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भजन संहिता 68

68
परमेश्‍वर के साथ संस्‍थापित विधान के लिए इस्राएली प्रजा का स्‍तुतिगान
मुख्‍यवादक के लिए। दाऊद का। एक भजन। गीत।
1परमेश्‍वर उठता है;
उसके शत्रु बिखर जाएँगे;
जो उससे बैर करते हैं,
वे उसके सम्‍मुख से भाग जाएंगे।#गण 10:35
2जैसे धुआं उड़ाया जाता है,
वैसे ही तू उन्‍हें उड़ा दे;
जैसे मोम आग के सामने पिघलती है,
वैसे ही दुर्जन परमेश्‍वर के समक्ष
नष्‍ट हो जाएंगे।
3किन्‍तु धार्मिक हर्षित होंगे,
वे परमेश्‍वर के समक्ष प्रफुल्‍लित होंगे,
वे आनन्‍द में फूले न समाएँगे।
4परमेश्‍वर के लिये गीत गाओ,
उसके नाम की स्‍तुति गाओ।
उसका गुणगान करो,
वह मेघों पर सवार है।#68:4 अथवा, “उसका मार्ग प्रशस्‍त करो, जिसकी सवारी निर्जन प्रदेश से जानेवाली है।”
उसका नाम प्रभु है,
उसके सम्‍मुख उल्‍लसित हो।#यश 57:14
5परमेश्‍वर अपने पवित्र निवास स्‍थान में है;
वह अनाथ बच्‍चे का पिता,
और विधवाओं का रक्षक है।
6परमेश्‍वर बेघर को घर में बसाता है,
वह बन्‍दियों को मुक्‍त कर उन्‍हें प्रसन्न करता है,
किन्‍तु उससे विद्रोह करने वाले उजाड़ भूमि
पर बसते हैं।
7हे परमेश्‍वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे
गया था,
जब तू निर्जन प्रदेश पार करता था,
सेलाह
8तब परमेश्‍वर, तेरी उपस्‍थिति से
भूमि कांपने लगी
और आकाश बरसने लगा था।
यह सीनय पर्वत भी,
परमेश्‍वर, इस्राएल के परमेश्‍वर की उपस्‍थिति
से थर्राने लगा था।#नि 19:18
9परमेश्‍वर, तूने मूसलाधार वर्षा की थी।
जब तेरी मीरास#68:9 अथवा, “दाय, उत्तराधिकारी” निराश हुई थी,
तब तूने ही उसे विश्‍वास में स्‍थिर किया था।
10तेरा रेवड़ देश में बस गया;
हे परमेश्‍वर, तूने अपनी भलाई के कारण,
पीड़ित प्रजा की व्‍यवस्‍था की।
11स्‍वामी आज्ञा देता है;
शुभ संदेश सुनानेवाली महिलाओं का
महान दल यह घोषित करता है:
12“सेनाओं के राजा भाग रहे हैं,
वे भाग रहे हैं।
घर पर रहने वाली स्‍त्रियाँ लूट को बाँटती हैं,
13उन्‍हें चांदी के कबूतर के पंख,
और सोने के पैर मिले।
ओ पुरुषो,
क्‍या तुम भेड़शालाओं में
दुबक कर बैठे रहोगे?” #शास 5:16
14जब सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर ने
राजाओं को वहां छिन्न-भिन्न कर दिया,
तब ऐसा लगा मानो सलमोन पर्वत पर
हिमपात हो रहा था।
15ओ विशाल पर्वत, बाशान पर्वत,
ओ शिखरोंवाले पर्वत, बाशान पर्वत!
16ओ शिखरोंवाले पर्वत,
ईष्‍र्या से उस पर्वत को क्‍यों देखते हो,
जिस पर बसने की परमेश्‍वर ने इच्‍छा की है?
