YouVersion Logo
Search Icon

भजन संहिता 56

56
अखण्‍ड विश्‍वास की प्रार्थना#1 शम 21:13-15
मुख्‍यवादक के लिए। योतन-एलेम-रहोकीम#56:0 अर्थात् ‘दूरस्‍थ बलूत वृक्षों के कबूतर’ के अनुसार। दाऊद का मिकताम। यह उस समय का है, जब पलिश्‍तियों ने उसे गत नगर में पकड़ लिया था।
1हे परमेश्‍वर, मुझ पर कृपा कर,
क्‍योंकि मनुष्‍य मुझे कुचलते हैं;
सैनिक दिन भर मुझे सताते हैं;
2मेरे शत्रु दिन भर मुझे कुचलते हैं;
घमण्‍ड से भर कर#56:2 अथवा, ‘हे सर्वोच्‍च परमेश्‍वर’। मुझ से लड़ने वाले
बहुत हैं।
3जिस समय मैं भयभीत होता हूं,
तुझ पर ही मैं भरोसा करता हूँ।
4परमेश्‍वर पर, जिसके वचन की मैं प्रशंसा
करता हूं,
परमेश्‍वर पर मैं भरोसा करता हूं,
मैं नहीं डरूंगा;
मनुष्‍य मेरा क्‍या कर सकता है?
5शत्रु निरन्‍तर मेरे कार्यों में अड़ंगा लगाते हैं#56:5 अथवा, ‘मेरे वचनों का उलटा अर्थ लगाते हैं’। ;
उनके समस्‍त विचार मेरे विरुद्ध बुराई के
लिए हैं।
6वे परस्‍पर एकत्र हो घात लगाते हैं,
वे मेरे पग-पग के प्रति सचेत रहते हैं, मानो
वे मेरे प्राण के लिए ठहरे हैं।
7क्‍या वे बुराई करके भी बच निकलेंगे?
हे परमेश्‍वर, क्रोध से उनको नीचे गिरा दे।
8तूने मेरे मारे-मारे फिरने का विवरण रखा है;
हे परमेश्‍वर, मेरे आंसुओं को अपने पात्र में
रखना।
निस्‍सन्‍देह वे तेरी पुस्‍तक में लिखे हुए हैं।
9जिस दिन मैं तुझ को पुकारूंगा,
मेरे शत्रु तत्‍काल पीठ दिखाएंगे;
मैं यह जानता हूँ कि परमेश्‍वर मेरे पक्ष में है।
10परमेश्‍वर पर, जिसके वचन की मैं प्रशंसा
करता हूँ;
प्रभु पर, जिसके वचन की मैं प्रशंसा करता हूँ;
11परमेश्‍वर पर मैं भरोसा करता हूँ;
मैं नहीं डरूंगा।
मनुष्‍य मेरा क्‍या कर सकता है?#इब्र 13:6
12हे परमेश्‍वर, तेरे प्रति अपने व्रतों का दायित्‍व
मुझ पर है;
मैं तुझ को स्‍तुति बलि चढ़ाऊंगा।
13तूने मृत्‍यु से मेरे प्राण को मुक्‍त किया है।
निस्‍सन्‍देह तूने मेरे पैरों को फिसलने से
बचाया है,
जिससे मैं जीवन-ज्‍योति में तुझ-परमेश्‍वर
के सम्‍मुख चलूं।#अय्‍य 33:30; भज 116:8

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

Videos for भजन संहिता 56