लूका 6:27-49
लूका 6:27-49 SGJ
फेर ईसू हर कहीस, “ए सुनोईया मन मंए तुमन ला कहथों, कि अपन दुस्मन जग मया करा, अऊ जेमन तुमन कर बिरोध करथें, ओमन कर भलाई करा, तुमन ला जेमन सराप देथे, ओमन ला आसीस देआ, जेमन तुमन कर बईदनामी करथें, ओमन बर पराथना करा, जे कोनो तोर एगोट गाल ला झापड़ मारथे, ओके अपन दूसरोच गाल ला दे दे, अऊ जे कोनो तोर चदर ला लुईट लेथे, त ओके अंगा ला लेहोच ले मना झईन कर, जे कोनो तोर जग मांगथे, ओके ला दे, अऊ जे कोनो तोर चीज ला लुईट लेथे, त ओकर जग ले झईन मांग। तुमन अपन बर जेकस बेवहार दूसर झन ठे चाहथा, तुंहू मन ला दूसर कर संगे, ओईसनेच बेवहार करे बर चाही। तुमन के जेमन मया करथें, अगर तुमन ओमनेच कर संगे मया करीहा, त तुमन कर का बड़ाई? काबरकि जेमन ला तुमन पापी कथा ओहूच मन, अपन मया करोईया मन जग मया करथें। अगर तुमन, अपन भलाई करोईया मन जग भलाई करीहा, त तुमन कर का बड़ाई? काबरकि जेमन ला तुमन पापी कहथा, ओहूच मन अपन भलाई करोईया मन जग भलाई करथें। अगर तुमन सिरीप ओमन ला उधारी देथा, जेमन जग ले पाए कर असरा करथा, त तुमन कर का बड़ाई? काबरकि जेमन ला तुमन पापी कहथा, ओहूच मन अपन उधारी देवईया मन ला उधारी देथें, कि ओतनेच फेर पाई। बकिन अपन दुस्मन मन ला मया करा, अऊ ओमन कर भलाई करा, अऊ उधारी देके पाए कर असरा झईन करा, त तुमन ला बड़खा इनाम मिलही, अऊ तुमन सबले ऊंच में रहोईया परमेस्वर कर बेटा कहईहा, काबरकि जेमन परमेस्वर कर धनबाद नई करें, अऊ जेमन कसरीहा मईनसे हवें, ओमनोच कर ऊपरे ओहर दया करथे। जेकस तुमन कर सरग कर दाऊ हर दयालु हवे, ओही कस तुंहूच मन दयालु बना।” “कोनो के दोसी झईन ठहरावा, त तुमनोच के परमेस्वर दोसी नई ठहराही। ककरो ऊपर दोस झईन लगावा, त तुमनोच कर ऊपरे परमेस्वर दोस नई लगाही। दूसर के छमा करा, त परमेस्वर तुमनोच के छमा करही। दूसर झन ला देईहा, त तुंहू मन ला परमेस्वर देही। ओकर पलटा में परमेस्वर हर तुमन ला पूरा नाएप के, ठेल-ठेल के अऊ हिलाए-हिलाए के, उछलत ले तुमन कर कोरा में डालही, काबरकि जे नाप ले तुमन नापीहा, ओही नाप ले परमेस्वर तुमन ला वापिस फिराही।” फेर ईसू हर ओमन ला एगोट अऊ अहना कहीस, “का एगोट अंधा हर दूसर अंधा ला डगर देखाए सकथे? त एकस करहीं त, का दुनो झे ढोड़गा में नई गिरहीं? चेला अपन गुरू ले बड़खा नई होए, बकिन जेहर सब जाएत ला सीख जाथे, त ओहर अपन गुरू कस होए जाथे। तंए अपन संगता कर आंएख कर धुररा ला काबर देखथस, अऊ का तोके अपन आंएख में ढूकल किरुवा हर नई सूझे? जब तंए अपनेच आंएख में ढूकल किरुवा ला नई देखस, त अपन संगता ला कईसे कहे सकथस, ‘ए संगता, मंए तोर आंएख कर धुररा ला निकाएल देहूं?’ ए कपटी, आगू तंए अपन आंएख कर ढूकल किरुवा ला तो निकाएल ले, तब जे धुररा हर तोर संगता कर आंएख में हवे, ओला बढ़िहां ले देख के निकाले सकबे।” कोनोच बढ़िहां रूख नईए, जेहर खराब फर फरथे, अऊ कोनोच खराब रूख नईए, जेहर बढ़िहां फर फरथे। सब रूख हर अपन फर ले चिन्हल जाथे, काबरकि मईनसे मन भूंदरा ले अंजीर नई टोरें, अऊ झार बईर कर रूख ले अंगूरोच ला नई टोरें। बढ़िहां मईनसे, अपन मन कर बढ़िहां भंडार ले, बढ़िहां बात ला निकालथे; बकिन बुरा मईनसे हर, अपन मन कर बुरा भंडार ले, बुराई कर बात ला निकालथे, काबरकि जे ओकर मन में भरीसे, ओहीच ला गोठियाथे। “जब तुमन मोर कहल ला नई माना, त काबर मोके ‘ए परभू, ए परभू,’ कहथा? जे कोनो मोर जग आथे, अऊ मोर गोएठ ला सुईन के मानथे, मंए तुमन ला बताथों, कि ओ काकर कस हवे, ओहर ओ मईनसे कस हवे, जेहर घर बनात जुआर, गहील ढोड़गा कोएड़ के, चटाएन कर ऊपरे नेंव डालीस, अऊ जे घनी बांढ़ आईस, त ओ घर में टकराईस, बकिन ओ घर ला हिलाए नई सकीस, काबरकि ओहर बजर बने रहीस। बकिन जेहर मोर गोएठ ला सुईन के अऊ ओला नई माने, ओहर ओ मईनसे कस हवे, जेहर भुईं में बिगर नेंव कर घर बनाईस, अऊ जे घनी बांढ़ हर ओकर घरे टकराईस, त ओहर तुरतेंच गिर गईस, अऊ गिर के ओकर समुचा नास होए गईस।”