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निर्गमन 38

38
होमवेदी का बनाया जाना
(निर्ग 27:1–8)
1फिर उसने बबूल की लकड़ी की होमवेदी भी बनाई; उसकी लम्बाई पाँच हाथ और चौड़ाई पाँच हाथ की थी; इस प्रकार से वह चौकोर बनी, और ऊँचाई तीन हाथ की थी। 2उसने उसके चारों कोनों पर उसके चार सींग बनाए, वे उसके साथ बिना जोड़ के बने; और उसने उसको पीतल से मढ़ा। 3और उसने वेदी का सारा सामान, अर्थात् उसकी हांड़ियों, फावड़ियों, कटोरों, काँटों, और करछों को बनाया। उसका सारा सामान उसने पीतल का बनाया। 4और वेदी के लिये उसके चारों ओर की कंगनी के तले उसने पीतल की जाली की एक झंझरी बनाई, वह नीचे से वेदी की ऊँचाई के मध्य तक पहुँची। 5उसने पीतल की झंझरी के चारों कोनों के लिये चार कड़े ढाले, जो डण्डों के खानों का काम दें। 6फिर उसने डण्डों को बबूल की लकड़ी का बनाया और पीतल से मढ़ा। 7तब उसने डण्डों को वेदी के किनारों के कड़ों में वेदी के उठाने के लिये डाल दिया। वेदी को उसने तख़्तों से खोखली बनाया।
पीतल की हौदी का बनाया जाना
(निर्ग 30:18)
8उसने हौदी और उसका पाया दोनों पीतल के बनाए, यह मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सेवा करनेवाली महिलाओं के पीतल के दर्पणों से बनाए गए।
निवास–स्थान का आँगन बनाया जाना
(निर्ग 27:9–19)
9फिर उसने आँगन बनाया; और दक्षिण की ओर के लिये आँगन के परदे बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के थे, और सब मिलाकर सौ हाथ लम्बे थे; 10उनके लिये बीस खम्भे, और इनकी पीतल की बीस कुर्सियाँ बनीं; और खम्भों की घुंडियाँ और जोड़ने की छड़ें चाँदी की बनीं। 11और उत्तर की ओर के लिये भी सौ हाथ लम्बे परदे बने; और उनके लिये बीस खम्भे, और इनकी पीतल की बीस ही कुर्सियाँ बनीं, और खम्भों की घुंडियाँ और जोड़ने की छड़ें चाँदी की बनीं। 12और पश्‍चिम की ओर के लिये सब परदे मिलाकर पचास हाथ के थे; उनके लिये दस खम्भे और दस ही उनकी कुर्सियाँ थीं, और खम्भों की घुंडियाँ और जोड़ने की छड़ें चाँदी की थीं। 13और पूरब की ओर भी वह पचास हाथ के थे। 14आँगन के द्वार के एक ओर के लिये पंद्रह हाथ के परदे बने; और उनके लिये तीन खम्भे और तीन कुर्सियाँ थीं। 15और आँगन के द्वार के दूसरी ओर भी वैसा ही बना था; और आँगन के दरवाजे के इधर और उधर पंद्रह पंद्रह हाथ के परदे बने थे; और उनके लिये तीन ही तीन खम्भे, और तीन ही तीन इनकी कुर्सियाँ भी थीं। 16आँगन के चारों ओर सब परदे सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने हुए थे। 17और खम्भों की कुर्सियाँ पीतल की और घुंडियाँ और छड़ें चाँदी की बनीं, और उनके सिरे चाँदी से मढ़े गए, और आँगन के सब खम्भे चाँदी की छड़ों से जोड़े गए थे। 18आँगन के द्वार के परदे पर बेल बूटे का काम किया हुआ था, और वह नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का, और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने थे; और उसकी लम्बाई बीस हाथ की थी, और उसकी ऊँचाई आँगन की कनात की चौड़ाई के समान पाँच हाथ की बनी। 19और उनके लिये चार खम्भे, और खम्भों की चार ही कुर्सियाँ पीतल की बनीं, उनकी घुंडियाँ चाँदी की बनीं, और उनके सिरे चाँदी से मढ़े गए, और उनकी छड़ें चाँदी की बनीं। 20और निवास और आँगन के चारों ओर के सब खूँटे पीतल के बने थे।
निवास–स्थान में प्रयुक्‍त धातुओं का विवरण
21साक्षीपत्र के निवास का सामान जो लेवियों के सेवाकार्य के लिये बना, और जिसकी गिनती हारून याजक के पुत्र ईतामार के द्वारा मूसा के कहने से हुई थी, उसका विवरण यह है। 22जिस जिस वस्तु के बनाने की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी उसको यहूदा के गोत्रवाले बसलेल ने, जो हूर का पोता और ऊरी का पुत्र था, बना दिया। 23और उसके संग दान के गोत्रवाले, अहीसामाक का पुत्र, ओहोलीआब था, जो नक्‍काशी करने और काढ़नेवाला और नीले, बैंजनी और लाल रंग के और सूक्ष्म सनी के कपड़े में कढ़ाई करनेवाला निपुण कारीगर था।
24पवित्रस्थान के सारे काम में जो भेंट का सोना लगा वह पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से उनतीस किक्‍कार और सात सौ तीस शेकेल#38:24 अर्थात्, लगभग 1000 किलोग्राम था। 25और मण्डली के गिने हुए लोगों की भेंट की चाँदी पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से सौ किक्‍कार और सत्रह सौ पचहत्तर शेकेल#38:25 अर्थात्, लगभग 3430 किलोग्राम थी। 26अर्थात् जितने बीस वर्ष के और उससे अधिक आयु के गिने गए थे, वे छ: लाख तीन हज़ार साढ़े पाँच सौ पुरुष थे, और एक एक जन की ओर से#मत्ती 17:24 पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार आधा शेकेल, जो एक बेका#38:26 ‘एक बेका’ बराबर लगभग छ: ग्राम होता है, मिला।#निर्ग 30:11–16 27और वह सौ किक्‍कार#38:27 अर्थात्, लगभग 3400 किलोग्राम चाँदी पवित्रस्थान और बीचवाले परदे दोनों की कुर्सियों के ढालने में लग गई; सौ किक्‍कार से सौ कुर्सियाँ बनीं, एक एक कुर्सी एक किक्‍कार की बनी। 28और सत्रह सौ पचहत्तर शेकेल#38:28 अर्थात्, लगभग 30 किलोग्राम जो बच गए उनसे खम्भों की घुंडियाँ बनाई गईं, और खम्भों की चोटियाँ मढ़ी गईं, और उनकी छड़ें भी बनाई गईं। 29और भेंट का पीतल सत्तर किक्‍कार और दो हज़ार चार सौ शेकेल#38:29 अर्थात्, लगभग 2425 किलोग्राम था; 30इससे मिलापवाले तम्बू के द्वार की कुर्सियाँ, और पीतल की वेदी, पीतल की झंझरी, और वेदी का सारा सामान; 31और आँगन के चारों ओर की कुर्सियाँ, और उसके द्वार की कुर्सियाँ, और निवास, और आँगन के चारों ओर के खूँटे भी बनाए गए।

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