YouVersion Logo
Search Icon

भजन संहिता 89

89
राष्ट्रीय विपत्ति के समय स्तुतिगान
एतान एज्रावंशी का मश्कील
1मैं यहोवा की सारी करुणा के विषय सदा गाता रहूँगा;
मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बताता रहूँगा।
2क्योंकि मैंने कहा, “तेरी करुणा सदा बनी रहेगी,
तू स्वर्ग में अपनी सच्चाई को स्थिर रखेगा।”
3तूने कहा, “मैंने अपने चुने हुए से वाचा बाँधी है,
मैंने अपने दास दाऊद से शपथ खाई है,
4मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा#89:4 मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा: अर्थात् सिंहासन पर उसके उत्तराधिकारी सदैव बैठेंगे। प्रतिज्ञा यह है कि उसके सिंहासन पर बैठने से एक भी नहीं चूकेगा।;
और तेरी राजगद्दी को पीढ़ी-पीढ़ी तक बनाए रखूँगा।’” (सेला) (यूह. 7:42, 2 शमू. 7:11-16)
5हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत काम की,
और पवित्रों की सभा में तेरी सच्चाई की प्रशंसा होगी।
6क्योंकि आकाशमण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा?
बलवन्तों के पुत्रों में से कौन है जिसके साथ यहोवा की उपमा दी जाएगी?
7परमेश्वर पवित्र लोगों की गोष्ठी में अत्यन्त प्रतिष्ठा के योग्य,
और अपने चारों ओर सब रहनेवालों से अधिक भययोग्य है। (2 थिस्स. 1:10, भज. 76:7,11)
8हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा,
हे यहोवा, तेरे तुल्य कौन सामर्थी है?
तेरी सच्चाई तो तेरे चारों ओर है!
9समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है;
जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उनको शान्त कर देता है।
10तूने रहब को घात किए हुए के समान कुचल डाला,
और अपने शत्रुओं को अपने बाहुबल से तितर-बितर किया है। (लूका 1:51, यशा. 51:9)
11आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है;
जगत और जो कुछ उसमें है, उसे तू ही ने स्थिर किया है। (1 कुरि. 10:26, भज. 24:1,2)
12उत्तर और दक्षिण को तू ही ने सिरजा;
ताबोर और हेर्मोन तेरे नाम का जयजयकार करते हैं।
13तेरी भुजा बलवन्त है;
तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है।
14तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है;
करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती है।
15क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहचानता है;
हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं,
16वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं,
और तेरे धर्म के कारण महान हो जाते हैं।
17क्योंकि तू उनके बल की शोभा है,
और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊँचा करेगा।
18क्योंकि हमारी ढाल यहोवा की ओर से है,
हमारा राजा इस्राएल के पवित्र की ओर से है।
19एक समय तूने अपने भक्त को दर्शन देकर बातें की;
और कहा, “मैंने सहायता करने का भार एक वीर पर रखा है,
और प्रजा में से एक को चुनकर बढ़ाया है।
20मैंने अपने दास दाऊद को लेकर,
अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है। (प्रेरि. 13:22)
21मेरा हाथ उसके साथ बना रहेगा,
और मेरी भुजा उसे दृढ़ रखेगी।
22शत्रु उसको तंग करने न पाएगा,
और न कुटिल जन उसको दुःख देने पाएगा।
23मैं उसके शत्रुओं को उसके सामने से नाश करूँगा,
और उसके बैरियों पर विपत्ति डालूँगा।
24परन्तु मेरी सच्चाई और करुणा उस पर बनी रहेंगी,
और मेरे नाम के द्वारा उसका सींग ऊँचा हो जाएगा।
25मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे
और महानदों को उसके दाहिने हाथ के नीचे कर दूँगा।
