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2 इतिहास 12

12
यहूदा पर मिस्र का आक्रमण
(1 राजा 14:25–28)
1परन्तु जब रहूबियाम का राज्य दृढ़ हो गया, और वह आप स्थिर हो गया, तब उसने और उसके साथ सारे इस्राएल ने यहोवा की व्यवस्था को त्याग दिया। 2उन्होंने जो यहोवा से विश्‍वासघात किया, इस कारण राजा रहूबियाम के पाँचवें वर्ष में मिस्र के राजा शीशक ने, 3बारह सौ रथ और साठ हज़ार सवार लिये हुए यरूशलेम पर चढ़ाई की, और जो लोग उसके संग मिस्र से आए, अर्थात् लूबी, सुक्‍किय्यी, कूशी, ये अनगिनत थे। 4उसने यहूदा के गढ़वाले नगरों को ले लिया, और यरूशलेम तक आया। 5तब शमायाह नबी रहूबियाम और यहूदा के हाकिमों के पास जो शीशक के डर के मारे यरूशलेम में इकट्ठा हुए थे, आकर कहने लगा, “यहोवा यों कहता है, कि तुम ने मुझ को छोड़ दिया है, इसलिये मैं ने तुम को छोड़कर शीशक के हाथ में कर दिया है।” 6तब इस्राएल के हाकिम और राजा दीन हो गए, और कहा, “यहोवा धर्मी है।” 7जब यहोवा ने देखा कि वे दीन हुए हैं, तब यहोवा का यह वचन शमायाह के पास पहुँचा : “वे दीन हो गए हैं, मैं उनको नष्‍ट न करूँगा; मैं उनका कुछ बचाव करूँगा, और मेरी जलजलाहट शीशक के द्वारा यरूशलेम पर न भड़केगी। 8तौभी वे उसके अधीन रहेंगे, ताकि वे मेरी और देश देश के राज्यों की सेवा में अन्तर को जान लें।”
9तब मिस्र का राजा शीशक यरूशलेम पर चढ़ाई करके यहोवा के भवन की अनमोल वस्तुएँ और राजभवन की अनमोल वस्तुएँ उठा ले गया। वह सब कुछ उठा ले गया, और सोने की जो ढालें सुलैमान ने बनाई थीं, उनको भी वह ले गया।#1 राजा 10:16,17; 2 इति 9:15,16 10तब राजा रहूबियाम ने उनके बदले पीतल की ढालें बनवाईं और उन्हें पहरुओं के प्रधानों के हाथ सौंप दिया, जो राजभवन के द्वार की रखवाली करते थे। 11जब जब राजा यहोवा के भवन में जाता, तब तब पहरुए आकर उन्हें उठा ले चलते, और फिर पहरुओं की कोठरी में लौटाकर रख देते थे। 12जब रहूबियाम दीन हुआ, तब यहोवा का क्रोध उस पर से उतर गया, और उसने उसका पूरा विनाश न किया; और यहूदा की दशा कुछ अच्छी भी थी।
रहूबियाम के राज्य का संक्षिप्‍त विवरण और उसकी मृत्यु
13अत: राजा रहूबियाम यरूशलेम में दृढ़ होकर राज्य करता रहा। जब रहूबियाम राज्य करने लगा, तब इकतालीस वर्ष की आयु का था, और यरूशलेम में अर्थात् उस नगर में, जिसे यहोवा ने अपना नाम बनाए रखने के लिये इस्राएल के सारे गोत्र में से चुन लिया था, सत्रह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम नामा था, जो अम्मोनी स्त्री थी। 14उसने वह कार्य किया जो बुरा है, अर्थात् उसने अपने मन को यहोवा की खोज में न लगाया। 15आदि से अन्त तक रहूबियाम के काम क्या शमायाह नबी और इद्दो दर्शी की पुस्तकों#12:15 मूल में, वचनों में वंशावलियों की रीति पर नहीं लिखे हैं? रहूबियाम और यारोबाम के बीच तो लड़ाई सदा होती रही। 16और रहूबियाम अपने पुरखाओं के संग सो गया और दाऊदपुर में उसको मिट्टी दी गई; और उसका पुत्र अबिय्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

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