जन-गणना 6
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समर्पण-व्रतधारी की व्यवस्था
1प्रभु मूसा से बोल, 2‘इस्राएली समाज से बोलना; तू उनसे यह कहना : जब स्त्री अथवा पुरुष विशेष व्रत, प्रभु के लिए स्वयं को समर्पित करने हेतु “समर्पण-व्रतधारी” #6:2 मूल में ‘नाजीर’, प्रभु की सेवा के लिए अलग किया हुआ व्यक्ति का व्रत लेगा 3तब वह मदिरा तथा अंगूर के रस से अपने को अलग रखेगा। वह अंगूर अथवा मदिरा का सिरका नहीं पीएगा। वह अंगूर का रस भी नहीं पीएगा और न ताजा अथवा सूखा अंगूर ही खाएगा।#शास 13:5; 1 शम 1:11; लू 1:15 4वह समर्पण-व्रत की अवधि में अंगूर की लता, बीज अथवा छिलके से बनी कोई भी वस्तु नहीं खाएगा।
5‘समर्पण-व्रत की अवधि में उसके सिर पर उस्तुरा नहीं फेरा जाएगा। जिस अवधि के लिए उसने स्वयं को प्रभु के हेतु समर्पित किया है, जब तक वह अवधि पूर्ण न हो जाए तब तक वह पवित्र रहेगा। वह अपने सिर के केश बढ़ने देगा।
6‘मुझ-प्रभु के हेतु समर्पण-व्रत की अवधि में वह किसी शव के निकट नहीं जाएगा। 7यदि उसके पिता, माता, भाई अथवा बहिन की मृत्यु हो जाए, तो वह उनके शव के निकट जाकर अपने को अशुद्ध नहीं करेगा; क्योंकि मुझ-परमेश्वर के लिए उसके समर्पण का चिह्न उसके सिर के केश हैं। 8वह समर्पण-व्रत की सम्पूर्ण अवधि में मुझ-प्रभु के हेतु पवित्र रहेगा।
9‘यदि किसी व्यक्ति की उसके निकट अचानक ही मृत्यु हो जाए और उसके सिर के समर्पित केश अशुद्ध हो जाएँ, तो वह शुद्धीकरण दिवस पर उनको मुड़वा लेगा। वह सातवें दिन उनको मुड़वाएगा। 10वह आठवें दिन दो पण्डुक अथवा कबूतर के दो बच्चे मिलन-शिविर के द्वार पर पुरोहित के पास लाएगा। 11पुरोहित एक पण्डुक अथवा कबूतर का बच्चा पाप-बलि के लिए, और दूसरा अग्नि-बलि के लिए अर्पित करेगा। इस प्रकार वह उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करेगा; क्योंकि शव के कारण उससे पाप हुआ है। वह उसी दिन अपने सिर को पुन: पवित्र करेगा 12और मुझ-प्रभु के हेतु समर्पण-व्रत की अवधि के लिए स्वयं को अलग करेगा। वह दोषबलि के लिए एक-वर्षीय मेमना लाएगा। उसके समर्पण-व्रत की अवधि के आरम्भिक दिन व्यर्थ हो जाएंगे; क्योंकि उसका समर्पण-व्रत अशुद्ध हो गया था।
13‘समर्पण-व्रतधारी व्यक्ति की यह व्यवस्था है : जब उसके समर्पण-व्रत की अवधि पूरी होगी, तब उसे मिलन-शिविर के द्वार पर लाया जाएगा।#प्रे 21:23-24 14वह मुझ-प्रभु को अपना चढ़ावा चढ़ाएगा; अग्नि-बलि के लिए एक एक-वर्षीय निष्कलंक मादा मेमना, और पाप-बलि के लिए एक एक-वर्षीय निष्कलंक मादा मेमना, सहभागिता-बलि के लिए एक निष्कलंक मेढ़ा, 15टोकरी-भर बेखमीर रोटियाँ, तेल सम्मिश्रित मैदे की चपातियाँ, तेल से चुपड़ी हुई पूड़ियाँ, अन्न-बलि तथा पेय-बलि। 16पुरोहित प्रभु के सम्मुख टोकरी चढ़ाएगा। वह उसकी पाप-बलि तथा अग्नि-बलि अर्पित करेगा। 17वह सहभागिता-बलि में टोकरी-भर बेखमीर रोटियों के साथ मेढ़े की बलि प्रभु को चढ़ाएगा। इसके अतिरिक्त पुरोहित अन्न-बलि तथा पेय-बलि भी अर्पित करेगा। 18समर्पण-व्रतधारी व्यक्ति मिलन-शिविर के द्वार पर अपना समर्पित सिर मुड़वाएगा। तत्पश्चात् वह अपने समर्पित सिर के केश उठाएगा और उनको सहभागिता-बलि के नीचे की अग्नि में डाल देगा। 19समर्पण-व्रतधारी व्यक्ति के सिर के समर्पित केश मुड़ाने के पश्चात् पुरोहित मेढ़े का उबला हुआ कंधा, टोकरी की एक बेखमीर रोटी और बेखमीर पूड़ी लेगा और उनको उसके हाथ पर रखेगा। 20पुरोहित उनको लहर-बलि के रूप में मुझ-प्रभु के सम्मुख लहराएगा। बलि-पशु के लहराए गए वक्ष के मांस तथा अर्पित जाँघ के मांस के साथ वे भी पुरोहित का पवित्र भाग होंगी। इसके पश्चात् समर्पण-व्रतधारी व्यक्ति अंगूर का रस पी सकता है।
21‘जो समर्पण-व्रत लेता है, उस व्रतधारी की यही व्यवस्था है। अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार जो चढ़ावा वह प्रभु को चढ़ा सकता है, उसके अतिरिक्त वह समर्पण-व्रत सम्बन्धी चढ़ावे भी चढ़ाएगा। जो व्रत वह लेता है, उसके अनुसार अपने समर्पण-व्रत की व्यवस्था के अनुरूप वह कार्य करेगा।’
पुरोहित का आशिष वचन
22प्रभु मूसा से बोला, 23‘तू हारून और उसके पुत्रों से यह कहना, तुम इस प्रकार इस्राएली समाज को आशिष देना। तुम उनसे कहना :
24“प्रभु तुम्हें आशिष दे,
और तुम्हारी रक्षा करे;
25प्रभु अपने मुख का प्रकाश तुम पर
प्रकाशित करे,
और तुम पर अनुग्रह करे;#भज 67:1; यो 1:17
26प्रभु तुम्हारी ओर उन्मुख हो,
और तुम्हें शांति प्रदान करे।” #भज 21:6; लू 2:14; यो 14:27; रोम 15:13; 2 थिस 3:16
27‘इस रीति से वे मेरा नाम इस्राएली समाज में प्रतिष्ठित करेंगे
और मैं उनको आशिष दूंगा।’#व्य 28:10; प्रव 50:20
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जन-गणना 6: HINCLBSI
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