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नीतिवचन 10

10
सुलैमान के नीतिवचन (10.1–22.16)
1सुलैमान के नीतिवचन।
बुद्धिमान पुत्र से पिता आनंदित होता है,
परंतु मूर्ख पुत्र अपनी माता के दुःख का कारण होता है।
2दुष्‍टता से प्राप्‍त धन से लाभ नहीं होता,
परंतु धार्मिकता मृत्यु से छुड़ाती है।
3यहोवा धर्मी को भूखा नहीं रहने देता,
परंतु वह दुष्‍टों की लालसाओं पर पानी फेर देता है।
4ढीले हाथों से काम करनेवाला निर्धन हो जाता है,
परंतु परिश्रमी के हाथ उसे धनी बना देते हैं।
5जो ग्रीष्मकाल में बटोरता है,
वह बुद्धिमान पुत्र है,
परंतु जो पुत्र कटनी के समय सोता रहता है,
वह लज्‍जा का कारण होता है।
6धर्मी पर आशिषें बनी रहती हैं,
परंतु दुष्‍टों के मुँह पर हिंसा छाई रहती है।
7धर्मी को स्मरण करके लोग आशीर्वाद देते हैं,
परंतु दुष्‍टों का नाम मिट जाएगा।
8जो बुद्धिमान है, वह आज्ञाओं को मानता है,
परंतु जो बकवादी और मूर्ख है,
वह नष्‍ट हो जाएगा।
9खराई से चलनेवाला सुरक्षित रहता है,
परंतु टेढ़ी चाल चलनेवाले का भेद खुल जाएगा।
10जो नैन से सैन करता है,
वह दुःख पहुँचाता है,
परंतु जो बकवादी और मूर्ख है,
वह नष्‍ट हो जाएगा।
11धर्मी का मुँह तो जीवन का सोता है,
परंतु दुष्‍टों के मुँह पर हिंसा छाई रहती है।
12बैर से तो झगड़े उत्पन्‍न‍ होते हैं,
परंतु प्रेम सब अपराधों को ढाँप देता है।
13समझ रखनेवाले की बातों में बुद्धि पाई जाती है,
परंतु निर्बुद्धि की पीठ के लिए छड़ी होती है।
14बुद्धिमान लोग ज्ञान का संचय करते हैं,
परंतु मूर्ख के बोलने से विनाश निकट आता है।
15धनी का धन उसका दृढ़ नगर है,
परंतु निर्धन की निर्धनता उसके विनाश का कारण है।
16धर्मी का परिश्रम जीवन के लिए है,
परंतु दुष्‍ट की कमाई पाप
का कारण हो जाती है।
17जो शिक्षा का पालन करता है,
वह जीवन के मार्ग पर है,
परंतु जो डाँट से मुँह मोड़ता है,
वह भटक जाता है।
18जो बैर को छिपाए रखता है,
वह झूठ बोलता है,
और जो निंदा फैलाता है,
वह मूर्ख है।
19जहाँ बातें बहुत होती हैं,
वहाँ पाप भी होता है,
परंतु जो अपनी जीभ पर नियंत्रण रखता है,
वह बुद्धिमान है।
20धर्मी के वचन तो उत्तम चाँदी के समान हैं,
परंतु दुष्‍टों के विचारों का कोई महत्त्व नहीं।
21धर्मी के वचनों से बहुतों को लाभ होता है,
परंतु मूर्ख लोग समझ की कमी के कारण मर जाते हैं।
22धन यहोवा की आशिष से ही प्राप्‍त होता है,
और वह उसके साथ दुःख नहीं मिलाता।
23जैसे मूर्ख के लिए दुष्‍टता करना हँसी खेल है,
वैसे ही समझदार पुरुष के लिए बुद्धिमानी प्रसन्‍नता लाती है।
24दुष्‍ट जिस बात से डरता है वही उस पर आ पड़ेगी,
परंतु धर्मी की मनोकामना पूरी की जाएगी।
25जब बवंडर आता है तो दुष्‍ट को उड़ा ले जाता है,
परंतु धर्मी सदा स्थिर बना रहता है।
26जैसे दाँतों को सिरका और आँखों को धुआँ,
वैसे ही आलसी उनको लगता है
जो उसे भेजते हैं।
27यहोवा का भय मानने से आयु बढ़ती है,
परंतु दुष्‍टों के वर्ष घटाए जाते हैं।
28धर्मियों की आशा आनंद लेकर आती है,
परंतु दुष्‍टों की आशा टूट जाती है।
29यहोवा का मार्ग खरे मनुष्य के लिए तो दृढ़ गढ़,
परंतु अनर्थकारियों के लिए विनाश है।
30धर्मी सदा अटल रहेगा,
परंतु दुष्‍ट लोग पृथ्वी पर बने न रहेंगे।
31धर्मी के मुँह से बुद्धि की बातें निकलती हैं,
परंतु कुटिल बातें कहनेवाली जीभ काट डाली जाएगी।
32धर्मी जन ग्रहणयोग्य बातें करना जानता है,
परंतु दुष्‍ट के मुँह से कुटिल बातें निकलती हैं।

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