मारकुस 1
1
योहन बपतिस्मादाता का उपदेश
1परमेश्वर के पुत्र येशु मसीह के शुभ समाचार का आरम्भ। 2नबी यशायाह के ग्रन्थ में लिखा है, “परमेश्वर कहता है#मत 3:1-12; लू 3:1-18; यो 1:19-30 :
देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेज
रहा हूँ।
वह तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा।#मल 3:1; मत 11:10; यो 3:28
3निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज :
‘प्रभु का मार्ग तैयार करो;
उसके पथ सीधे कर दो।’ ”#यश 40:3 (यू. पाठ)
4इसी के अनुसार योहन बपतिस्मादाता निर्जन प्रदेश में प्रकट हुए। वह पापक्षमा के लिए पश्चात्ताप के बपतिस्मा का उपदेश देते थे। 5समस्त यहूदा प्रदेश और सब यरूशलेम-निवासी योहन के पास आते और अपने पाप स्वीकार करते हुए यर्दन नदी में उन से बपतिस्मा ग्रहण करते थे।
6योहन ऊंट के रोओं का वस्त्र पहने और कमर में चमड़े का पट्टा बाँधे रहते थे। उनका आहार टिड्डियाँ और वन का मधु था।#2 रा 1:8; जक 13:4 7वह अपने उपदेश में कहते थे, “मुझ से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति मेरे बाद आने वाले हैं। मैं तो झुक कर उनके जूते का फीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ।#प्रे 13:25 8मैंने तुम लोगों को जल से बपतिस्मा दिया है, परन्तु वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देंगे।”
प्रभु येशु का बपतिस्मा
9उन दिनों येशु गलील प्रदेश के नासरत नगर से आए।#मत 3:13-17; लू 3:21-22; यो 1:31-34 उन्होंने यर्दन नदी में योहन से बपतिस्मा ग्रहण किया।#लू 2:51 10वह पानी से निकल ही रहे थे कि उन्होंने स्वर्ग को खुलते#1:10 शब्दश: ‘आकाश को फटते’ और आत्मा को अपने ऊपर कपोत के सदृश उतरते देखा 11और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, “तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ#1:11 अथवा, ‘मैंने तुझे पसन्द किया है।’।”#मक 9:7; भज 2:7; यश 42:1
प्रभु येशु की परीक्षा
12तुरन्त आत्मा ने येशु को निर्जन प्रदेश जाने को बाध्य किया।#मत 4:1-11; लू 4:1-13 13वह चालीस दिन निर्जन प्रदेश में रहे और शैतान ने उनकी परीक्षा ली। वह वन-पशुओं के साथ रहते थे और स्वर्गदूत उनकी सेवा-परिचर्या करते थे।#भज 91:13; यो 1:51
उपदेशों का आरम्भ
14योहन के गिरफ्तार हो जाने के बाद येशु गलील प्रदेश में आए और यह कहते हुए परमेश्वर के शुभ समाचार का प्रचार करने लगे,#मत 4:12-17; लू 4:14-15 15“समय पूरा हो चुका है। परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है। पश्चात्ताप करो और शुभ समाचार पर विश्वास करो।”#गल 4:4
प्रथम शिष्यों का बुलाया जाना
16गलील की झील के तट पर जाते हुए येशु ने सिमोन और उसके भाई अन्द्रेयास को देखा। वे झील में जाल डाल रहे थे, क्योंकि वे मछुए थे।#मत 4:18-22; लू 5:1-11 17येशु ने उन से कहा, “मेरे पीछे आओ। मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊंगा।”#मत 13:47 18और वे तुरन्त अपने जाल छोड़ कर उनके पीछे हो लिये।
19कुछ आगे बढ़ने पर येशु ने जबदी के पुत्र याकूब और उसके भाई योहन को देखा। वे नाव में अपने जालों की मरम्मत कर रहे थे। 20येशु ने उन्हें उसी समय बुलाया। वे अपने पिता जबदी को मजदूरों के साथ नाव में छोड़ कर उनके पीछे हो लिये।
कफरनहूम का अशुद्धात्मा-ग्रस्त मनुष्य
21येशु और उनके शिष्य कफरनहूम नगर में आए।#लू 4:31-37 विश्राम दिवस पर येशु तुरन्त सभागृह गये और वहाँ शिक्षा देने लगे।#मत 4:13 22लोग उनकी शिक्षा सुन कर आश्चर्यचकित हो गये; क्योंकि वह शास्त्रियों की तरह नहीं, बल्कि अधिकार के साथ उन्हें शिक्षा देते थे।#मत 7:28-29
