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रूत पुस्‍तक परिचय

पुस्‍तक परिचय
भारतीय परिवेश में वस्‍तुत: इस लघु पुस्‍तिका का शीर्षक “एक आदर्श सास, एक आदर्श बहू की कहानी” होना चाहिए। शासक ग्रंथ का युग अनेक लड़ाइयों और लूट-मार, रक्‍त-पात का युग था। फिर भी ऐसे अशान्‍त युग में रूत का इतिहास हमें पढ़ने को मिलता है। रूत मोआबी कौम की स्‍त्री थी, किन्‍तु उसका विवाह इस्राएली कौम के एक पुरुष के साथ हुआ था। जब उसके पति की मृत्‍यु होती है, तब वह अपनी इस्राएली सास के प्रति जो निष्‍ठा और प्रेम प्रकट करती है, वह वस्‍तुत: एक आदर्श है। इसी सद्व्‍यवहार में इस्राएलियों के परमेश्वर के प्रति उसकी भक्‍ति भी प्रकट होती है। वह अपनी सास के साथ इस्राएल देश को लौटती है, और अन्‍तत: उसका विवाह उसके पूर्व पति के एक रिश्‍तेदार से होता है और यों वह इस्राएल के महानतम राजा दाऊद की पर-दादी बनती है। प्रभु येशु की वंशावली में उसका नाम भी सम्‍मिलित है।
शासक ग्रंथ में हमें यह बताया गया था कि जब-जब इस्राएली लोग अपने परमेश्वर से विमुख होते थे, तब-तब उन पर संकट और विनाश के बादल छा जाते थे। किन्‍तु रूत की कहानी परमेश्वर के सर्वव्‍यापी प्रेम की अभिव्‍यक्‍ति है कि परमेश्वर गैर-यहूदी कौम से भी प्रेम करता है, और जब कोई गैर-यहूदी व्‍यक्‍ति परमेश्वर की ओर उन्‍मुख हो जाता है तो उस पर भी परमेश्वर आशिष की वर्षा करता है।
यहूदियों के धर्मशास्‍त्र में यह पुस्‍तिका “पंचलेख” (अर्थात् रूत, श्रेष्‍ठगीत, सभोपदेशक, शोकगीत तथा एस्‍तर) में सम्‍मिलित है। इसका पठन सप्‍तसप्‍ताह पर्व के लिए निर्धारित था।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
सास और बहू स्‍वदेश-बेतलेहम नगर लौटती हैं 1:1-22
रूत और बोअज का मिलन 2:1−3:18
रूत और बोअज का विवाह 4:1-22

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