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यशायाह 17

17
सीरिया राज्‍य की राजधानी दमिश्‍क के पतन की नबूवत
1दमिश्‍क के विषय में नबूवत :
देखो दमिश्‍क नगर,
अब नगर नहीं रह जाएगा,
वह खण्‍डहरों का ढेर बन जाएगा।#यिर 49:23; आमो 1:3; जक 9:1
2सीरिया के नगर#17:2 मूल में, ‘अरोएर’ सदा के लिए उजड़ जाएंगे;
वे केवल पशुओं के झुण्‍ड के लिए चरागाह
बनेंगे।
पशु उनपर निश्‍चिंत लेटेंगे,
उनको वहाँ कोई डराएगा नहीं।
3एफ्रइम राज्‍य का गढ़
और दमिश्‍क की राज्‍य-सत्ता
विलुप्‍त हो जाएगी।
सीरिया देश के बचे हुए लोगों का भविष्‍य
और इस्राएलियों के वैभव का अन्‍त एक-
जैसा है।
स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु का यही कथन है।
4उस दिन याकूब का वैभव घट जाएगा,
उसका पुष्‍ट शरीर दुबला हो जाएगा।
5रपाइम की घाटी में जैसे फसल काटनेवाला
बालों को काटकर अपनी बाहों में भरता है,
फिर भी वहाँ किसान सिला बीनता है।
6अथवा जैसे जैतून वृक्ष को झाड़ने पर
उसमें कुछ फल शेष रह जाते हैं :
फुनगी पर दो-तीन,
वृक्ष की शाखाओं में चार-पांच,
वैसे ही याकूब की दशा होगी।
इस्राएल के परमेश्‍वर प्रभु की यही वाणी है।
7उस दिन मनुष्‍य अपने बनानेवाले की ओर देखेगा। उसकी आंखें इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर की ओर लगी रहेंगी। 8वह वेदियों की ओर दृष्‍टि नहीं करेगा, जिनको उसने अपने हाथ से बनाया था। वह अपने हाथ से गढ़ी हुई अशेराह देवी की मूर्तियों और सूर्य-देवता के स्‍तम्‍भों पर दृष्‍टिपात नहीं करेगा। 9हिव्‍वी और एमोरी राष्‍ट्रों ने इस्राएलियों के आगमन पर अपने नगर खाली कर दिए थे। इसी प्रकार उस दिन हिव्‍वी और एमोरी नगरों के समान सीरिया के किलाबन्‍द नगर भी खाली हो जाएंगे। सब नगर उजाड़ पड़े रहेंगे।
10तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्‍वर को भूल गया;
तुझे अपने आश्रय की चट्टान का स्‍मरण नहीं
रहा।
अत: चाहे तू अदोनी देवता के सम्‍मान में
बाग-बगीचे लगा ले;
उस विदेशी देवता के लिए
फूल-पौधों की कलम जमा ले,
11अथवा रोपने के दिन
तू उनके चारों ओर बाड़ा बांधे
और दूसरे दिन तेरे बीज में अंकुर फूटें,
तो भी असहनीय पीड़ा के दिन
जब असाध्‍य रोग का आक्रमण होगा
तब तेरी फसल सूख जाएगी।
12सुन, अनेक देशों के सैनिक दहाड़ रहे हैं,
जैसे उफनता हुआ समुद्र गर्जन करता है।
राष्‍ट्रों का युद्ध स्‍वर सुन;
वे प्रचण्‍ड धारा के समान गर्जन कर रहे हैं।
13यह सच है,
कि राष्‍ट्र भयंकर बाढ़ की तरह दहाड़ रहे हैं;
पर वे प्रभु की डांट से
सिर पर पैर रखकर भागेंगे,
जैसे पवन के सम्‍मुख पहाड़ी पर भूसा उड़ता
है; जैसे बवन्‍डर से धूल उड़ती है।
14देखो, संध्‍या समय आतंक का वास था;
पर सबेरा होने के पूर्व ही
वे गायब हो गए।
यह उन लोगों की नियति है
जो हमें लूटते हैं;
यही उनका अन्‍त है, जो हमें उजाड़ते हैं।

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