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नीतिवचन 28

28
1जब कोई पीछा भी नहीं करता
तब भी दुर्जन डर से भागता है;
पर धार्मिक मनुष्‍य सिंह के समान साहसी
होता है,
और वह निर्भयता से शत्रु का सामना करता है।#लेव 26:17
2जब देश में अराजकता फैल जाती है
तब अनेक लोग शासक बन जाते हैं;
किन्‍तु समझदार और बुद्धिमान लोगों के
कारण
राष्‍ट्र दीर्घ काल तक सुदृढ़ बना रहता है।
3जब एक गरीब मनुष्‍य
दूसरे गरीब मनुष्‍य पर अत्‍याचार करता है,
तब उसका यह कार्य
मानो घनघोर वर्षा से फसल का सर्वनाश
होना है।
4कानून का उल्‍लंघन करनेवाला मनुष्‍य ही
दुर्जन की प्रशंसा करता है:
पर कानून के माननेवाले व्यक्‍ति दुर्जन का
विरोध करते हैं।
5दुष्‍कर्म करनेवाला मनुष्‍य
न्‍याय को नहीं समझता;
परन्‍तु प्रभु के भक्‍त ही उसको भली-भांति
समझते हैं।#1 कुर 2:15
6कुमार्ग पर चलनेवाले धनवान से
सन्‍मार्ग पर चलनेवाला गरीब श्रेष्‍ठ है।
7व्‍यवस्‍था का पालन करनेवाला युवक
अपने पिता का बुद्धिमान पुत्र कहलाता है;
किन्‍तु उड़ाने-खाने वालों के साथ रहनेवाला
जवान
अपने पिता की निन्‍दा का कारण बनता है।
8जो धनवान अपना धन
ब्‍याज और मुनाफाखोरी से बढ़ाता है,
उसे अपना धन उस मनुष्‍य के लिए छोड़ना
पड़ता है
जो गरीबों पर दया करता है।
9जो मनुष्‍य व्‍यवस्‍था-पाठ को नहीं सुनता,
उसकी प्रार्थना भी परमेश्‍वर नहीं सुनता।
10जो आदमी निष्‍कपट मनुष्‍य को
कुमार्ग पर ले जाता है,
वह स्‍वयं पतन के गड्ढे में गिरता है।
किन्‍तु निर्दोष व्यक्‍ति को सुन्‍दर पुरस्‍कार
प्राप्‍त होता है।
11धनवान मनुष्‍य स्‍वयं को अपनी दृष्‍टि में
बुद्धिमान समझता है,
परन्‍तु समझदार गरीब
उसकी बुद्धिमानी की वास्‍तविकता को
पहचान जाता है।
12जब धार्मिक मनुष्‍य विजय प्राप्‍त करता है
तब यह सबके लिए बड़े गौरव की बात
होती है;
परन्‍तु दुर्जन के प्रबल होने पर
लोग डर के कारण छिप जाते हैं।
13जो मनुष्‍य अपने अपराध छिपाता है
वह जीवन में उन्नति नहीं करता;
परन्‍तु अपने अपराध को स्‍वीकार करनेवाले
और उसको पुन: न करनेवाले
मनुष्‍य पर परमेश्‍वर दया करता है।#भज 32:5; 1 यो 1:8-10
14धन्‍य है वह मनुष्‍य
जो प्रभु की भक्‍ति#28:14 प्रभु से डरता है। सदा करता है;
पर प्रभु के प्रति अपने हृदय को
कठोर बनानेवाला मनुष्‍य
विपत्ति के गड्ढे में गिरता है।
15गरीब जनता पर शासन करनेवाला दुर्जन
मानो दहाड़ता हुआ सिंह है,
मानो शिकार का भूखा रीछ है।
16जिस शासक में समझ नहीं है,
वह निर्दय अत्‍याचारी बन जाता है;
जो अन्‍याय के धन से घृणा करता है,
वह दीर्घ आयु पाता है।
17यदि किसी मनुष्‍य ने दूसरे की हत्‍या की है,
तो वह मृत्‍यु पर्यन्‍त यहां वहां मारा-मारा
फिरे;
कोई भी व्यक्‍ति उसकी सहायता न करे।
18निष्‍कपट आचरण करनेवाला मनुष्‍य
निस्‍सन्‍देह बचाया जाएगा;
किन्‍तु कुमार्ग पर चलनेवाला व्यक्‍ति
पतन के गड्ढे में गिरेगा।
19अपने खेत में खून-पसीना बहानेवाला
किसान समृद्ध होता है;
किन्‍तु व्‍यर्थ की बातों में समय बितानेवाला
किसान घोर गरीबी में जीवन बिताता है।
20जो ईमानदार है,
उस पर आशिषों की वर्षा होती है;
परन्‍तु जो मनुष्‍य अति शीघ्र
धनवान बनना चाहता है,
वह निर्दोष नहीं ठहरता।
21पक्षपात करना अच्‍छा नहीं;
परन्‍तु रोटी के एक टुकड़े के लिए भी
मनुष्‍य अनुचित कार्य कर डालता है।
22कंजूस मनुष्‍य धन कमाने के लिए तड़पता है;
परन्‍तु वह नहीं जानता है कि
वह फिर अभाव का जीवन बिताएगा।
23दूसरे की चापलूसी करनेवाले की अपेक्षा
वह मनुष्‍य उसका कृपापात्र बनता है
जो गलत काम के लिए उसको डांटता है।
24जो पुत्र अपने माता-पिता के घर में चोरी
करता है,
और कहता है, “यह अपराध नहीं है”
वह घर उजाड़नेवाले का साथी है।
25लालची मनुष्‍य लड़ाई-झगड़ा उभाड़ता है;
किन्‍तु प्रभु पर भरोसा करनेवाला
निस्‍सन्‍देह धन-सम्‍पन्न होगा।
26जो मनुष्‍य केवल अपने ऊपर भरोसा रखता
है, वह मूर्ख है;
पर बुद्धि के मार्ग पर चलनेवाला
मनुष्‍य बचाया जाएगा।#1 कुर 3:18
27जो मनुष्‍य गरीब को उदारता से देता है,
उसे किसी प्रकार का अभाव न होगा;
किन्‍तु गरीब को देखकर
मुंह फेरनेवाले आदमी पर शाप पड़ता है।
28जब दुर्जन प्रबल होता है
तब लोग डर से छिप जाते हैं;
किन्‍तु उसके मरने पर
धार्मिक जन बढ़ने लगते हैं।

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