भजन संहिता 126
126
सिय्योन की हर्षित वापसी
यात्रा का गीत
1जब यहोवा सिय्योन में लौटनेवालों को लौटा ले आया,
तब हम स्वप्न देखनेवाले से हो गए#126:1 हम स्वप्न देखनेवाले से हो गए: वह एक स्वप्न जैसा था कि हमें विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा हो गया है। वह ऐसा आश्चर्यजनक था, ऐसा सुहावना था, ऐसा आनन्द से भरा हुआ था कि हमें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह वास्तविक है। ।
2तब हम आनन्द से हँसने
और जयजयकार करने लगे;
तब जाति-जाति के बीच में कहा जाता था,
“यहोवा ने, इनके साथ बड़े-बड़े काम किए हैं।”
3यहोवा ने हमारे साथ बड़े-बड़े काम किए हैं;
और इससे हम आनन्दित हैं।
4हे यहोवा, दक्षिण देश के नालों के समान,
हमारे बन्दियों को लौटा ले आ!
5 जो आँसू बहाते हुए बोते हैं#126:5 जो आँसू बहाते हुए बोते हैं: बीज बोना एक परिश्रम का काम है और किसान पर ऐसा बोझ होता है कि वह रो देता है परन्तु जब फसल तैयार हो जाती है तब वह लवनी करके आनन्दित होता है।,
वे जयजयकार करते हुए लवने पाएँगे।
6चाहे बोनेवाला बीज लेकर रोता हुआ चला जाए,
परन्तु वह फिर पूलियाँ लिए जयजयकार करता हुआ निश्चय लौट आएगा। (लूका 6:21)
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भजन संहिता 126: IRVHin
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