योना 2
2
योना का प्रभु को धन्यवाद देना
1योना ने मच्छ के पेट में अपने प्रभु परमेश्वर से प्रार्थना की।
2उसने कहा : ‘हे प्रभु,
मैंने अपने संकट में तुझे पुकारा,
और तूने मुझे उत्तर दिया।
मैंने अधोलोक के उदर में तेरी दुहाई दी,
और तूने निस्सन्देह मेरी पुकार सुनी।#भज 130:1
3तूने मुझे गहरे सागर में,
सागर के हृदय में फेंका था;
मैं धाराओं से घिरा हुआ था।
तेरी लहरों और तरंगों ने मुझे लपेट लिया था।
4तब मैंने यह सोचा: मैं प्रभु के
सम्मुख से निकाल दिया गया हूँ।
अब मैं कैसे प्रभु के पवित्र मन्दिर के दर्शन
कर सकूंगा?#भज 31:22
5मैं समुद्र में डूब रहा था।
मेरे चारों ओर जल ही जल था।
मेरे सिर में सिवार लिपट गई थी।
6मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था।
मैं अधोलोक में आ गया था,
जहां अर्गलाओं ने मुझे
सदा के लिए बन्द कर लिया था।
फिर भी, हे प्रभु मेरे परमेश्वर,
तू मेरे जीवन को
मृत्यु के गड्ढे से ऊपर ले आया।
7जब मेरे प्राण मूर्छित थे,
मैंने प्रभु को स्मरण किया।
प्रभु, मेरी प्रार्थना तुझ तक,
तेरे पवित्र मन्दिर में पहुंची।
8जो उपासक झूठे देवताओं की पूजा करते हैं,
वे अपनी सच्ची भक्ति को त्याग देते हैं।
9पर मैं धन्यवाद-रूपी स्तुति-बलि
तुझे अर्पित करूंगा।
जो मन्नत मैंने मानी है, उसको पूरा करूंगा।
निस्सन्देह प्रभु ही उद्धार करता है।’ #भज 50:14
10प्रभु ने मच्छ को आदेश दिया और उसने योना को समुद्र तट पर उगल दिया।
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योना 2: HINCLBSI
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
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