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मलाकी 2

2
1‘ओ पुरोहितो, अब तुम्‍हारे लिए यह आज्ञा है: 2यदि तुम मेरी यह बात नहीं सुनोगे, मेरे नाम की महिमा करने पर ध्‍यान नहीं दोगे, तो मैं, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु, यह कहता हूं: मैं तुम पर शाप प्रेषित करूंगा। मैं तुम्‍हारे वरदानों को शापों में बदल दूंगा। निस्‍सन्‍देह मैंने उन्‍हें शाप में बदल दिया है, क्‍योंकि तुमने मेरे नाम की महिमा करने पर ध्‍यान नहीं दिया।#व्‍य 28:15 3देखो, मैं तुम्‍हारी संतान को ताड़ित करूंगा। तुम्‍हारे मुंह पर तुम्‍हारे बलि-पशुओं की अंतड़ियां फेंकूंगा। मैं अपने सम्‍मुख से तुम्‍हें निकाल दूंगा। 4मैं, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता हूं: तब तुम्‍हें ज्ञात होगा कि यह आज्ञा मैंने तुम्‍हें दी है जिससे लेवी के साथ स्‍थापित मेरा विधान न टूटे। 5लेवी से स्‍थापित मेरा विधान जीवन और शान्‍ति का विधान था। मैंने उसे जीवन और शान्‍ति दी थी जिससे वह मेरे प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखे। उसने ऐसा किया भी था। वह मेरे नाम के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखता था।#गण 25:12; व्‍य 33:8 6वह सत्‍य व्‍यवस्‍था उच्‍चारता था। उसके ओंठों से झूठ कभी नहीं निकलता था। वह शान्‍ति और धार्मिकता के साथ मेरा अनुसरण करता था। उसने अनेक लोगों को अधर्म से विमुख किया था।
7‘पुरोहित को अपने मुंह से ज्ञान की रक्षा करनी चाहिए। उसके मुंह से लोगों को व्‍यवस्‍था प्राप्‍त होनी चाहिए। पुरोहित स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु का सन्‍देशवाहक है।#व्‍य 17:9; यश 42:19 8परन्‍तु ओ पुरोहितो! तुमने मेरा मार्ग त्‍याग दिया। तुम्‍हारी शिक्षा के कारण अनेक लोगों को ठोकर लगी। स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु, मैं यह कहता हूं: तुमने लेवी के साथ स्‍थापित मेरे विधान को भ्रष्‍ट किया।#मत 23:13-15 9अत: मैंने भी सब लोगों के सम्‍मुख तुम्‍हें भी निकृष्‍ट और अधम बनाया; क्‍योंकि तुमने मेरी व्‍यवस्‍था के अनुसार आचरण नहीं किया, तुम मेरी व्‍यवस्‍था के प्रति निष्‍पक्ष नहीं हो।’
इस्राएल को उसके अविश्‍वास के लिए ताड़ना
10क्‍या हम-सब का एक ही पिता नहीं है? क्‍या हम-सब को एक ही परमेश्‍वर ने नहीं रचा है? तब हम अपने पुर्वजों के विधान का उल्‍लंघन कर क्‍यों एक-दूसरे के प्रति अविश्‍वास प्रकट करते हैं?#इफ 4:6
11यहूदा प्रदेश के निवासी अविश्‍वासी हैं। यरूशलेम नगर और इस्राएल प्रदेश में घृणित कार्य किए गए। यहूदा के निवासियों ने विदेशी देवता के अनुयायियों की पुत्रियों से प्रेम किया और विवाह किया, और यों प्रभु के पवित्र स्‍थान को अपवित्र किया। 12प्रभु ऐसा कार्य करने वाले को, चाहे वह प्रवासी हो या स्‍थायी निवासी#2:12 मूल में अस्‍पष्‍ट , यहूदा प्रदेश से निष्‍कासित करे, चाहे वह स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु को चढ़ाने के लिए भेंट ही क्‍यों न लाए।
13ओ पुरोहितो, तुम यह कार्य भी करते हो: तुम रोते हो, कराहते हो और अपने आंसुओं से प्रभु की वेदी को भिगोते हो; क्‍योंकि प्रभु तुम्‍हारे आंसुओं पर ध्‍यान नहीं देता, तुम्‍हारे हाथ से भेंट को स्‍वीकार नहीं करता और तुम पर कृपा नहीं करता। 14तुम यह पूछते हो, ‘प्रभु ऐसा क्‍यों कर रहा है?’ सुनो, जब तुमने युवावस्‍था में विवाह किया था, तब तुम्‍हारी युवावस्‍था की पत्‍नी और तुम्‍हारे मध्‍य स्‍थापित विवाह की प्रतिज्ञा में प्रभु भी साक्षी था। अब तुम अपनी युवावस्‍था की पत्‍नी के प्रति विश्‍वासघात कर रहे हो, जबकि वह विवाह की प्रतिज्ञा के अनुसार तुम्‍हारी जीवन-साथी और पत्‍नी है। 15क्‍या प्रभु ने पति और पत्‍नी को एक हो जाने के लिए नहीं बनाया? तो क्‍या आत्‍मा इस में सम्‍मिलित नहीं है?#2:15 अथवा, ‘तो क्‍या वे शरीर और आत्‍मा में एक नहीं हैं?’ और पति-पत्‍नी के एक होने का क्‍या उद्देश्‍य है? यही कि वे धर्मपरायण सन्‍तान उत्‍पन्न करें। अत: अपने प्रति सावधान रहो। कोई भी पति अपनी युवावस्‍था की पत्‍नी के प्रति विश्‍वासघात न करे।#मत 19:4-5; इफ 5:25-32
16इस्राएल का प्रभु परमेश्‍वर यों कहता है, ‘मैं तलाक से घृणा करता हूँ; मैं उस पति से नफरत करता हूँ जो दूसरी स्‍त्री को चादर ओढ़ाकर अपनी पत्‍नी बनाता है और यों अपनी पूर्व-पत्‍नी पर अत्‍याचार करता है।’ स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘अपने प्रति सावधान रहो। अपनी पत्‍नी के प्रति विश्‍वासघात मत करो।’
न्‍याय का दिन समीप है
17ओ पुरोहितो! तुमने अपनी बातों से प्रभु को उकता दिया है। फिर भी तुम पूछते हो, ‘हमने कैसे प्रभु को उकता दिया?’ तुम यह कहकर उसे उकता देते हो, ‘जो बुराई करता है, वह प्रभु की दृष्‍टि में भला है, क्‍योंकि प्रभु बुरे कार्यों से प्रसन्न होता है।’ तुम यह भी पूछते हो, ‘न्‍याय करने वाला परमेश्‍वर कहां है?’

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