब देतो हुये बोल्यो, “हम खे नी मालुम.” अरु यीशु ने उनखे बोल्यो, “मी भी तुमखे नी बतान को की यो काम कोनता अधिकार से करुस.”

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