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भजन संहिता 130

130
प्रभु के उद्धार की आशा करना
यात्रा-गीत।
1हे प्रभु, गंभीर संकट की स्‍थिति में#130:1 शब्‍दश: गहरे गर्त्त से
मैं तुझको पुकारता हूं!#शोक 3:55; योना 2:2
2हे स्‍वामी, मेरी पुकार सुन!
मेरी विनती के शब्‍दों पर
तेरे कान ध्‍यान से लगे रहें!
3हे प्रभु, यदि तू मेरे अधर्म पर ध्‍यान देगा,
तो, हे स्‍वामी, तेरे सम्‍मुख कौन खड़ा रह
सकेगा?#भज 143:2; रोम 3:20; गल 2:16
4पर तेरे साथ क्षमा है, ताकि हम तेरी भक्‍ति
करें।#नि 34:7; 1 रा 8:39-40
5मैं प्रभु की प्रतीक्षा करता हूं;
मेरा प्राण प्रतीक्षा करता है;
मैं प्रभु के वचन की आशा करता हूं।
6सबेरे की प्रतीक्षा करनेवाले पहरेदारों से
अधिक,
प्रात: की प्रतीक्षा करनेवाले पहरेदारों से
अधिक
मेरा प्राण स्‍वामी की प्रतीक्षा करता है।
7ओ इस्राएल, प्रभु की आशा कर!
क्‍योंकि प्रभु के साथ करुणा है।
प्रभु के साथ अपार उद्धार है।
8वह इस्राएल को
उसके समस्‍त अधर्म से छुड़ाएगा।#मत 1:21; तीत 2:14

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