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लेवीय व्‍यवस्‍था 4

4
पाप-बलि
1प्रभु मूसा से बोला, 2‘तू इस्राएली समाज से बोलना : यदि कोई व्यक्‍ति अनजाने में प्रभु की आज्ञा के विरुद्ध उन कार्यों में से किसी कार्य को करता है, जिन्‍हें प्रभु ने मना किया और यों पाप करता है,#गण 15:27-29 3और जो व्यक्‍ति पाप करता है, यदि वह अभ्‍यंजित पुरोहित है, तो वह प्रजा को भी दोषी बनाता है। ऐसा व्यक्‍ति अपने पाप के लिए, जो उसने किया है, प्रभु को एक निष्‍कलंक बछड़ा पाप-बलि के रूप में चढ़ाएगा। 4वह मिलन-शिविर के द्वार पर, प्रभु के सम्‍मुख बछड़े को लाएगा, और उसके सिर पर अपना हाथ रखेगा तथा प्रभु के सम्‍मुख उसको बलि करेगा। 5अभ्‍यंजित पुरोहित बछड़े का कुछ रक्‍त लेगा, और उसको मिलन-शिविर में लाएगा।#इब्र 9:13 6पुरोहित अपनी अंगुली रक्‍त में डुबाएगा और उसका कुछ अंश प्रभु के सम्‍मुख, पवित्र स्‍थान के अन्‍त:पट के आगे सात बार छिड़केगा। 7तत्‍पश्‍चात् पुरोहित रक्‍त का कुछ अंश मिलन-शिविर में स्‍थित सुगन्‍धित धूप की वेदी के सींगों पर, प्रभु के सम्‍मुख लगाएगा। वह बछड़े का शेष रक्‍त मिलन-शिविर के द्वार पर अग्‍नि-बलि की वेदी की आधार-पीठिका में उण्‍डेल देगा। 8वह पाप-बलि के बछड़े की यह सब चर्बी उससे अलग करेगा : अंतड़ियों को ढांपने वाली चर्बी, अंतड़ियों के ऊपर लिपटी हुई चर्बी, 9दोनों गुरदे और उनके ऊपर की चर्बी, जो कमर के पास रहती है, और गुरदों सहित कलेजे के ऊपर की झिल्‍ली। 10(सारी चर्बी को वह ऐसे अलग करे, जैसे सहभागिता-बलि के चढ़ावे के बैल से अलग की जाती है।) पुरोहित अग्‍नि-बलि की वेदी पर उसको जलाएगा। 11किन्‍तु बछड़े की खाल, उसका सारा मांस, सिर, पैर, अंतड़ियाँ, गोबर, 12अर्थात् सारे बछड़े के शेष अंश को वह पड़ाव के बाहर शुद्ध स्‍थान में, जहाँ राख डाली जाती है, ले जाकर लकड़ियों की अग्‍नि में जलाएगा। जहाँ राख डाली जाती है, वहीं वह जलाया जाएगा।
13‘यदि सम्‍पूर्ण इस्राएली मण्‍डली अनजाने में पाप करे, और वह बात धर्मसभा की आँखों से छिपी हो और वे उन कार्यों में से, जिन्‍हें प्रभु ने मना किया, कोई कार्य करने के कारण दोषी ठहरें, 14तो जब पाप, जो उन्‍होंने किया है, विदित हो जाता है तब धर्मसभा एक बछड़ा पाप-बलि के रूप में चढ़ाएगी। वह उसे मिलन-शिविर में लाएगी। 15मण्‍डली के धर्मवृद्ध प्रभु के सम्‍मुख बछड़े के सिर पर अपना हाथ रखेंगे और बछड़ा वेदी के सम्‍मुख बलि किया जाएगा। 16अभ्‍यंजित पुरोहित बछड़े का कुछ रक्‍त मिलन-शिविर में लाएगा। 17पुरोहित अपनी अंगुली रक्‍त में डुबाएगा और प्रभु के सम्‍मुख अन्‍त:पट के आगे सात बार उसको छिड़केगा। 18वह रक्‍त का कुछ अंश प्रभु के सम्‍मुख मिलन-शिविर में स्‍थित वेदी के सींगों पर लगाएगा। वह शेष रक्‍त को अग्‍नि-बलि की वेदी, जो मिलन-शिविर के द्वार पर है, की आधार-पीठिका में उण्‍डेल देगा। 19वह उसकी सब चर्बी उससे अलग करके वेदी पर जलाएगा। 20वह बछड़े के साथ वैसा ही करेगा जैसा उसने पाप-बलि के बछड़े के साथ किया था। पुरोहित लोगों के लिए प्रायश्‍चित करेगा और वे क्षमा प्राप्‍त करेंगे। 21वह बछड़े को पड़ाव के बाहर ले जाएगा। जैसा उसने पहले बछड़े को जलाया था, वैसा इसको भी जलाएगा। यह धर्मसभा की पाप-बलि है।
