यहेजकेल 34
34
आदर्श राजा अपनी प्रजा का अच्छा मेषपाल (चरवाहा) होता है#यिर 23:1-6; जक 11:4-17; मत 18:12-14; लू 15:4-7; यो 10:1-18
1प्रभु का यह सन्देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझसे कहा, 2‘ओ मानव! इस्राएल देश के राजाओं-नेताओं के विरुद्ध नबूवत कर। उनसे तू यह कहना, स्वामी-प्रभु यों कहता है : ओ इस्राएल देश के चरवाहो, तुम अपनी भेड़ों की चिन्ता न कर स्वयं का पेट भर रहे हो। क्या चरवाहा पहले अपनी भेड़ों का पेट नहीं भरता है? 3ओ इस्राएली राष्ट्र के चरवाहो, तुम बढ़िया भोजन करते हो। तुम कीमती ऊनी वस्त्र पहनते हो। सबसे मोटे-ताजे पशु का मांस खाते हो। किन्तु अपनी जनता के मुंह में अन्न का दाना भी नहीं डालते! 4तुमने निर्बल को बलवान नहीं बनाया। तुमने बीमार को स्वस्थ नहीं किया। तुमने घायल के घावों की मलहम-पट्टी नहीं की। तुम भटकी हुई भेड़ को वापस नहीं लाए। जो खो गई है, उसको नहीं खोजा। किन्तु तुमने जनता पर जोर-जबरदस्ती से शासन किया। 5चरवाहा न होने के कारण भेड़ें तितर-बितर हो गईं, और जंगली जानवरों का आहार बन गईं।#मत 9:36; गण 27:17; 2 इत 18:16; यश 56:9
6‘मेरी भेड़ें तितर-बितर हो गई हैं। वे पहाड़ों पर, ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर भटक रही हैं।
‘मेरी भेड़ें पृथ्वी के सब देशों में तितर-बितर हो गई हैं। उनकी खोज-खबर लेनेवाला, उनको ढूंढ़कर लानेवाला कोई चरवाहा नहीं है।
7‘इसलिए, ओ इस्राएल देश के चरवाहो! मुझ-प्रभु का यह वचन सुनो: 8मुझे अपने जीवन की सौगन्ध है! मेरी भेड़ों को शिकारियों ने मार डाला। वे जंगली पशुओं का आहार बन गईं; क्योंकि उनकी देखभाल करनेवाला चरवाहा नहीं था। मैंने जिनको उन का चरवाहा नियुक्त किया था, उन चरवाहों ने भी भेड़ों की खोज-खबर नहीं ली। उन्होंने उनको चराया नहीं, बल्कि अपना ही पेट भरा। 9इसलिए ओ इस्राएल देश के चरवाहो! मुझ-प्रभु का यह वचन सुनो : 10मैं, स्वामी-प्रभु यों कहता हूं: देखो, मैं तुम-चरवाहों के विरुद्ध हूँ। मैं तुमसे अपनी भेड़ों का हिसाब लूंगा। मैं अपनी भेड़ों को चराने की जिम्मेदारी तुमसे वापस ले लूंगा, और तुम उनको फिर न चरा सकोगे। मैं तुम को पेट भर खाना न दूंगा। मैं तुम्हारे मुंह से अपनी भेड़ों को छुड़ाऊंगा। वे फिर तुम्हारा आहार न बनेंगी।
स्वयं प्रभु मेषपाल बनेगा
11‘स्वामी-प्रभु यों कहता है : देखो, मैं स्वयं अपनी भेड़ों की सुधि लूंगा, और उनको ढूंढ़ने जाऊंगा। 12जब किसी चरवाहे की भेड़ें झुण्ड में से निकल कर यहां-वहां खो जाती हैं, तब चरवाहा उन खोई हुई भेड़ों को ढूंढ़ता है। वैसे ही मैं चरवाहे की तरह अपनी भेड़ों को खोजूंगा। वे सघन अंधकार के दिन, घोर घटाओं के दिन भटक गई थीं। मैं उनको सब स्थानों से छुड़ा कर लाऊंगा। 13मैं अपने निज लोगों को, अपनी भेड़ों को भिन्न-भिन्न जातियों के मध्य से निकाल कर लाऊंगा। मैं उनको सब देशों से एकत्र करूँगा, और उनको उनके देश में लाऊंगा। मैं अपनी भेड़ों को इस्राएल देश के पहाड़ों पर और इस्राएल देश के सब आबाद स्थानों पर चराऊंगा। 14मैं उनको हरे-भरे चरागाह में चराऊंगा। इस्राएल देश के ऊंचे पठारों पर उनके चरागाह होंगे। वहां वे हरे-भरे घास के मैदान में आराम करेंगी। उन्हें इस्राएल के पहाड़ों के उत्तम चरागाह में पेटभर आहार प्राप्त होगा। 15मैं स्वयं अपनी भेड़ों का मेषपाल होऊंगा, और, मैं उनको हरे-भरे चरागाह में विश्राम कराऊंगा। मैं, स्वामी-प्रभु, यही कहता हूँ : 16मैं खोई हुई भेड़ को ढूंढ़ूंगा। भटकी हुई भेड़ के घावों पर पट्टी बांधूंगा। मैं निर्बल को बलवान बनाऊंगा। मैं मोटी-ताजी, स्वस्थ भेड़ की रक्षा करूंगा#34:16 पाठांतर, ‘का वध करूंगा’। । मैं उनको उचित रीति से चराऊंगा।#यश 40:11; लू 19:10
