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यिर्मयाह 46

46
मिस्र देश के विषय भविष्यद्वाणी
1जाति जाति के विषय यहोवा का जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्‍ता के पास पहुँचा, वह यह है।
2मिस्र के विषय।#यशा 19:1–25; यहेज 29:1—32:32 मिस्र के राजा फ़िरौन निको की सेना जो फ़रात महानद के तट पर कर्कमीश में थी, और जिसे बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर ने योशिय्याह के पुत्र यहूदा के
राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में जीत लिया था, उस सेना के विषय : 3“ढालें और फरियाँ तैयार करके लड़ने को निकट चले आओ। 4घोड़ों को जुतवाओ; और हे सवारो, घोड़ों पर चढ़कर टोप पहिने हुए खड़े हो जाओ; भालों को पैना करो, झिलमों को पहिन लो! 5मैं क्यों उनको व्याकुल देखता हूँ? वे विस्मित होकर पीछे हट गए! उनके शूरवीर गिराए गए और उतावली करके भाग गए; वे पीछे देखते भी नहीं; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि चारों ओर भय ही भय है! 6न वेग चलनेवाला भागने पाएगा और न वीर बचने पाएगा; क्योंकि उत्तर दिशा में फरात महानद के तट पर वे सब ठोकर खाकर गिर पड़े।
7“यह कौन है, जो नील नदी के समान, जिसका जल महानदों का सा उछलता है, बढ़ा चला आता है? 8मिस्र नील नदी के समान बढ़ता है, उसका जल महानदों का–सा उछलता है। वह कहता है, मैं चढ़कर पृथ्वी को भर दूँगा, मैं नगरों को उनके निवासियों समेत नष्‍ट कर दूँगा। 9हे मिस्री सवारो, आगे बढ़ो, हे रथियो, बहुत ही वेग से चलाओ! हे ढाल पकड़नेवाले कूशी और पूती वीरो, हे धनुर्धारी लूदियो, चले आओ। 10क्योंकि वह दिन सेनाओं के यहोवा प्रभु के बदला लेने का दिन होगा जिस में वह अपने द्रोहियों से बदला लेगा। तलवार खाकर तृप्‍त होगी, और उनका लहू पीकर छक जाएगी। क्योंकि, उत्तर के देश में फ़रात महानद के तट पर, सेनाओं के यहोवा प्रभु का यज्ञ है। 11हे मिस्र की कुमारी कन्या, गिलाद को जाकर बलसान औषधि ले; तू व्यर्थ ही बहुत इलाज करती है, तू चंगी नहीं होगी! 12क्योंकि सब जाति के लोगों ने सुना है कि तू नीच हो गई और पृथ्वी तेरी चिल्‍लाहट से भर गई है; वीर से वीर ठोकर खाकर गिर पड़े; वे दोनों एक संग गिर गए हैं।”
नबूकदनेस्सर का आगमन
13यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्‍ता से यह वचन भी कहा कि बेबीलोन का राजा नबूकदनेस्सर कैसे आकर मिस्र देश को मार लेगा :#यिर्म 43:10–13 14“मिस्र में वर्णन करो, और मिग्दोल में सुनाओ; हाँ, और नोप और तहपन्हेस में सुनाकर यह कहो कि खड़े होकर तैयार हो जाओ; क्योंकि तुम्हारे चारों ओर सब कुछ तलवार खा गई है। 15तेरे बलवन्त जन क्यों नष्‍ट हो गए हैं? वे इस कारण खड़े न रह सके क्योंकि यहोवा ने उन्हें ढकेल दिया। 16उसने बहुतों को ठोकर खिलाई, वे एक दूसरे पर गिर पड़े; और वे कहने लगे, ‘उठो, चलो, हम अन्धेर करनेवाले की तलवार के डर के मारे अपने अपने लोगों और अपनी अपनी जन्मभूमि में फिर लौट जाएँ।’ 17वहाँ वे पुकार के कहते हैं, ‘मिस्र के राजा फ़िरौन का सत्यानाश हुआ; क्योंकि उसने अपना बहुमूल्य अवसर खो दिया।’
18“वह राजाधिराज जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, उसकी यह वाणी है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, जैसा ताबोर अन्य पहाड़ों में, और जैसा कर्मेल समुद्र के किनारे है, वैसा ही वह आएगा। 19हे मिस्र की रहनेवाली पुत्री! बँधुआई में जाने का सामान तैयार कर, क्योंकि नोप नगर उजाड़ और ऐसा भस्म हो जाएगा कि उसमें कोई भी न रहेगा।
20“मिस्र बहुत ही सुन्दर बछिया तो है, परन्तु उत्तर दिशा से नाश चला आता है, वह आ ही गया है। 21उसके जो सिपाही किराये पर आए हैं वह पाले–पोसे हुए बछड़ों के समान हैं; उन्होंने मुँह मोड़ा, और एक संग भाग गए, वे खड़े नहीं रहे; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन और दण्ड पाने का समय आ गया।
22“उसकी आहट सर्प के भागने की सी होगी; क्योंकि वे वृक्षों के काटनेवालों की सेना और कुल्हाड़ियाँ लिए हुए उसके विरुद्ध चढ़ आएँगे। 23यहोवा की यह वाणी है, कि चाहे उसका वन बहुत ही घना हो, परन्तु वे उसको काट डालेंगे, क्योंकि वे टिड्डियों से भी अधिक अनगिनित हैं। 24मिस्री कन्या लज्जित होगी, वह उत्तर दिशा के लोगों के वश में कर दी जाएगी।”
25इस्राएल का परमेश्‍वर, सेनाओं का यहोवा कहता है : “देखो, मैं नगरवासी आमोन और फ़िरौन राजा और मिस्र को उसके सब देवताओं और राजाओं समेत और फ़िरौन को उन समेत जो उस पर भरोसा रखते हैं दण्ड देने पर हूँ। 26मैं उनको बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर और उसके कर्मचारियों के वश में कर दूँगा जो उनके प्राण के खोजी हैं। उसके बाद वह प्राचीनकाल के समान फिर बसाया जाएगा, यहोवा की यह वाणी है।
इस्राएल के विषय भविष्यद्वाणी
27“परन्तु हे मेरे दास याकूब, तू मत डर, और हे इस्राएल, विस्मित न हो; क्योंकि मैं तुझे और तेरे वंश को बँधुआई के दूर देश से छुड़ा ले आऊँगा। याकूब लौटकर चैन और सुख से रहेगा, और कोई उसे डराने न पाएगा। 28हे मेरे दास याकूब, यहोवा की यह वाणी है, कि तू मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ। और यद्यपि मैं उन सब जातियों का अन्त कर डालूँगा जिनमें मैं ने तुझे जबरन निकाल दिया है, तौभी तेरा अन्त न करूँगा। मैं तेरी ताड़ना विचार करके करूँगा, परन्तु तुझे किसी प्रकार से निर्दोष न ठहराऊँगा।”#यिर्म 30:10,11

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