26वह मुझे पुकारकर कहेगा, ‘तू मेरा पिता है,
मेरा परमेश्वर और मेरे उद्धार की चट्टान है।’ (1 पत. 1:17, प्रका. 21:7)
27फिर मैं उसको अपना पहलौठा,
और पृथ्वी के राजाओं पर प्रधान ठहराऊँगा। (प्रका. 1:5, प्रका. 17:18)
28 मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा#89:28 मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा: मैं उसे अपनी कृपा से कभी वंचित नहीं करूँगा न ही उसके वंशजों को, उसके और उनकी सन्तान और उसकी सन्तान की सन्तान के लिए सिंहासन सदा बना रहेगा। ,
और मेरी वाचा उसके लिये अटल रहेगी।
29मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूँगा,
और उसकी राजगद्दी स्वर्ग के समान सर्वदा बनी रहेगी।
30यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़ें
और मेरे नियमों के अनुसार न चलें,
31यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें,
और मेरी आज्ञाओं को न मानें,
32तो मैं उनके अपराध का दण्ड सोंटें से,
और उनके अधर्म का दण्ड कोड़ों से दूँगा।
33परन्तु मैं अपनी करुणा उस पर से न हटाऊँगा,
और न सच्चाई त्याग कर झूठा ठहरूँगा।
34मैं अपनी वाचा न तोड़ूँगा,
और जो मेरे मुँह से निकल चुका है, उसे न बदलूँगा।
35एक बार मैं अपनी पवित्रता की शपथ खा चुका हूँ;
मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा#89:35 मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा: अर्थात् वह अपनी प्रतिज्ञा में विश्वासयोग्य पाया जाएगा।
36उसका वंश सर्वदा रहेगा,
और उसकी राजगद्दी सूर्य के समान मेरे सम्मुख ठहरी रहेगी। (लूका 1:32,33)
37वह चन्द्रमा के समान,
और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी के समान सदा बना रहेगा।” (सेला)
38तो भी तूने अपने अभिषिक्त को छोड़ा और उसे तज दिया,
और उस पर अति क्रोध किया है।
39तूने अपने दास के साथ की वाचा को त्याग दिया,
और उसके मुकुट को भूमि पर गिराकर अशुद्ध किया है।
40तूने उसके सब बाड़ों को तोड़ डाला है,
और उसके गढ़ों को उजाड़ दिया है।
41सब बटोही उसको लूट लेते हैं,
और उसके पड़ोसियों से उसकी नामधराई होती है।
42तूने उसके विरोधियों को प्रबल किया;
और उसके सब शत्रुओं को आनन्दित किया है।
43फिर तू उसकी तलवार की धार को मोड़ देता है,
और युद्ध में उसके पाँव जमने नहीं देता।
44तूने उसका तेज हर लिया है,
और उसके सिंहासन को भूमि पर पटक दिया है।
45तूने उसकी जवानी को घटाया,
और उसको लज्जा से ढाँप दिया है। (सेला)
46हे यहोवा, तू कब तक लगातार मुँह फेरे रहेगा,
तेरी जलजलाहट कब तक आग के समान भड़की रहेगी।
47मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूँ,
तूने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है?
48कौन पुरुष सदा अमर रहेगा?
क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है? (सेला)
49हे प्रभु, तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही#89:49 तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही: तेरी दया, तेरी प्रतिज्ञाएँ, तेरी शपथ। तूने दाऊद से जो प्रतिज्ञाएँ की थीं वे कहाँ हैं? क्या वे पूरी हो गई? या वे भुलाई जा चुकी हैं और अमान्य हो गई हैं?,
जिसके विषय में तूने अपनी सच्चाई की शपथ दाऊद से खाई थी?
50हे प्रभु, अपने दासों की नामधराई की सुधि ले;
मैं तो सब सामर्थी जातियों का बोझ लिए रहता हूँ।
51तेरे उन शत्रुओं ने तो हे यहोवा,
तेरे अभिषिक्त के पीछे पड़कर उसकी नामधराई की है।
52यहोवा सर्वदा धन्य रहेगा!
आमीन फिर आमीन।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in