2 शमूएल 6
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मंजूषा की वापसी
1दाऊद ने इस्राएली राष्ट्र के तीस हजार सैनिक फिर एकत्र किए। 2वह अपने सब सैनिकों के साथ यहूदा प्रदेश के बालाह नगर को गया कि वे वहाँ से परमेश्वर की मंजूषा लाएँ। उसको ‘करूबों पर विराजने वाले स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु की मंजूषा’ के नाम से पुकारा जाता है।#1 इत 13:5; उत 25:21; भज 132 3उन्होंने परमेश्वर की मंजूषा को एक नई गाड़ी पर चढ़ाया और अबीनादब के घर से बाहर निकाला। उसका घर एक पहाड़ी टीले पर था। अबीनादब के पुत्र ऊज्जाह और अह्यो नई गाड़ी को हांक रहे थे।#1 शम 7:1-2 4ऊज्जाह परमेश्वर की मंजूषा की बगल में और अह्यो उसके आगे चल रहा था।#6:4 पद 3-4 यूनानी पाठानुवाद के अनुसार। 5दाऊद और इस्राएल के सब कुलों के लोग प्रभु के सम्मुख वीणा, सारंगी, डफ, डमरू और झांझ की ताल पर पूरे उत्साह से नाच-गा रहे थे।#भज 150
6जब वे नाकोन नामक किसान के खलियान पर पहुँचे, तब बैलों को ठोकर लगी। अत: ऊज्जाह ने परमेश्वर की मंजूषा की ओर अपना हाथ बढ़ाया, और उसको पकड़ लिया। 7ऊज्जाह के प्रति प्रभु का क्रोध भड़क उठा। परमेश्वर ने उसकी इस असावधानी के कारण#6:7 पाठभेद, ‘क्योंकि उसने मंजूषा की ओर हाथ बढ़ाया’। वहीं उस पर प्रहार किया, और वह परमेश्वर की मंजूषा के पास ही मर गया।#1 शम 6:19; गण 4:15 8दाऊद को क्रोध आया; क्योंकि प्रभु इस प्रकार ऊज्जाह पर टूट पड़ा था। इस कारण उस स्थान को आज भी पेरस-ऊज्जाह#6:8 अर्थात् “ऊज्जाह पर टूट पड़ना” कहा जाता है। 9उस दिन दाऊद प्रभु से डर गया। उसने कहा, ‘प्रभु की मंजूषा कैसे मेरे पास आ सकती है?’#लू 1:43; 5:8 10अत: उसने निश्चय किया कि वह प्रभु की मंजूषा को दाऊदपुर में नहीं ले जाएगा। वह उसको गत नगर के निवासी ओबेद-एदोम के घर में ले गया।
11प्रभु की मंजूषा गत नगर के निवासी ओबेद-एदोम के घर में तीन महीने तक रही। प्रभु ने ओबेद-एदोम तथा उसके समस्त परिवार को आशिष दी।#1 इत 26:4-5; लू 1:56 12किसी ने यह बात राजा दाऊद को बताई, ‘प्रभु परमेश्वर ने अपनी मंजूषा के कारण ओबेद-एदोम के परिवार, तथा उसके पास जो कुछ है, उस पर आशिष की है।’ अत: दाऊद गया। वह आनन्द के साथ परमेश्वर की मंजूषा ओबेद-एदोम के घर से दाऊदपुर में ले आया।#1 इत 15:1—16:3 13जब प्रभु की मंजूषा उठाने वाले छ: कदम आगे चल चुके, तब दाऊद ने एक बैल और मोटी भेड़ की बलि चढ़ाई। 14दाऊद ने प्रभु के सम्मुख पूरे उत्साह से नृत्य किया। वह कमर में सूती लुंगी#6:14 मूल में, “एपोद” पहिने हुए था।#भज 30:11; 1 शम 2:18 15इस प्रकार दाऊद और इस्राएल के सब कुलों के लोग जय-जयकार करते और नरसिंघा फूंकते हुए प्रभु की मंजूषा ले आए।
16जब प्रभु की मंजूषा ने दाऊदपुर में प्रवेश किया, तब शाऊल की पुत्री मीकल ने खिड़की से झांका। उसने देखा कि राजा दाऊद प्रभु के सम्मुख उछल-कूद रहा है, नाच रहा है। उसने अपने हृदय में दाऊद का तिरस्कार किया। 17वे प्रभु की मंजूषा को भीतर लाए। दाऊद ने उसके लिए एक तम्बू गाड़ा था। उन्होंने उसको तम्बू के भीतर उसके निर्धारित स्थान पर प्रतिष्ठित कर दिया। दाऊद ने प्रभु के सम्मुख अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि अर्पित की।#1 रा 8:5 18जब वह अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि चढ़ा चुका, तब उसने स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु के नाम से लोगों को आशिष दी। 19उसने सब लोगों को, इस्राएली समाज के हर पुरुष और स्त्री को एक रोटी, खजूर और किशमिश की रोटी बांटी। तब सब लोग अपने-अपने घर चले गए।#1 इत 16:43
20दाऊद अपने परिवार को आशिष देने के लिए महल को लौटा। शाऊल की पुत्री मीकल उससे भेंट करने के लिए महल से बाहर निकली। उसने कहा, ‘आज इस्राएल देश के महाराज ने स्वयं को कितना सम्मानित किया! जैसे गंवार व्यक्ति निर्लज्ज होकर अपने को नंगा करता है, वैसे ही आपने अपने सेवकों की दासियों के सामने स्वयं को नंगा किया!’ 21दाऊद ने मीकल से कहा, ‘मैं लोगों के लिए नहीं, वरन् प्रभु के लिए नाच रहा था। जीवन्त प्रभु की सौगन्ध! मैं प्रभु के सम्मुख पुन: नाचूँगा, जिसने तुम्हारे पिता और उसके राज-परिवार के व्यक्तियों की अपेक्षा मुझे चुना और अपने निज लोगों पर, इस्राएल देश का अगुआ नियुक्त किया है। 22मैं प्रभु के लिए इससे अधिक निम्न आचरण करूँगा। मैं तुम्हारी#6:22 मूल में, ‘अपनी’। दृष्टि में भले ही नीच ठहरूँ; किन्तु जिन दासियों का तुमने उल्लेख किया है, वे मेरा सम्मान करेंगी।’ 23अत: शाऊल की पुत्री मीकल को मृत्यु के दिन तक सन्तान नहीं हुई!
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2 शमूएल 6: HINCLBSI
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