भजन संहिता 14
14
मनुष्य की मूर्खता और दुष्टता
मुख्यवादक के लिए। दाऊद का भजन।
1मूर्ख अपने हृदय में यह कहते हैं,
“परमेश्वर है ही नहीं।”
वे भ्रष्ट हो गए हैं और घृणास्पद कार्य करते
हैं,
ऐसा कोई भी नहीं जो भलाई करता है।#भज 53:1-6#रोम 3:10-12
2प्रभु स्वर्ग से मनुष्यों पर दृष्टिपात करता है
यह देखने के लिए कि क्या कोई ऐसा मनुष्य
है,
जो समझ से काम लेता है,
जो परमेश्वर को खोजता है?
3सब मनुष्य मार्ग से भटक गए हैं,
सब एक-जैसे भ्रष्ट हो गए हैं;
ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता है;
नहीं, एक भी नहीं।
4क्या कुकर्मी नहीं समझते,
मेरे लोगों का खून चूसने वाले कुकर्मी,#14:4 अथवा, ‘रोटी के समान खानेवाले’
क्या वे सब बिलकुल नासमझ हैं?
वे मुझ-प्रभु की आराधना नहीं करते।
5वहाँ वे अत्यन्त आतंकित हो उठे;
क्योंकि परमेश्वर धार्मिक पीढ़ी के साथ है।
6वे पीड़ित व्यक्ति के प्रयत्न विफल करना
चाहते हैं।
परन्तु प्रभु उसका आश्रय-स्थल है।
7भला हो कि सियोन पर्वत से इस्राएल का
उद्धार प्रकट हो।
जब प्रभु अपने निज लोगों को समृद्धि पुन:
प्रदान करेगा,
तब याकूब आनन्द मनाएगा, और इस्राएल
हर्षित होगा।
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भजन संहिता 14: HINCLBSI
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