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दानिएल पुस्‍तक-परिचय

पुस्‍तक-परिचय
प्रस्‍तुत ग्रंथ दानिएल नबी के द्वारा लिखा गया। नबी दानिएल कसदी राजाओं नबूकदनेस्‍सर एवं बेलशस्‍सर तथा मादी राजा दारा एवं फारसी राजा कुस्रू के शासन काल में रहा और नबूवत की।
नबी के रूप में दानिएल का महत्व स्‍वयं प्रभु यीशु ने मत्ती 24:15 में प्रकट किया है।
दानिएल नाम का अर्थ है “परमेश्‍वर मेरा न्‍यायी है” । प्रभु परमेश्‍वर पर उसका विश्‍वास और भक्‍ति उसके जीवन के सत्‍य को स्‍पष्‍टता से प्रस्‍तुत करती है।
इस ग्रंथ की विषय-वस्‍तु को हम दो मुख्‍य खण्‍डों में बाँट सकते हैं :
1) दानिएल तथा उसके साथी-मित्रों से संबंधित घटनाएँ। ये परमेश्‍वर पर अटूट विश्‍वास करते हैं, और उसके प्रति आज्ञाकारी बने रहते हैं। अपने विश्‍वास तथा आज्ञाकारिता से ये अपने विरोधियों को पराजित करते हैं। ये घटनाएँ बेबीलोनी तथा मादी-फारसी साम्राज्‍य-काल में घटित हुईं।
2) दानिएल को मिले दर्शन। दानिएल को मिले ये दर्शन एक के बाद एक होनेवाले साम्राज्‍यों के उत्‍थान और पतन की घटनाओं की भविष्‍यवाणी करते हैं। दर्शनों में बताया गया है कि साम्राज्‍यों का पतन होगा, और उनके साथ अत्‍याचारी शासक का भी। अन्‍त में परमेश्‍वर के भक्‍त लोगों को राजसत्ता पुन: प्राप्‍त होगी।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
दानिएल और उनके मित्रों की कथाएँ 1:1−6:28
दानिएल के दर्शन 7:1−12:13
(क) चार विशाल पशु 7:1-28
(ख) मेढ़ा और बकरा 8:1−9:27
(ग) दिव्‍य पुरुष का दर्शन 10:1−11:45
(घ) युगांत कब होगा 12:1-13

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