भेड़ों का न्याय
17‘ओ मेरी भेड़ो#34:17 मूल में, ‘रेवड़’! मैं, तुम्हारा स्वामी-प्रभु, तुमसे यों कहता हूं : देखो, मैं भेड़ों और भेड़ों तथा मेढ़ों और बकरों के मध्य न्याय कर रहा हूँ।#मत 25:32 18क्या यह उचित बात है कि तुम हरे-भरे चरागाह को चर लो और पेट भरने के बाद शेष चरागाह को अपने पैरों से रौंद दो? स्वच्छ जल को पीने के बाद पैरों से उसको गंदला कर दो? क्या तुम्हारा यह कार्य ठीक है? 19जिसको तुमने अपने पैरों से रौंद दिया, क्या मेरी भेड़ें उसको खाएंगी? जिस स्वच्छ जल को तुमने गंदला कर दिया, क्या उस को मेरी भेड़ें पीएंगी?
20‘इसलिए स्वामी-प्रभु उनसे यह कहता है : देखो, मैं स्वयं मोटी और दुबली भेड़ों के मध्य न्याय करूंगा। 21तुम दुर्बल भेड़ों को पांजर और सींग से मार-मार कर भगा देते हो, और वे यहां-वहां बिखर जाती हैं। 22अत: मैं अपनी भेड़ों की रक्षा करूंगा, और वे तुम्हारा शिकार नहीं होंगी। मैं भेड़ों और भेड़ों के मध्य न्याय करूंगा। 23मैं उनके ऊपर एक ही चरवाहे, अपने सेवक दाऊद को नियुक्त करूंगा और वह उनको चराएगा। दाऊद ही उनका चरवाहा होगा, और उनको चराएगा।#यहेज 37:24 24मैं स्वयं प्रभु उनका परमेश्वर होऊंगा, और मेरा सेवक दाऊद उनके मध्य में प्रशासक होगा। मैं-प्रभु ने यह कहा है।
शान्ति का विधान (वाचा)
25‘मैं अपनी भेड़ों के साथ शान्ति का विधान स्थापित करूंगा। मैं उनके देश से जंगली पशुओं को निकाल दूंगा। तब वे निर्जन प्रदेश में निश्चिन्त होकर निवास करेंगी, और जंगल में सोएंगी।#यश 11:6; यिर 23:6 26मैं उनको और अपनी पहाड़ी के आसपास के स्थानों को आशिष का कारण बनाऊंगा। मैं वर्षा के मौसम पर वर्षा करूंगा, और यह वर्षा आशिष की वर्षा होगी। 27मैदान और उद्यानों के वृक्षों में फल लगेंगे, और खेतों में भरपूर फसल होगी। भूमि अपनी उपज देगी। मेरे निज लोग अपने देश में निरापद निवास करेंगे। जब मैं उनकी गुलामी के जूए को तोड़कर उन्हें स्वतन्त्र करूंगा, जब मैं उनको गुलाम बनाने वाले शत्रु के हाथ से मुक्त करूंगा, तब उन्हें ज्ञात होगा कि मैं ही प्रभु हूं। 28तब वे विश्व के राष्ट्रों का शिकार नहीं बनेंगे, और जंगली जानवर उनको मार कर नहीं खाएंगे। निस्सन्देह वे अपने देश में निरापद निवास करेंगे, और उनको फिर कोई भयभीत नहीं करेगा। 29मैं अपने निज लोगों के लिए उपजाऊ खेतों और उद्यानों की व्यवस्था करूंगा। तब वे अपने देश में भूख से नहीं मरेंगे, और न ही उनके पड़ोसी राष्ट्र उन का मजाक उड़ाएंगे। 30तब उनको मालूम होगा कि मैं-प्रभु, उनका परमेश्वर, उनके साथ हूं, और वे इस्राएल के वंशज मेरे निज लोग हैं। मैं, स्वामी-प्रभु यही कहता हूं। 31ओ मेरे निज लोगो, तुम मेरी भेड़ें हो, मेरे चरागाह की भेड़ें हो, और मैं तुम्हारा परमेश्वर हूं।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
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यहेजकेल 34: HINCLBSI
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