22‘यदि कोई मुखिया पाप करे, अनजाने में उन कार्यों में से किसी कार्य को करे जिन्‍हें प्रभु परमेश्‍वर ने मना किया और यों वह दोषी ठहरे, 23जब पाप, जो उसने किया है, उस पर विदित किया जाए, तो वह अपने चढ़ावे के रूप में एक निष्‍कलंक बकरा लाएगा।#गण 15:22-26 24वह बकरे के सिर पर अपना हाथ रखेगा, और जहाँ वे अग्‍नि-बलि के पशु को प्रभु के सम्‍मुख बलि करते हैं वहाँ, उस स्‍थान पर, उसको बलि करेगा। यह पाप-बलि है। 25तब पुरोहित अपनी अंगुली से पाप-बलि के पशु का कुछ रक्‍त लेगा, और उसे अग्‍नि-बलि की वेदी के सींगों पर लगाएगा। वह शेष रक्‍त को अग्‍नि-बलि की वेदी की आधार-पीठिका में उण्‍डेल देगा। 26वह सहभागिता-बलि की चर्बी के सदृश सब चर्बी को वेदी पर जलाएगा। इस प्रकार पुरोहित मुखिया के हेतु, उसके पाप के निमित्त प्रायश्‍चित करेगा और उसे क्षमा प्राप्‍त होगी।
27‘यदि कोई सामान्‍य व्यक्‍ति अनजाने में पाप करे, उन कार्यों में से किसी कार्य को करे जिन्‍हें प्रभु ने मना किया और यों वह दोषी ठहरे, 28जब उसका पाप, जो उसने किया है, उस पर विदित किया जाए, तो वह चढ़ावे के रूप में अपने पाप के लिए, जिसे उसने किया है, एक निष्‍कलंक बकरी लाएगा। 29वह पाप-बलि के पशु के सिर पर अपना हाथ रखेगा और अग्‍नि-बलि के स्‍थान पर पाप-बलि के पशु को बलि करेगा। 30पुरोहित अपनी अंगुली से उसका कुछ रक्‍त लेगा और उसे अग्‍नि-बलि की वेदी के सींगों पर लगाएगा। वह शेष रक्‍त को वेदी की आधार-पीठिका में उण्‍डेल देगा। 31जैसे सहभागिता-बलि के पशु की चर्बी निकाली जाती है, वैसे ही वह उसकी सब चर्बी निकालेगा। पुरोहित प्रभु के लिए सुखद सुगन्‍ध के हेतु चर्बी को वेदी पर जलाएगा। पुरोहित उस व्यक्‍ति के लिए प्रायश्‍चित करेगा और उसे क्षमा प्राप्‍त होगी।
32‘यदि वह सामान्‍य व्यक्‍ति पाप-बलि के लिए चढ़ावे में मेमना लाता है, तो वह निष्‍कलंक मादा मेमना लाएगा। 33वह पाप-बलि के पशु के सिर पर अपना हाथ रखेगा, और जहाँ वे अग्‍नि-बलि का पशु बलि करते हैं, वहाँ, उस स्‍थान पर, पाप-बलि के लिए उसको बलि करेगा। 34पुरोहित अपनी अंगुली से पाप-बलि का कुछ रक्‍त लेगा और उसे अग्‍नि-बलि की वेदी के सींगों पर लगाएगा। वह शेष रक्‍त को वेदी की आधार-पीठिका में उण्‍डेल देगा। 35जैसे सहभागिता-बलि के मेमने की चर्बी निकाली जाती है वैसे ही वह उसकी सब चर्बी निकालेगा। पुरोहित प्रभु को अग्‍नि में अर्पित अन्‍य बलि के अनुसार उसको भी वेदी पर जलाएगा। पुरोहित उस व्यक्‍ति के हेतु उसके पाप के निमित्त, जो उसने किया है, प्रायश्‍चित्त करेगा और उसे क्षमा प्राप्‍त होगी।

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