निस्‍सन्‍देह प्रभु वहां युग-युगान्‍त निवास
करेगा।
17परमेश्‍वर के रथ हजारों हैं,
हजारों-हजार है;
स्‍वामी सीनय पर्वत से पवित्र स्‍थान में
आया।#68:17 पाठांतर, “स्‍वामी उनके साथ है, सीनय पर्वत पवित्र स्‍थान में है।” #2 रा 6:17
18वह#68:18 मूल में “तू” । ऊंचे स्‍थान पर चढ़ गया;
और बन्‍दियों को पकड़कर ले गया;
उसने लोगों से, विद्रोहियों से भी,
उपहार लिया।
प्रभु परमेश्‍वर वहां निवास करेगा।#इफ 4:8
19धन्‍य है स्‍वामी!
वह प्रति दिन हमारा भार वहन करता है;
परमेश्‍वर ही हमारा उद्धार है।#यश 46:4
सेलाह
20हमारा परमेश्‍वर
मुक्‍ति प्रदान करनेवाला परमेश्‍वर है;
प्रभु-स्‍वामी के पास ही मृत्‍यु से मुक्‍ति है।
21निस्‍सन्‍देह परमेश्‍वर
अपने शत्रुओं के सिरों को,
उस व्यक्‍ति की बालों-भरी खोपड़ी को
कुचल देगा,
जो अपने अपराधों-भरे मार्ग पर चलता है।
22स्‍वामी ने कहा, “मैं उन्‍हें बाशान से
ले आऊंगा,
मैं उन्‍हें सागर की गहराइयों से
निकाल लाऊंगा,
23जिससे तू रक्‍तपात के कारण उन्‍हें पैरों से
कुचल दे,#68:23 पाठांतर, “पैरों को रक्‍त में नहला सके”
जिससे तेरे कुत्तों की जीभ बैरियों से
अपना हिस्‍सा पा सके।” #1 रा 22:38
24हे परमेश्‍वर, तेरी शोभा-यात्राएँ
दिखाई देती हैं;
मेरे परमेश्‍वर, मेरे राजा की शोभा-यात्राएँ
पवित्र स्‍थान में दिखाई देती हैं:
25गायक आगे हैं, वादक पीछे,
उनके मध्‍य कन्‍याएं डफ बजा रही हैं।
26इस्राएल के सम्‍मेलन में#68:26 मूल में, ‘इस्राएल के सोते में से’।
अपनी-अपनी मंडली में
वे प्रभु परमेश्‍वर को धन्‍य कहते हैं।
27वहां सब से छोटा कुल बिन्‍यामिन उनकी
अगुआई कर रहा है,
उनके समूह में यहूदा के शासक,
जबूलून और नफ्‍ताली कुल के शासक हैं।
28हे परमेश्‍वर, अपने सामर्थ्य का आह्‍वान कर,
तू अपने सामर्थ्य को प्रदर्शित कर;
परमेश्‍वर, तूने हमारे लिए
महाकार्य किया है।
29तेरे यरूशलेम के मन्‍दिर के कारण,
राजा तेरे लिए भेंट ले जाएंगे।#यश 18:7
30नरकट में रहने वाले हिंस्र पशु को,
देश-देश के बछड़ों के साथ
सांड़ों के झुण्‍ड को भी डांट।
वे चांदी के कोष के साथ
आत्‍म-समर्पण कर रहे हैं;
जो युद्ध से प्रसन्न होते हैं
प्रभु ने उनको छिन्न-भिन्न कर दिया।
31सामन्‍त मिस्र देश से आएंगे,
कूश देश के लोग परमेश्‍वर की ओर
अविलम्‍ब हाथ जोड़ेंगे।
32ओ पृथ्‍वी के सब देशो! परमेश्‍वर के लिए
गीत गाओ;
स्‍वामी की स्‍तुति करो!
सेलाह
33वह स्‍वर्ग पर, सनातन के स्‍वर्ग पर
सवारी करता है,
देखो, वह अपनी वाणी, शक्‍तिशाली वाणी
सुनाता है।
34परमेश्‍वर के सामर्थ्य के लिए,
उसकी स्‍तुति करो!
उसका प्रताप इस्राएल पर छाया है;
उसकी शक्‍ति नभ-मण्‍डल में है।
35परमेश्‍वर अपने पवित्र स्‍थान में भयप्रद है;
इस्राएल का परमेश्‍वर ही अपनी प्रजा को
शक्‍ति और सामर्थ्य प्रदान करता है;
परमेश्‍वर धन्‍य है!

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