YouVersion Logo
Search Icon

कुलुस्सियों 2

2
1मैं चाहता हूँ कि तुम यह जान लो कि मैं तुम्हारे और लौदीकिया के निवासियों के लिए और उन सब के लिए जिन्होंने मुझे नहीं देखा, कितना संघर्ष करता हूँ, 2ताकि प्रेम में एक साथ बँधकर और समझ के पूर्ण आश्‍वासन के समस्त धन को प्राप्‍त करके उनके#2:2 अर्थात् तुम्हारे और उनके मन प्रोत्साहित हों, जिससे वे परमेश्‍वर#2:2 कुछ हस्तलेखों में यहाँ “पिता” लिखा है। के भेद अर्थात् मसीह को पहचान लें, 3जिसमें बुद्धि और ज्ञान के सारे भंडार छिपे हैं।
झूठी शिक्षा के विरुद्ध चेतावनी
4यह मैं इसलिए कहता हूँ कि कोई तुम्हें लुभानेवाली बातों से धोखा न दे। 5यद्यपि मैं शरीर में तो तुमसे दूर हूँ फिर भी आत्मा में तुम्हारे साथ हूँ और तुम्हारे व्यवस्थित जीवन तथा मसीह में तुम्हारे विश्‍वास की दृढ़ता को देखकर आनंदित हूँ।
6अतः जैसे तुमने मसीह यीशु को प्रभु मानकर ग्रहण किया है, वैसे ही उसमें चलो, 7तथा उसमें जड़ पकड़ते और उन्‍नत होते जाओ, और जैसे तुम्हें सिखाया गया वैसे ही विश्‍वास में दृढ़ होते हुए अत्यधिक धन्यवाद करते रहो। 8सावधान रहो कि कहीं तुम्हें कोई उस तत्त्व-ज्ञान और धोखे की व्यर्थ बातों द्वारा अपना शिकार न बना ले जो मनुष्यों की परंपरा और संसार के मूल सिद्धांतों के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं; 9क्योंकि उसी में परमेश्‍वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है 10और तुम उसी में परिपूर्ण किए गए हो जो समस्त प्रधानता और अधिकार का शिरोमणि है। 11उसमें तुम्हारा ख़तना भी हुआ जो हाथ से नहीं होता, अर्थात् मसीह का ख़तना, जिसमें#2:11 कुछ हस्तलेखों में यहाँ “पापों की” लिखा है। शारीरिक देह उतार दी जाती है; 12और उसके साथ बपतिस्मा में गाड़े गए और परमेश्‍वर के उस सामर्थ्य पर विश्‍वास करने के द्वारा, जिसने उसे मृतकों में से जिलाया, तुम उसके साथ जिलाए भी गए। 13उसी ने तुमको भी जो अपने अपराधों और अपने शरीर की ख़तनारहित दशा में मरे हुए थे, मसीह के साथ जीवित कर दिया। उसने हमारे सब अपराधों को क्षमा कर दिया 14और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरुद्ध था, मिटा डाला, और उसे क्रूस पर कीलों से जड़कर सामने से हटा दिया है। 15उसने प्रधानताओं और अधिकारों को निरस्‍त्र किया और क्रूस#2:15 या, मसीह के द्वारा उन पर विजय प्राप्‍त करके उनका खुलेआम तमाशा बनाया।
16इसलिए खाने और पीने में या पर्व या नए चाँद या सब्त के दिन के विषय में तुम पर कोई दोष न लगाए, 17जो आनेवाली बातों की छाया मात्र है परंतु वास्तविकता तो मसीह है। 18कोई भी जो झूठी दीनता और स्वर्गदूतों की पूजा में लिप्‍त रहता है, तुम्हें प्रतिफल से वंचित न कर दे। ऐसा व्यक्‍ति देखी हुई#2:18 कुछ हस्तलेखों में “देखी हुई” के स्थान पर “अनदेखी” लिखा है। बातों पर लगा रहता है और अपनी शारीरिक समझ पर व्यर्थ फूलता है, 19और उस सिर से जुड़ा नहीं रहता जिसके द्वारा सारी देह जोड़ों और अस्थिबंधों के माध्यम से पोषित और सुगठित होकर परमेश्‍वर की ओर से बढ़ती है।
20जब तुम मसीह के साथ इस संसार के मूल सिद्धांतों के प्रति मर गए हो, तो फिर उनके समान जो सांसारिक जीवन बिताते हैं, ऐसी विधियों से क्यों बँधे रहते हो, 21जैसे “इसे न छूना, उसे न चखना, उसे हाथ न लगाना”? 22ये सब मनुष्यों की आज्ञाओं और शिक्षाओं के अनुसार हैं और उन वस्तुओं के संबंध में हैं जो उपयोग में आते-आते नष्‍ट हो जाती हैं। 23ये वे बातें हैं, जो मनगढ़ंत भक्‍ति, झूठी दीनता और शारीरिक तपस्याओं में बुद्धि का वेश धारण किए हुए तो हैं, परंतु शारीरिक लालसाओं को रोकने में इनसे कोई लाभ नहीं#2:23 या, परंतु इनका कोई मूल्य नहीं, बल्कि ये शारीरिक लालसाओं की पूर्ति के लिए ही हैं

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in