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यशायाह 51

51
इस्राएल को इब्राहीम के जैसा होना चाहिए
1“तुममें से कुछ लोग उत्तम जीवन जीने का कठिन प्रयत्न करते हो। तुम सहायता पाने को यहोवा के निकट जाते हो। मेरी सुनो। तुम्हें अपने पिता इब्राहीम की ओर देखना चाहिये। इब्राहीम ही वह पत्थर की खदान है जिससे तुम्हें काटा गया है। 2इब्राहीम तुम्हारा पिता है और तुम्हें उसी की ओर देखना चाहिये। तुम्हें सारा की ओर निहारना चाहिये क्योंकि सारा ही वह स्त्री है जिसने तुम्हें जन्म दिया है। इब्राहीम को जब मैंने बुलाया था, वह अकेला था। तब मैंने उसे वरदान दिया था और उसने एक बड़े परिवार की शुरूआत की थी। उससे अनगिनत लोगों ने जन्म लिया।”
3सिय्योन पर्वत को यहोवा वैसे ही आशीर्वाद देगा। यहोवा को यरूशलेम और उसके खंडहरों के लिये खेद होगा और वह उस नगर के लिये कोई बहुत बड़ा काम करेगा। यहोवा रेगिस्तान को बदल देगा। वह रेगिस्तान अदन के उपवन के जैसे एक उपवन में बदल जायेगा। वह उजाड़ स्थान यहोवा के बगीचे के जैसा हो जाएगा। लोग अत्याधिक प्रसन्न होंगे। लोग वहाँ अपना आनन्द प्रकट करेंगे। वे लोग धन्यवाद और विजय के गीत गायेंगे।
4“हे मेरे लोगों, तुम मेरी सुनो!
मेरी व्यवस्थाएँ प्रकाश के समान होंगी जो लोगों को दिखायेंगी कि कैसे जिया जाता है।
5मैं शीघ्र ही प्रकट करूँगा कि मैं न्यायपूर्ण हूँ।
मैं शीघ्र ही तुम्हारी रक्षा करूँगा।
मैं अपनी शक्ति को काम में लाऊँगा और मैं सभी राष्ट्रों का न्याय करूँगा।
सभी दूर—दूर के देश मेरी बाट जोह रहे हैं।
उनको मेरी शक्ति की प्रतीक्षा है जो उनको बचायेगी।
6ऊपर आकाशों को देखो।
अपने चारों ओर फैली हुई धरती को देखो,
आकाश ऐसे लोप हो जायेगा जैसे धुएँ का एक बादल खो जाता है
और धरती ऐसे ही बेकार हो जायेगी
जैसे पुराने वस्त्र मूल्यहीन होते हैं।
धरती के वासी अपने प्राण त्यागेंगे किन्तु मेरी मुक्ति सदा ही बनी रहेगी।
मेरी उत्तमता कभी नहीं मिटेगी।
7अरे ओ उत्तमता को समझने वाले लोगों, तुम मेरी बात सुनो।
अरे ओ मेरी शिक्षाओं पर चलने वालों, तुम वे बातें सुनों जिनको मैं बताता हूँ।
दुष्ट लोगों से तुम मत डरो।
उन बुरी बातों से जिनको वे तुमसे कहते हैं, तुम भयभीत मत हो।
8क्यों क्योंकि वे पुराने कपड़ों के समान होंगे और उनको कीड़े खा जायेंगे।
वे ऊन के जैसे होंगे और उन्हें कीड़े चाट जायेंगे,
किन्तु मेरा खरापन सदैव ही बना रहेगा
और मेरी मुक्ति निरन्तर बनी रहेगी।”
परमेश्वर का सामर्थ्य उसके लोगों का रक्षा करता है
9यहोवा की भुजा (शक्ति) जाग—जाग।
अपनी शक्ति को सज्जित कर!
तू अपनी शक्ति का प्रयोग कर।
तू वैसे जाग जा जैसे तू बहुत बहुत पहले जागा था।
तू वही शक्ति है जिसने रहाब के छक्के छुड़ाये थे।
तूने भयानक मगरमच्छ को हराया था।
10तूने सागर को सुखाया!
तूने गहरे समुद्र को जल हीन बना दिया।
तूने सागर के गहरे सतह को एक राह में बदल दिया और तेरे लोग उस राह से पार हुए और बच गये थे।
11यहोवा अपने लोगों की रक्षा करेगा।
वे सिय्योन पर्वत की ओर आनन्द मनाते हुए लौट आयेंगे।
ये सभी आनन्द मग्न होंगे।
सारे ही दु:ख उनसे दूर कहीं भागेंगे।
12यहोवा कहता है, “मैं वही हूँ जो तुमको चैन दिया करता है।
इसलिए तुमको दूसरे लोगों से क्यों डरना चाहिए वे तो बस मनुष्य है जो जिया करते हैं और मर जाते हैं।
वे बस मानवमात्र हैं।
वे वैसे मर जाते हैं जैसे घास मर जाती है।”
13यहोवा ने तुम्हें रचा है।
उसने निज शक्ति से इस धरती को बनाया है!