23उस समय उनके सभागृह में एक मनुष्य था जो अशुद्ध आत्मा के वश में था। वह चिल्लाया, 24“नासरत-निवासी येशु! हमें आपसे क्या काम? क्या आप हमें नष्ट करने आए हैं? मैं जानता हूँ कि आप कौन हैं : परमेश्वर के भेजे हुए पवित्र जन!”#मक 5:7; भज 16:10 25येशु ने यह कहते हुए उसे डाँटा, “चुप रह! इस मनुष्य से बाहर निकल जा।” 26अशुद्ध आत्मा उस मनुष्य को झकझोर कर ऊंचे स्वर से चिल्लाती हुई उसमें से निकल गयी।#मक 9:26 27सब चकित रह गये और एक दूसरे से पूछने लगे, “यह क्या है? यह तो नये प्रकार की शिक्षा है। वह अधिकार के साथ बोलते हैं। वह अशुद्ध आत्माओं को भी आदेश देते हैं और वे उनकी आज्ञा मानती हैं।”
28येशु की चर्चा शीघ्र ही गलील प्रदेश के कोने-कोने में फैल गयी।
सिमोन पतरस की सास
29वे सभागृह से निकले और येशु याकूब और योहन के साथ सीधे सिमोन और अन्द्रेयास के घर गये।#मत 8:14-16; लू 4:38-41 30सिमोन की सास बुखार में पड़ी हुई थी। लोगों ने तुरन्त उसके विषय में उन्हें बताया। 31येशु उसके पास आये और उन्होंने हाथ पकड़ कर उसे उठाया। उसका बुखार उतर गया और वह उन लोगों के सेवा-सत्कार में लग गयी।
बहुतों को स्वास्थ्यलाभ
32सन्ध्या समय, सूरज डूबने के बाद लोग सब रोगियों और भूतग्रस्तों को येशु के पास ले आये। 33सारा नगर द्वार पर एकत्र हो गया। 34येशु ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को स्वस्थ किया और लोगों में से बहुत-से भूतों को निकाला। येशु भूतों को बोलने से रोकते थे, क्योंकि भूत जानते थे कि वह कौन हैं।#लू 4:41; प्रे 16:17-18
गलील प्रदेश का दौरा
35प्रात:काल, जब अंधेरा ही था, येशु उठे और घर से बाहर निकले। वह किसी एकान्त स्थान जा कर प्रार्थना करने लगे।#लू 4:42-44 36सिमोन और उसके साथी उनकी खोज में निकले, 37और उन्हें पाते ही यह बोले, “सब लोग आप को ढूँढ़ रहे हैं।” 38येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “आओ, हम आसपास के अन्य कस्बों में चलें। मुझे वहाँ भी संदेश सुनाना है, क्योंकि इसीलिए तो मैं आया हूँ।” 39और वह उनके सभागृहों में उपदेश देते और भूतों को निकालते हुए समस्त गलील प्रदेश में घूमने लगे।
कुष्ठरोगी को स्वास्थ्यलाभ
40एक कुष्ठरोगी येशु के पास आया और घुटने टेक कर उन से अनुनय-विनय करते हुए बोला, “आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।”#मत 8:2-4; लू 5:12-16 41येशु को उस पर दया#1:41 पाठांतर ‘येशु क्रुद्ध हुए’ आयी। उन्होंने हाथ बढ़ाकर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया, “मैं यही चाहता हूँ−तुम शुद्ध हो जाओ।” 42उसी क्षण उसका कुष्ठरोग दूर हुआ और वह शुद्ध हो गया। 43येशु ने उसे यह कड़ी चेतावनी देते हुए तुरन्त विदा किया,#मक 3:12; 7:36 44“सावधान! किसी से कुछ भी न कहना, किन्तु जाओ और अपने आप को पुरोहित को दिखाओ और अपने शुद्धीकरण के लिए मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ाओ, जिससे सब लोगों को मालूम हो जाए कि तुम स्वस्थ हो गए हो।”#लेव 13:49; 14:2-32
45परन्तु वह बाहर जा कर खुल कर इसकी चर्चा करने लगा और चारों ओर इस समाचार को फैलाने लगा। परिणाम यह हुआ कि येशु प्रकट रूप से नगरों में प्रवेश नहीं कर सके, वरन् वह निर्जन स्थानों में रहे। फिर भी लोग चारों ओर से उनके पास आते रहे।
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