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2 शमूएल 10

10
अम्‍मोन और सीरिया राज्‍यों की पराजय
1इस घटना के पश्‍चात् अम्‍मोनी जाति के राजा नाहश की मृत्‍यु हो गई। उसके स्‍थान पर उसका पुत्र हानून राज्‍य करने लगा।#1 इत 19:1-19 2दाऊद ने यह सोचा, ‘जैसे हानून के पिता ने मुझसे प्रेमपूर्ण व्‍यवहार किया था, वैसे ही मैं उसके साथ करूँगा।’ अत: दाऊद ने उसके पिता की मृत्‍यु के विषय में अपने दरबारियों के हाथ संवेदना-सन्‍देश भेजा। दाऊद के दरबारी अम्‍मोन देश में आए। 3अम्‍मोनियों के सामन्‍तों ने अपने स्‍वामी हानून से यह कहा, ‘दाऊद ने आपके पास संवेदना प्रकट करने वाले भेजे। इस कारण क्‍या आप यह सोचते हैं कि वह आपके पिता के प्रति सम्‍मान प्रकट कर रहा है? कदापि नहीं। उसने नगर की खोज-बीन करने, उसका भेद लेने और नगर को उलट-पुलट करने के लिए आपके पास अपने सेवक भेजे हैं।’ 4अत: हानून ने दाऊद के दरबारियों को पकड़ा। प्रत्‍येक दरबारी की आधी दाढ़ी मूंड़ दी। उनके वस्‍त्र नितम्‍ब तक आधे काट दिए। तत्‍पश्‍चात् उन्‍हें भेज दिया।#यश 20:4 5दाऊद को यह समाचार मिला। उसने दरबारियों से भेंट करने के लिए दूत भेजे; क्‍योंकि वे अत्‍यन्‍त लज्‍जित थे। राजा दाऊद ने कहा, ‘जब तक तुम्‍हारी दाढ़ी फिर न बढ़ जाए, तब तक तुम यरीहो नगर में ठहरे रहो। उसके बाद आना।’
6अम्‍मोनियों ने देखा कि उन्‍होंने दाऊद की शत्रुता मोल ले ली है। अत: उन्‍होंने दूत भेजे और बेत-रहोब और सोबाह राज्‍यों के बीस हजार सीरियाई सैनिक, माकाह देश के राजा तथा उसके एक हजार सैनिक और टोब राज्‍य के बारह हजार सैनिक किराए पर बुला लिए। 7दाऊद ने यह सुना। उसने सेना और योद्धाओं के साथ सेनापति योआब को भेजा। 8अम्‍मोनी सैनिक नगर के बाहर निकले। उन्‍होंने नगर के प्रवेश-द्वार पर युद्ध की व्‍यूह-रचना की। सोबाह और रहोब राज्‍यों के सीरियाई सैनिक तथा टोब और माकाह राज्‍यों के सैनिक नगर के बाहर मैदान में थे।
9योआब ने देखा कि उसे सामने और पीछे, दोनों ओर से युद्ध करना होगा। अत: उसने इस्राएली सेना के चुनिन्‍दे सैनिकों में से कुछ सैनिक चुने। तत्‍पश्‍चात् योआब ने उन्‍हें सीरियाई सेना का सामना करने के लिए नियुक्‍त किया। 10उसने शेष सैनिक अपने भाई अबीशय के हाथ में सौंप दिए, और उन्‍हें अम्‍मोनी सैनिकों का सामना करने के लिए नियुक्‍त कर दिया। 11उसने अबीशय से कहा, ‘यदि सीरियाई मुझसे अधिक शक्‍तिशाली सिद्ध होंगे तो तुम मेरी सहायता करने के लिए आना। यदि अम्‍मोनी सैनिक तुमसे अधिक शक्‍तिशाली सिद्ध होंगे तो मैं आकर तुम्‍हारी सहायता करूँगा। 12शक्‍तिशाली बनो! हम अपनी जनता और अपने परमेश्‍वर के नगरों के लिए युद्ध करें। प्रभु वही करे, जो उसकी दृष्‍टि में उचित है।’
13योआब और उसके साथ के सैनिक सीरियाई सेना से युद्ध करने के लिए उसके समीप आए। पर सीरियाई सैनिक उनके सामने से भागने लगे। 14जब अम्‍मोनी सैनिकों ने देखा कि सीरियाई सैनिक भाग गए तब वे भी योआब के भाई अबीशय के सामने से भाग गए, और अपने नगर के भीतर चले गए। योआब अम्‍मोनियों से युद्ध कर लौटा और यरूशलेम नगर में आया।
15जब सीरियाई सैनिकों ने देखा कि इस्राएली सेना ने उन्‍हें हरा दिया, तब वे युद्ध के लिए पुन: एकत्र हो गए। 16हदद-एजेर ने दूत भेजे, और जो सीरियाई सैनिक फरात नदी के उस पार थे, उन्‍हें बुला लिया। वे हेलाम नगर में आए। हदद-एजेर की सेना का सेनापति शोबख था। वह उनके आगे-आगे था। 17दाऊद को यह समाचार मिला। उसने समस्‍त इस्राएली सेना एकत्र की। तब उसने यर्दन नदी को पार किया। वह हेलाम नगर में आया। सीरियाई सेना ने दाऊद का सामना करने के लिए युद्ध की व्‍यूह-रचना की। उन्‍होंने दाऊद से युद्ध किया। 18परन्‍तु सीरियाई सेना इस्राएली सेना के सामने से भाग गई। दाऊद ने सीरियाई सेना के सात सौ सारथी, और चालीस हजार घुड़सवार मार डाले। उसने उनके सेनापति शोबख को घायल कर दिया। वह वहीं मर गया। 19जब हदद-एजेर के अधीन राजाओं ने देखा कि वे इस्राएलियों के सम्‍मुख हार गए, तब उन्‍होंने इस्राएलियों के साथ शान्‍ति स्‍थापित कर ली। वे इस्राएलियों के अधीन हो गए। सीरियाई सेना अम्‍मोनी सेना की पुन: सहायता करने से डरने लगी।

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