उसने निज शक्ति से धरती पर आकाश तान दिया किन्तु तुम उसको और उसकी शक्ति को भूल गये।
इसलिए तुम सदा ही उन क्रोधित मनुष्यों से भयभीत रहते हो जो तुम को हानि पहुँचाते हैं।
तुम्हारा नाश करने को उन लोगों ने योजना बनाई किन्तु आज वे कहाँ हैं (वे सभी चले गये!)
14लोग जो बन्दी हैं, शीघ्र ही मुक्त हो जायेंगे।
उन लोगों की मृत्यु काल कोठरी में नहीं होगी और न ही वे कारागार में सड़ते रहेंगे।
उन लोगों के पास खाने को पर्याप्त होगा।
15“मैं ही यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
मैं ही सागर को झकोरता हूँ और मैं ही लहरें उठाता हूँ।”
(उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।)
16“मेरे सेवक, मैं तुझे वे शब्द दूँगा जिन्हें मैं तुझसे कहलवाना चाहता हूँ। मैं तुझे अपने हाथों से ढक कर तेरी रक्षा करूँगा। मैं तुझसे नया आकाश और नयी धरती बनवाऊँगा। मैं तुम्हारे द्वारा सिय्योन (इस्राएल) को यह कहलवाने के लिए कि ‘तुम मेरे लोग हो,’ तेरा उपयोग करूँगा।”
परमेश्वर ने इस्राएल को दण्ड दिया
17जाग! जाग!
यरूशलेम, जाग उठ!
यहोवा तुझसे बहुत ही कुपित था।
इसलिए तुझको दण्ड दिया गया था।
वह दण्ड ऐसा था जैसा जहर का कोई प्याला हो
और वह तुझको पीना पड़े और उसे तूने पी लिया।
18यरूशलेम में बहुत से लोग हुआ करते थे किन्तु उनमें से कोई भी व्यक्ति उसकी अगुवाई नहीं कर सका। उसने पाल—पोस कर जिन बच्चों को बड़ा किया था, उनमें से कोई भी उसे राह नहीं दिखा सका। 19दो जोड़े विपत्ति यरूशलेम पर टूट पड़ी हैं, लूटपाट और अनाज की परेशानी तथा भयानक भूख और हत्याएँ।
जब तू विपत्ति में पड़ी थी, किसी ने भी तुझे सहारा नहीं दिया, किसी ने भी तुझ पर तरस नहीं खाया। 20तेरे लोग दुर्बल हो गये। वे वहाँ धरती पर गिर पड़े हैं और वहीं पड़े रहेंगे। वे लोग वहाँ हर गली के नुक्कड़ पर पड़े हैं। वे लोग ऐसे हैं जैसे किसी जाल में फंसा हिरण हो। उन लोगों पर यहोवा के कोप की मार तब तक पड़ती रही, जब तक वे ऐसे न हो गये कि और दण्ड झेल ही न सकें। परमेश्वर ने जब कहा कि उन्हें और दण्ड दिया जायेगा तो वे बहुत कमज़ोर हो गये।
21हे बेचारे यरूशलेम, तू मेरी सुन। तू किसी धुत्त व्यक्ति के समान दुर्बल है किन्तु तू दाखमधु पी कर धुत्त नहीं हुआ है, बल्कि तू तो ज़हर के उस प्याले को पीकर ऐसा दुर्बल हो गया है।
22तुम्हारा परमेश्वर और स्वामी वह यहोवा अपने लोगों के लिये युद्ध करेगा। वह तुमसे कहता है, “देखो! मैं ‘ज़हर के इस प्याले’ (दण्ड) को तुमसे दूर हटा रहा हूँ। मैं अपने क्रोध को तुम पर से हटा रहा हूँ। अब मेरे क्रोध से तुम्हें और अधिक दण्ड नहीं भोगना होगा। 23अब मैं अपने क्रोध की मार उन लोगों पर डालूँगा जो तुम्हें दु:ख पहुँचाते हैं। वे लोग तुम्हें मार डालना चाहते थे। उन लोगों ने तुमसे कहा था, ‘हमारे आगे झुक जाओ। हम तुम्हें कुचल डालेंगे!’ अपने सामने झुकाने के लिये उन्होंने तुम्हें विवश किया। फिर उन लोगों ने तुम्हारी पीठ को ऐसा बना डाला जैसे धूल—मिट्टी हो ताकि वे तुम्हें रौंद सकें। उनके लिए चलने के वास्ते तुम किसी राह के जैसे हो गये थे।”

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