श्रेष्ठगीत 5
5
1हे मेरी बहिन, हे मेरी दुल्हिन,
मैं अपनी बारी में आया हूँ,
मैं ने अपना गन्धरस और बलसान चुन लिया;
मैं ने मधु समेत छत्ता खा लिया,
मैं ने दूध और दाखमधु पी लिया।
सहेलियाँ
हे मित्रो, तुम भी खाओ,
हे प्यारो, पियो, मनमाना पियो!
चौथा गीत
वधू
2मैं सोती थी, परन्तु मेरा मन जागता था।
सुन! मेरा प्रेमी खटखटाता है,
और कहता है,
“हे मेरी बहिन, हे मेरी प्रिय, हे मेरी कबूतरी,
हे मेरी निर्मल, मेरे लिये द्वार खोल;
क्योंकि मेरा सिर ओस से भरा है,
और मेरी लटें रात में गिरी हुई बून्दों से
भीगी हैं।”
3मैं अपना वस्त्र उतार चुकी थी,
मैं उसे फिर कैसे पहिनूँ?
मैं तो अपने पाँव धो चुकी थी,
अब उनको कैसे मैला करूँ?
4मेरे प्रेमी ने अपना हाथ किवाड़ के छेद से
भीतर डाल दिया,
तब मेरा हृदय उसके लिये उमड़ उठा।
5मैं अपने प्रेमी के लिये द्वार खोलने को उठी,
और मेरे हाथों से गन्धरस टपका,
और मेरी अंगुलियों पर से
टपकता हुआ गन्धरस
बेण्डे की मूठों पर पड़ा।
6मैं ने अपने प्रेमी के लिये द्वार तो खोला,
परन्तु मेरा प्रेमी मुड़कर चला गया था।
जब वह बोल रहा था,
तब मेरा प्राण घबरा गया था।
मैं ने उसको ढूँढ़ा, परन्तु न पाया;
मैं ने उसको पुकारा, परन्तु उसने
कुछ उत्तर न दिया।
7पहरेदार जो नगर में घूमते थे, मुझे मिले,
उन्होंने मुझे मारा और घायल किया;
शहरपनाह के पहरुओं ने
मेरी चद्दर मुझ से छीन ली।
8हे यरूशलेम की पुत्रियो, मैं तुम को शपथ
धराकर कहती हूँ, यदि मेरा प्रेमी
तुमको मिल जाए,
तो उससे कह देना कि मैं प्रेम में रोगी हूँ।
सहेलियाँ
9हे स्त्रियों में परम सुन्दरी
तेरा प्रेमी और प्रेमियों से
किस बात में उत्तम है?
तू क्यों हम को ऐसी शपथ धराती है?
वधू
10मेरा प्रेमी गोरा और लाल सा है,
वह दस हज़ार में उत्तम है।
11उसका सिर चोखा कुन्दन है;
उसकी लटकती हुई लटें
कौवों के समान काली हैं।
12उसकी आँखें उन कबूतरों के समान हैं
जो दूध में नहाकर नदी के किनारे
अपने झुण्ड में एक कतार से बैठे हुए हों।
13उसके गाल फूलों की फुलवारी और
बलसान की उभरी हुई क्यारियाँ हैं।
उसके होंठ सोसन फूल हैं जिन से
पिघला हुआ गन्धरस टपकता है।
14उसके हाथ फीरोज़ा जड़े हुए
सोने की छड़ें हैं।
उसका शरीर नीलम के फूलों से जड़े हुए
हाथी दाँत का काम है।
15उसके पाँव कुन्दन पर बैठाये हुए
संगमर्मर के खम्भे हैं।
वह देखने में लबानोन और सुन्दरता में
देवदार के वृक्षों के समान मनोहर है।
16उसकी वाणी#5:16 मूल में, तालू अति मधुर है,
हाँ वह परम सुन्दर है।
हे यरूशलेम की पुत्रियो,
यही मेरा प्रेमी और यही मेरा मित्र है।
सहेलियाँ
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श्रेष्ठगीत 5: HINOVBSI
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